मुखबिर

अब तक “मुखबिर’ पर बॉलीवुड क्या हॉलीवुड में भी कोई फिल्म नहीं बनी है। फिल्मों के इतिहास में पहली बार “सोलह दिसंबर’ तथा “टैंगो चार्ली’ जैसी फिल्मों के लेखक व निर्देशक पूरे विश्र्व के सामने ऐसे ही मुखबिरों के बारे में यथार्थपरक व सत्यकथा को अपनी फिल्म “मुखबिर’ के माध्यम से बयॉं कर रहे हैं।

“मुखबिर’ एक ऐसे युवक की कहानी है, जो अपने चेहरे पर कई तरह के मुखौटे लगाकर घूमता है। वह कई तरह के नाटक करता रहता है और ऐसा नाटक जहॉं एक भी वाक्य भूलने का अर्थ है मौत। यह एक ऐसे इन्सान की कहानी है, जो जीता है क्योंकि उसे जीना है। उसे जीते जी कई बार मौत का सामना करना पड़ता है, पर वह निडर है। आखिर मरना तो है ही। इस एक्शन प्रधान रोमांचक फिल्म में उन लोगों की कहानी है, जो खुद परछाई बनते हैं जिससे दूसरे आम लोग शांति से जी सकें, सो सकें और जिंदगी का मजा ले सकें। यह कहानी है उन चंद मुखबिरों की जो अपनी जिंदगी दॉंव पर लगाकर पूरे देशवासियों को सुरक्षा देते हैं।

फिल्म “मुखबिर’ की विषयवस्तु के सूत्र का जिा करते हुए मणि शंकर बताते हैं – “मैं सन् 1996 में कश्मीर में एक म्यूजिक वीडियो की शूटिंग कर रहा था, जिसमें मैंने कुछ आतंकवादियों को भी शामिल किया था, जो जेल में बंद थे। उसी वक्त मुझे पता चला कि खुफिया विभाग वालों को इंटेलीजेंस (गोपनीय सूचनाएँ) मुखबिरों से पता चलती हैं। कोई भी इंटेलीजेंस अफसर खुद इस तरह का काम नहीं करता, क्योंकि उसे तो सभी पहचानते हैं। ये सभी मुखबिर कम उम्र यानी के सत्रह से उन्नीस साल की उम्र के होते हैं और इनका कार्यकाल एक से दो साल तक का होता है। किस तरह उन्हें टेनिंग दी जाती है, किस तरह उन्हें अंडरवर्ल्ड/आतंकवादियों या अपने विरोधी देश में स्थापित किया जाता है? किस तरह रिस्क लेकर वहॉं से जानकारियॉं एकत्र करके ये लोग इंटेलीजेंस को भेजते हैं? हमने इस पर पॉंच-छह साल तक रिसर्च किया। किसी ने भी मुखबिरों के बारे में पूरी बात, उन्हें टेनिंग दिये जाने के बारे में पूरी जानकारी खुलकर अपने नाम के साथ नहीं बतायी। हमने भी यह जानकारी गोपनीयता की परिधि को न लॉंघते हुए “मुखबिर’ में शामिल की है।

फिल्म “मुखबिर’ का निर्माण “कलर चिप्स प्रोडक्शन’ ने किया है। “कलर चिप्स’ के चेयरमैन सुधीश रणभोटला कहते हैं, “हम फीचर फिल्म बनाने से पहले अच्छी कहानी की तलाश में थे। हमने अस्सी पटकथाएँ पढ़ीं, पर हमें पसंद नहीं आयीं। उसके बाद हमने मणिशंकर की “मुखबिर’ की पटकथा पढ़ी, तो हमें लगा कि यही वह विषयवस्तु हो सकती है, जिस पर हमें फिल्म बनानी चाहिए।’

“मुखबिर’ के हैंडलर का किरदार निभाने वाले सुनील शेट्टी कहते हैं, “यह तो मणिशंकर की मौलिक और अनोखी पटकथा है। “मुखबिर’ में पूरी फिल्म में भावनाओं और संवेदनाओं का संगम है। इसी के साथ यह रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म है।’

नकारात्मक चरित्र निभा रहे राहुल देव कहते हैं, “मणिशंकर ने हर चरित्र को बड़ी स्टाइल से ढाला है। पूरी फिल्म में मेरा चेहरा तो बहुत कम ऩजर आता है, बल्कि मेरी परछाई ज्यादा ऩजर आती है। मैंने इस फिल्म में भले ही नकारात्मक चरित्र निभाया हो, लेकिन मुझे विश्र्वास है कि दर्शकों के बीच मेरे किरदार को ही सराहा जाएगा।

मणिशंकर आगे कहते हैं, “यह सरकार के जासूस यानी मुखबिर की कहानी है। यह ऐसा विषय है, जिसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं है। यह ऐसे युवकों की कहानी है, जिनकी मौत के बाद उनकी फाइल पर यह लिखकर बंद कर दिया जाता है कि इस बारे में कभी कुछ न बताया जाए। हमेशा गोपनीय रहे। मैं कश्मीर में जब शूटिंग कर रहा था तो अठारह-उन्नीस साल के एक लड़के से मिला, जिसके पूरे शरीर पर सिगरेट से जलाए जाने के निशान थे और एक साल बाद उसकी मौत हो गयी।’

फिल्म “मुखबिर’ के निर्माता सुधीश रणभोटला, कहानी पटकथा लेखक और निर्देशक मणिशंकर, संगीतकार इल्या राजा और कार्तिक राजा, नृत्य निर्देशक सरोज खान, गीतकार इकबाल पटनी व पी.के. मिश्रा हैं। इस फिल्म को अभिनय से सॅंवारने वाले कलाकार हैं – समीर दत्तानी, ओमपुरी, सुनील शेट्टी, सुशांत सिंह, आलोकनाथ, राज जुत्शी, केली डोरजी तथा मेहमान भूमिका में जैकी श्राफ हैं।

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