रेल का टिकट

“बाबा, दुनिया में सबसे आसान काम कौन-सा है?’

“काम न करना ही सबसे आसान काम है।’

“नहीं, मैं प्रोफेशन के हिसाब से मालूम कर रही थी।’

“हर काम की अपनी कठिनाईयां होती हैं, जो काम करता है वही उसकी बारीकियां समझ सकता है।’

“मैं आपकी बात समझी नहीं।’

“मैं एक मिसाल से बताता हूं। मेरे एक दोस्त रेलवे में मुलाजिम थे। उनका काम रेल के टिकट बेचना था। लोग उनके काम को बहुत आसान समझते थे। लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि एक छोटे-से रेलवे स्टेशन पर भी व्यक्ति को बहुत सारे टिकट बेचने पड़ते थे।’

“कितने?’

“उनकी लाइन पर 25 स्टेशन थे। और हर सेक्शन के लिए जिसका संबंध अप एंड डाउन लाइन से था, उन्हें विभिन्न टिकट बेचने पड़ते थे।’

“तो उन्हें कितने टिकट बेचने पड़ते थे?’ “मैं यही तो मालूम करना चाह रहा हूं कि उनके स्टेशन से अलग-अलग किस्म के कितने टिकट बिकते थे?’

“आपने तो सवाल कर लिया।’

“सवाल तो है, लेकिन इससे यह मालूम हो जाता है कि कोई प्रोफेशन आसान नहीं होता। उसे करने में कठिन परिश्रम व लगन की आवश्यकता होती है।’

“हां, यह बात तो है।’

“तो फिर मेरे सवाल का ़जवाब दीजिये।’

“कृपया सवाल को फिर से दोहरायें।’

“मेरे दोस्त जिस स्टेशन पर टिकट बेचते थे उसकी रेलवे लाइन पर 25 सेक्शन थे तो सवाल यह है कि अप एंड डाउन के वह कुल कितने टिकट बेचते थे?’

“क्या इसमें प्लेटफॉर्म टिकट भी शामिल है?’

“नहीं, सिर्फ अप एंड डाउन लाइन के टिकट शामिल हैं।’

“तो यह तो बहुत आसान हो गया।’

“जवाब दो।’

“लाइन पर 25 स्टेशन थे जिसमें से एक स्टेशन उनका खुद का हो गया। इसलिए कुल 24 स्टेशन के लिए यानी विभिन्न किस्म के 24 टिकट यहां से मिलते थे।’

“गलत।’

“क्यों?’

“मैंने आपसे मालूम किया कि अप एंड डाउन लाइन के कितने अलग किस्म के टिकट वहां से मिलते थे।

25 स्टेशनों में से यात्रियों को हरेक पर किसी भी अन्य 24 स्टेशनों के लिए टिकट मिल सकते हैं। इसलिए जिन विभिन्न टिकटों की आवश्यकता होगी वह होगी 2र्5े24ृ600।’

“हां, यह बात तो सही है, इस दृष्टिकोण से तो मैंने सोचा ही नहीं।’

“मैं न कहता था कि हर काम मुश्किल है और उसे करने वाला ही जानता है कि काम कितना कठिन है। अब जैसे यह आसान-सा सवाल भी कितना मुश्किल हो गया था।’

“आप ठीक कह रहे हैं, मैं हमेशा आपकी बात को ध्यान में रखूंगी।’

– कुंवर चांद खां

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