सम्भवतः लोग उस दुर्घटना को अब तक न भूले होंगे, जब एक बहुत विख्यात नेता की आकस्मिक मृत्यु यौनशक्तिवर्धक औषधि लेने से हो गई थी। वास्तविकता यही है कि बहुत अधिक धनाढ्य, विलासी प्रौढ़ व वृद्घ पुरुष जो कि प्रायः नयी कमसिन लड़कियों के साथ सुख और शारीरिक भोग की लालसा रखते हैं, आजकल यौनशक्तिवर्धक टॉनिक या कैप्सूल लेते हैं।
मर्दाना शक्ति बढ़ाने वाली औषधियों की कम्पनियों के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार में भी बहुत वृद्घि हुई है। पुरुषत्व अथवा पौरुष शक्ति बढ़ाने के नाम पर कई यौन-विशेषज्ञ तथा दवा विोता रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। इनके ग्राहक बड़े व्यापारी, फिल्म-स्टार, नेता, मंत्री, ठेकेदार आदि होते हैं, जिनके पास धन की कोई कमी नहीं होती। जिनके पास धन अवैधानिक तरीकों से बेतहाशा आता है, उन्हें ही युवतियों से संसर्ग करने की इच्छा रहती है। जो लोग अपने आप में आत्मविश्र्वास की कमी पाते हैं, ऐसे पुरुष अपनी यौनशक्ति को दुगुना करने की झूठी लालसा में इन दवाओं का नियमित ाय व सेवन करते हैं।
जो पुरुष एकसाथ अनेकानेक स्त्रियों के साथ शारीरिक सुख भोगने की उत्कट लालसा से पीड़ित होते हैं, उनमें भी ऐसी दवाओं या नुस्खों के प्रति आकर्षण पाया जाता है। ऐसे पुरुष जिनके पास प्रौढ़ावस्था में अत्यधिक धन आ जाता है, उन्हें अपनी पत्नी में कोई रुचि नहीं रह जाती, धन की अधिकता के कारण जो नित-नयी लड़कियों को अपने लिए प्राप्त कर सकते हैं, ऐसे शौकीन पुरुषों को भी इन औषधियों के निर्माताओं से अच्छी रकम मिल जाती है।
ऐसा भी नहीं है कि यह कुप्रवृत्ति आज ही प्रचलन में आई है। वरन् युगों से पुरुषों में यह बेलगाम प्रवृत्ति पनपती रही है कि वे विवाह-संबंध में बंधे रहना या सीमित रहना एक तरह की नामर्दगी समझते रहे। प्राचीन काल में राजा, सेठ, साहुकारों, दीवान, सेनानायकों आदि द्वारा इस तरह की औषधियों का व्यसन करना आम था। सुल्तानों व बादशाहों के हरम में नयी-नयी लड़कियां लाई जाती थीं। प्रौढ़-पुरुष नयी लड़की के समक्ष अपनी हीनता व कुंठा को दबाने के लिए भी इस तरह की औषधियां लेकर स्वयं को दिलासा देते रहते थे कि वे एक नयी लड़की के यौवन के योग्य हैं।
यह प्रवृत्ति तो आत्मघाती रही है, तभी तो इस तरह के अय्याशवृत्ति के पुरुषों की मृत्यु मात्र पैंतालीस से पचपन वर्ष की अल्पायु में हो जाती है, जबकि जो सुविधाएं एवं सुख उन्हें प्राप्त रहते हैं, उसके अनुसार ऐसे पुरुष उचित खान-पान के कारण अस्सी-पच्चासी वर्ष तक जी सकते हैं। औसतन जो पुरुष इस तरह के दुर्व्यसनों से दूर अपने पारिवारिक जीवन में नियम-संयम से रहते हैं, वे अभावों में भी पचहत्तर-अस्सी वर्ष तक जी लेते हैं।
प्रश्न यह उठता है कि इस तरह की पौरुषवर्धक औषधियों की सच्चाई क्या है? क्या वाकई इनमें ऐसा कुछ होता है, जो पुरुषों की शक्ति को यौन-संबंधों हेतु बढ़ा देता है। इसका उत्तर यह है कि यह मृगमरीचिका में भटकने जैसी ही बात है। नित-नये फैशनों में सजी जिन लड़कियों को इनके लिये लाया जाता है, वहां का माहौल भी उतना ही गंदा होता है। यह सारा खेल मात्र चूंकि धन प्राप्ति हेतु धन के बल पर खेला जाता है, वहां ब्ल्यू फिल्मों से लेकर तमाम व्यसनों की व्यवस्था की जाती है। ऐसे में मात्र माहौल व विचार से पुरुष वर्ग उत्तेजना के अहसास को यह समझ लेता है कि उसे शक्ति इन औषधियों के बल पर मिल रही है। यह उनकी सरासर बेवकूफी होती है।
एक सेक्सवर्कर ने बताया कि बहुत से पुरुष जो अपनी पत्नी से प्रेम तो करते हैं, पर मात्र नवीनता की चाह में कॉलगर्ल के इर्दगिर्द मंडराते हैं, वे नशे के साथ इन औषधियों का सेवन कर यह समझते हैं कि उनमें यौनशक्ति बढ़ गई है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है। वरन् वे लोग कुछ सेकण्ड में ही इतने शिथिल हो जाते हैं कि उन्हें उठना तक मुश्किल हो जाता है। अर्थात् एक बार यह औषधि लेने पर वह औषधि उनके भीतर के ऊर्जास्रोत को सोख लेती है। जिस तरह आपके पचास लाख रुपये का बैंक बैलेन्स आपकी चाहने वाली पत्नी के पास है तो वह उसे इस तरह से उपयोग करेगी कि आपको सुख-चैन भी नसीब हो और आपका जवानी में मेहनत से कमाया धन नष्ट भी न हो, किन्तु यदि किसी नयी लड़की को जो आपको न चाहे, उस खाते का मालिक बना दिया, तो वह कुछ दिनों में ही बैंक-बैलेन्स लूटकर अपने प्रेमी के साथ भाग जाएगी।
इन यौनवर्धक औषधियों का किस्सा भी कुछ इसी तरह का है कि वे आपको जो ताकत देंगी, वह आपके भीतर की ही शक्ति से देंगी। चंद क्षणों में वह आपको पुरुषत्व का अहसास कराकर निचोड़ लेंगी। आप पचास वर्ष की आयु में चौबीस वर्ष की शक्ति वापस पाना चाह रहे हैं, वह शक्ति उस दवा में कतई नहीं है। उस दवा में मात्र इतना तत्व मौजूद है कि वह आपको उन क्षणों में ऊर्जा प्रदान करा देती है, पर वह बाद में आपको उस ऊर्जा का भंडारण नहीं करा पाती। ऊर्जा तो आपने अपने भीतर से ही प्राप्त की है। उस औषधि ने मात्र एजेन्ट का काम किया है, जो आपकी धमनियों के रुधिर-प्रवाह के ऊर्जा स्त्रोत को क्षण भर में सोख लेती है।
ऐसी अवस्था में यदि वह व्यक्ति ज्यादा दमखम न रखता हो तो संभोग के क्षणों में ही तुरंत या तो पक्षाघात से पीड़ित हो जायेगा या उसका सिर आदि अन्य अंग हिलने लगेंगे, क्योंकि अपने भीतर से प्रचण्ड शक्ति खींचने के प्रयास में उसके दिमाग की नसें बेकार होकर अपना सन्तुलन भी खो सकती हैं। ऐसा व्यक्ति वृद्घावस्था में ऐसा जीवन जीता है कि लोग उस पर हंसते हैं।
– जोगेश्र्वरी संधीर
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