मुंबई के सर्वाधिक प्राचीन धर्मस्थलों में से एक है, यहां का महालक्ष्मी मंदिर। समुद्र के किनारे बी.देसाई मार्ग पर स्थित यह मंदिर अत्यंत सुंदर, आकर्षक और लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। महालक्ष्मी की पूजा घर और कारोबार में सुख एवं समृद्घि लाने के लिए की जाती है। महालक्ष्मी मंदिर के मुख्य-द्वार पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं की आकर्षक प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक है। अंग्रेजों ने जब महालक्ष्मी क्षेत्र को वर्ली क्षेत्र से जोड़ने के लिए ब्रीच कैंडी मार्ग बनाने की योजना बनाई, तब समुद्र की तूफानी लहरों के चलते पूरी योजना खटाई में पड़ती प्रतीत हुई। उस समय देवी लक्ष्मी एक ठेकेदार रामजी शिवाजी के स्वप्न में प्रकट हुई और उन्हें समुद्र तल से देवियों की तीन प्रतिमाएँ निकाल कर मंदिर में स्थापित करने का आदेश दिया। रामजी ने ऐसा ही किया और ब्रीच कैंडी मार्ग का निर्माण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
मंदिर के गर्भगृह में महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती अर्थात तीनों देवियों की प्रतिमाएँ एक साथ विद्यमान हैं। तीनों प्रतिमाओं को सोने एवं मोतियों के आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है। यहां आने वाले हर भक्त का यह दृढ़-विश्र्वास होता है कि माता उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करेंगी।
मुंबई भारत की व्यावसायिक राजधानी है, जो देश के प्रत्येक भाग से रेल, रोड और वायुमार्ग से जुड़ी हुई है।
– भीका शर्मा
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