रामचंद पाकिस्तानी

कलाकारः सैयद फ़जल हुसैन, नंदिता दास, रशीद फारूकी, नौमान ऐजाज, मारिया वस्ती, दावेद जब्बार

संगीतः देबज्योति मिश्रा          निर्देशकः महरीन जब्बार

दो देशों की सरहद अक्सर कोई आसानी से दिख जाने वाली लकीर या दीवार नहीं होती। इसलिये कभी समंदर में भटके मछुआरों को अथवा गलती से सरहद पार करने वालों को अपनी गलती के अंजाम भुगतने पड़ते हैं। पाकिस्तानी निर्देशिका महरीन जब्बार की उर्दू फिल्म रामचंद पाकिस्तानी में ऐसी ही गलती करने वालों की दासतॉं चित्रित की गई है। “खुदा के लिये’ के पश्र्चात भारत में प्रदर्शित होने वाली यह दूसरी पाकिस्तानी फिल्म है। जाहिर है, पहली फिल्म की तरह यह भी आम पाकिस्तानी फिल्मों से हटकर है। इसलिये मनोरंजन की अधिक अपेक्षा दर्शकों को नहीं करनी चाहिये। पाकिस्तान में रहने वाला हिंदू दलित रशीद फारूकी अपनी पत्नी नंदिता दास एवं आठ साल के बेेटे रामचंद (फ़जल हुसैन) के साथ अनजाने में सरहद पार कर हिंदुस्तान की जमीन पर आ जाता है। तनाव पूर्ण वातावरण होने के कारण इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। बेटे रामचंद और पिता शंकर को भारतीय जेल में बंदी बना लिया जाता है। नंदिता अपने आप को अकेला पाकर जिंदगी से जूझने लगती है। मॉं से बिछ़ुडने के कारण रामचंद बहुत दुःखी रहने लगता है, लेकिन ऐसे गरीबों की मदद के लिए आगे कौन आता है। पाकिस्तान में वे अनचाहे अल्प-संख्यक हैं और हिंदुस्तान में शक से देखे जाने वाले पाकिस्तानी।

इनके दुःख-दर्द का चित्रण निर्देशिका महरीन जब्बार ने बहुत ही संवेदनात्मक किया है, जो दर्शकों को विचारने के लिए विवश कर जाता है। कहानी की घटना संपूर्णतया यथार्थ होने के कारण फिल्म कुछ वार्तापट-सी लगती है। उसमें कुछ काल्पनिक दृश्य भी जोड़े गये हैं, जो कहानी के प्रवाह में अच्छा योगदान नहीं दे पाते। जैसे, महिला जेलर का प्रणय तथा नंदिता को मन ही मन चाहने वाले का दर्द। रामचंद की भूमिका में फ़जल हुसैन ने जानदार अभिनय किया है। नंदिता सेन कुछ अस्वाभाविक-सी लगती है। परंतु फिल्म में देबज्योति मिश्रा का दिया संगीत गौरतलब है। बांगला शास्त्रीय-लोकगीत पर आधारित शुभा मुदगल एवं अमानत अलि का गाया “अल्लाह मेघ दे’ तथा तीन सिंधी गीत याद रह जाते हैं। कुछ दर्शकों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि पाकिस्तान में बनी इस फिल्म में भारतीय जेल की स्थिति को उजागर किया गया है। यदि पाकिस्तानी जेल की स्थिति को उजागर करने का प्रयास किया जाता तो भारत के लिए सराहनीय होता।

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