मुंबई सीरियल बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मौत की सजा के मुद्दे पर उस वक्त विवाद पैदा हो गया जब लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदु्द्दीन ओवैसी ने कहा कि याकूब को उसके धर्म की वजह से फांसी दी जा रही है । ओवैसी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी एक विवाद को जन्म दे दिया । साक्षी ने कहा कि न्यायपालिका का सम्मान न करने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए ।
भाजपा ने ओवैसी पर आतंकवाद के मुद्दे पर ‘‘सांप्रदायिक राजनीति’’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे ‘‘बदतर’’ कुछ नहीं हो सकता ।
ओवैसी ने याकूब को मिली मौत की सजा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने, मुंबई और गुजरात में सांप्रदायिक दंगों तथा दूसरे ऐसे सनसनीखेज मामलों में भी इसी तरह की सजा दी जाएगी ।
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘बाबरी मस्जिद को गिराने के गुनाहगारों को दोषी क्यों नहीं ठहराया गया और क्या उनको मौत को सजा मिलेगी क्योंकि यह असली गुनाह है ?’’ श्रीकृष्णा आयोग की सिफारिशों को भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा सरकारों की ओर से ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने सवाल किया कि दिसंबर, 1992 और जनवरी, 1993 के मुंबई दंगों में कितने लोगों को दोषी ठहराया गया है ।
ओवैसी ने कहा, ‘‘दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 के सांप्रदायिक दंगों में 1,000 लोग मारे गए । कितने लोगों को दोषी करार दिया गया ?’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और स्वामी असीमानंद को फांसी की सजा मिलेगी, जिनका नाम मालेगांव बम धमाकों के सिलसिले में सामने आया ? क्या उन्हें मौत की सजा मिलेगी ? अदालत में यह साबित करना एनआईए की जिम्मेदारी है ।’’
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