नाम से बेशक आप उनके किसी विदेशी अभिनेत्री होने का धोखा खा सकते हैं, पर बच्चों के चैनल हंगामा पर बालाजी के धारावाहिक कृतिका में मुख्य भूमिका कर चुकी और कुसुम के बाद कसौटी में स्नेहा की लोकप्रिय भूमिका निभाने के साथ-साथ स्टार प्लस पर फॉक्स स्टूडियो के दूसरे शो संगम में नायिका गंगा की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री जेनिफर विनगेट पूरी तरह सौ प्रतिशत भारतीय हैं। वे कहती हैं, “हॉं, अपने शो गंगा की तरह।’ पर इन दिनों उनकी चर्चा उनके शो के लिए नहीं बल्कि स्टार वन पर आने वाले उनके नए रियाल्टी शो “जरा नच के दिखा’ में बतौर प्रतियोगी नाचने के लिए हो रही है। हालांकि उनका मानना है कि नाचना उनके लिए हमेशा जद्दोजहद भरा रहा है।
आखिर आप भी नाचने-गाने के शो में शामिल हो ही गयीं?
(हंसतीहैं) ऐसी बात नहीं है। मैं हमेशा नाचने को एक चुनौती की तरह लेती थी, पर मैं कभी बेहतर डांसर नहीं थी। इससे कम से कम मुझे नाच सीखने का मौका तो मिला।
कसौटी और संगम के बाद यह आपके लिए कॅरियर में आने वाले नए मोड़ सरीखा शो है?
(हंसती हैं) हां, संगम के बाद मैंने जो लोकप्रियता हासिल की वह एक पारंपरिक भूमिका थी। यह शो मुझे अपनी उस इमेज से बाहर आने का मौका भी देगा।
यानी आपके कॅरियर को नया मुकाम मिलने लगा है?
किसी नाचने वाले शो से किसी के कॅरियर का फैसला नहीं होता। केवल उसे रिलीफ मिलता है। मैं तो पहले ही बालाजी के शो में मुख्य भूमिका कर चुकी हूं। बालाजी के उस शो में मुख्य भूमिका करना एक नया अनुभव था। इसके अलावा मैंने कुसुम और कोई मिल गया में भी काम किया। ये ऐसे शो थे जिनसे मुझे सीखने का मौका मिला। “जरा नच के दिखा’ तो नए रोमांच लिए है।
कॅरियर में आपके लिए रोमांच का क्या मतलब है? गंगा से आप इसे कैसे जोड़ती हैं?
कुसुम के दौरान मुझे निर्देशन और कैमरा तकनीक के बारे में भी जानने का मौका मिला, पर मुझे लगता है कि संगम की नायिका बनने के लिए कृतिका की भूमिका ने मुझे तैयार किया। मैं भाग्यशाली हूँ कि मैंने गंगा की भूमिका की। सीखने-सिखाने की इसी प्रिाया को मैं रोमांच का नाम देती हूँ। गंगा की भूमिका एक छोटे से शहर में रहने वाली एक ऐसी लड़की की कहानी थी, जो अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए उनके स्कूल को देश का सबसे बड़ा स्कूल बनाती है। मैं भी अपने सपने पूरे कर रही हूँ, बस!
पर यह अब तक टीवी पर दिखाई गई दूसरी लड़कियों से कैसे अलग था?
बहुत ज्यादा अलग तो नहीं कहा जा सकता। चूंकि हमें अपनी टीआरपी की चिंता भी रहती है पर इसका सबसे बड़ा आकर्षण था, इस शो की सादगी। इसमें कोई भी आदमी महंगे कपड़े या कीमती सेट्स पर रिश्तों के बनाने-बिगा़डने का खेल नहीं खेलता था।
हमारे यहॉं शो़ज की परंपरा संगम या मेरी आवाज को मिल गई रोशनी वाले अंदा़ज की नहीं रही?
हॉं, पर बहुत अधिक बोल्ड और ब्यूटीफुल जैसे शो़ज वाली भी नहीं है। हमारे यहॉं अब भी इसलिए नायक या नायिका अपनी जड़ों और संस्कारों से जुड़े हैं। परंपराएं हमारी असली पहचान हैं। गंगा भी उसी का हिस्सा थी।
लेकिन इसे बीच में ही बंद क्यों करना पड़ा?
यह मैं कैसे बता सकती हूँ? मैं तो केवल एक अभिनेत्री हूँ, बस। जहॉं तक किसी शो के बीच में बंद होने की बात है तो कई बार चैनल की अपनी तकनीकी विवशताएं होती हैं।
आप कसौटी और संगम के समय काफी बिजी थीं और अब आप एक बार फिर व्यस्त हो जाएंगी?
हॉं, स्नेहा के चरित्र ने मुझे नाम और पैसा दिया था और गंगा ने एक तरह का स्थायित्व। जब मैंने कसौटी शुरू किया था तो उस समय मैं नहीं जानती थी कि इस चरित्र के साथ क्या होगा?
– जेनिफर विनगेट
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