राम ने भजलो रे भाई हरि ने भजलो रे भाी
लेवन ने हरि नाम तिरन नै है गंगा माई
पाँच पन्छा में मोरियों पनी जीयों वा पदमा बाई
माता पिता मुकलावों दिनों गया बनी माई
दुःखरे कारण गया बन्नी में वॉ प्रदमा बाई
सुख दुःख तो प्रचन ने माता पार्वती आई
हर भजता हिरणा कुश राजा माडी अन्याही
लोह लकड़ ने नहीं मरीया मारीया हाथा ही
शिशु पालो तो जाने चढ़ाई बरजे भो जाई
रुख्मण ने साबरीयो लेगो बैठा रथ माई
मीरा महल राणा का छोड़ीया हर भजवा ताही
राजा विष का प्याला भेजीया पी गई मीरा बाई
You must be logged in to post a comment Login