लगायें नुकसान का अंदा़जा, खोलें कॅरियर का दरवा़जा
नम्रता गुप्ता एक प्राइवेट नर्सिंग होम में सर्जन थीं। काम की संतुष्टि के अलावा वे हर शाम अपने साथ घर ले जातीं अनियमित कार्यावधि और 10 हजार रुपये महीना की मामूली तनख्वाह। जाहिर है, यह यथास्थिति उन्हें खुश कम परेशान अधिक कर रही थी। फिर अचानक उन्हें ख्याल आया कि वे रिस्क मैनेजमेंट पाठ्याम में प्रवेश हासिल कर लें ताकि सर्जन के तौर पर अपने कौशल और मानव शरीर के ज्ञान का प्रयोग मेडिकल अंडरराइटिंग में कर लें। रिस्क मैनेजमेंट में एम.बी.ए. करने के बाद आज उनकी स्थिति बिल्कुल बदल गयी है। उनके पास बड़ी-बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों से अनेक जबरदस्त ऑफर हैं।
इंश्योरेंस क्षेत्र में बढ़ते जॉब अवसरों को मद्देनजर रखते हुए न सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर बल्कि बैंकर, बिजनेस छात्र आदि भी रिस्क मैनेजमेंट कार्यामों का हिस्सा बन रहे हैं। बड़ी संख्या में बी.टेक., एम.टेक और हद तो यह है कि एम.सी.ए. के छात्र भी इस पाठ्याम में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि उनसे ज्यादा इस क्षेत्र के दांव-पेचों को कोई और बेहतर नहीं समझता। गौरतलब है कि मैकेनिकल इंजीनियर और ऑटो इंजीनियर उपयुक्त व्यक्ति हैं, जो रिस्क का अंदाजा लगायें और ऑटो कंपनियों या बड़ी फैक्टियों के लिए अंडरराइटिंग का काम करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाठ्याम उनमें से है, जिसकी मांग आगे-आगे और बढ़ती चली जायेगी, क्योंकि इंश्योरेंस का काम बढ़ रहा है और ज्यादा लोगों के पास प्रोफेशनल टेनिंग नहीं है, इस विशिष्ट काम को करने के लिए।
एक एम.बी.ए. इंश्योरेंस या इंश्योरेंस प्रबंधन में पी.जी. डिप्लोमा में बुनियादी फर्क फोकस का है। इंश्योरेंस कार्यामों में फोकस दोनों (जीवन और गैर-जीवन) के इंश्योरेंस पर होता है। जबकि बहुत से इंस्टीट्यूटों में जो इंश्योरेंस बिजनेस मैनेजमेंट का डिप्लोमा दिया जाता है, उसमें प्रबंधन के मुख्य पाठ्याम और विषय दोनों को ही पढ़ाया जाता है।
एक सामान्य इंश्योरेंस और रिस्क मैनेजमेंट क्लास में सभी किस्म के छात्र होंगे यानी वे विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि से आये होंगे। उनमें से कुछ बी.कॉम, बी.बी.ए., बी.सी.ए., बी.टेक होंगे, तो कुछ एम.बी.बी.एस. के भी छात्र होंगे। गौरतलब है कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की अंडरराइटिंग के लिए जीव- विज्ञान की पृष्ठभूमि बहुत लाभदायक है जबकि इंजीनियर्स इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स, समुद्री जीवन और मोटर इंश्योरेंस का मूल्यांकन करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं। अन्य विषय बैंक ऑफिस कामकाज और मार्केटिंग के लिए काम में आते हैं। यह पाठ्याम छात्रों को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है ताकि वे विभिन्न किस्म की जिम्मेदारियों को सही ढंग से अंजाम दे सकें मसलन, अंडरराइटिंग, क्लेम्स मैनेजमेंट, इंश्योरेंस कंपनी के विकास के लिए योजना बनाना आदि। यह पाठ्याम पूरा करने के बाद आप किसी ब्रोकरेज फर्म में काम कर सकते हैं या कार्पोरेट एजेंट बन सकते हैं अथवा थर्ड पार्टी प्रशासक भी बन सकते हैं।
इस पाठ्याम में छात्रों को दुर्घटना बीमा, आग के खतरों का मूल्यांकन, रि-इंश्योरेंस (जिसका अर्थ है कि इंश्योरेंस कंपनी अपने नुकसान का बचाव दूसरी इंश्योरेंस कंपनी में बीमा कराकर करती हैं) नुकसान का एडजेस्टमेंट और क्लेम्स प्रैक्टिसे़ज, इंश्योरेंस ब्रोकिंग प्रैक्टिसे़ज, निर्माण और इंजीनियरिंग इंश्योरेंस, ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट और इंश्योरेंस के नियम और शर्तों में टेनिंग दी जाती है।
इंश्योरेंस सिर्फ रिस्क कवर करने के बारे में ही नहीं होता, बल्कि इसका मकसद टैक्स बचाना भी है। इन दोनों बातों को मिलाकर “मानसिक धैर्य’ कहा जाता है और इंश्योरेंस कंपनियों को यही बेचना होता है। इसलिए प्रोफेशनल्स को न सिर्फ तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है, बल्कि उनमें कम्युनिकेशन और फाइनेंशियल रिक्स मैनेजमेंट की सलाहियतें भी होनी चाहिए। जब से यह क्षेत्र खुला है तब से इसमें विकास की जबरदस्त संभावनाएं पैदा हुई हैं।
मोटर इंश्योरेंस भी गतिविधि का जबरदस्त क्षेत्र है, क्योंकि ऑटो कंपनियां हमेशा उन विशेषज्ञों की तलाश में रहती हैं, जो कारों को समझते हों और रिस्क का मूल्यांकन कर सकते हों। अक्सर इंश्योरेंस एजेंटों के साथ मिलकर बड़े-बड़े क्लेम दायर किए जाते हैं। इसलिए कंपनियां विशेषज्ञों की अपनी टीम तैनात करती हैं ताकि यह सुनिश्र्चित किया जा सके कि जो क्लेम किया जा रहा है और जो आंकड़े दिये जा रहे हैं, वे दुरुस्त हैं या नहीं।
इस समय भारत में 36 से अधिक इंश्योरेंस कंपनियां काम कर रही हैं और इनमें कुशल हाथों की जबरदस्त कमी है। जो इंस्टीट्यूट रिस्क प्रबंधन का पाठ्याम उपलब्ध करा रहे हैं, उनका मकसद इन कंपनियों में तकनीकी हाथों की भरपाई करना है। इसमें शक नहीं है कि इंश्योरेंस कंपनियों में सही व्यक्तियों की बहुत कमी है और जो भी व्यक्ति रिस्क मैनेजमेंट में एम.बी.ए. या डिप्लोमा कर लेगा, उसके लिए अवसर ही अवसर होंगे। इन तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए यह कहना गलत न होगा कि इंश्योरेंस क्षेत्र में जो संभावनाएं नजर आ रही हैं, उनके तहत अपनाने की सही पॉलिसी इंश्योरेंस ही है।
संस्थान
- एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस एंड एक्चुरियल साइंस, नोएडा
फोन नंबर : टोल फ्री -1800 11 00 00
- बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक), ग्रेटर नोएडा
फोन : 0120-2323001
- इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग
- इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, हैदराबाद
फोन : 040-23556470
- इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, मुंबई
फोन : 022-22872923
- नेशनल इंश्योरेंस एकेडमी, पुणे
फोन : 020-27204000-4444
– जी.एस.नंदिनी
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