लक्ष्मी

maa-laxmi-deviभगवान् विष्णु की पत्नी हैं लक्ष्मी। लक्ष्मी को ऐश्र्वर्य एवं समृद्धि की देवी माना जाता है। समुद्र-मंथन से उत्पन्न चौदह रत्नों में एक लक्ष्मी भी थीं। इस अयोनिजा देवी को ब्रह्मा ने विष्णु को समर्पित किया, तो उन्होंने देवी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया। यह कामदेव की माता भी हैं। ब्रह्मा के पुत्र भृगु की कन्या के रूप में लक्ष्मीदेवी पृथ्वी पर अवतीर्ण हुईं। इस समय दक्ष की कन्या ख्याति इनकी माता थीं। इनका विवाह भगवान नारायण से हुआ। भगवान् विष्णु ने दस अवतार लिया, तो लक्ष्मी ने भी उनका साथ दिया। वामनावतार में कमलोद्भवा लक्ष्मी, परशुरामवतार में पृथ्वी, रामावतार में सीता, कृष्णावतार में रुक्मिणी लक्ष्मीदेवी के ही अवतार थे।

लक्ष्मी लोकमाता, अलौकिक देवी, अनंता और अनाद्या है। विष्णु और लक्ष्मी की युगल मूर्त्ति की उपासना होती है। यह कमल पर अवस्थित दिखायी जाती हैं। विष्णु पुराण में लक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि, संतान लाभ, सफलता, आनंद, मित्र, स्वास्थ्य-लाभ आदि बताये गये हैं। श्रीसूक्त में लक्ष्मी को हिरण्यगर्भा, पद्मास्थिता, पद्म-मालिनी, पुष्करिणी आदि गुणात्मक नाम दिये गये हैं। सौंन्दर्य एवं मार्दवता के कारण यह पद्मा कहलाती है। लक्ष्मी के पर्यायवाची शब्द निम्न हैं – पद्मा, कमला, श्री, हरिप्रिया, इन्दिरा, लोकमाता, मा, रमा, भार्गवी, क्षीर सागर-कन्या। श्रीसूक्त के अनुसार यह सज्जनों की करुणवाणी सुनती हैं, गुणों से विश्र्व को व्याप्त करती हैं, यह मूलाधार में कुंडलिनी रूप में रहती हैं, नाभिजा हैं, बुद्धि को प्रेरित करने वाली मध्यमा वाव् हैं। कर्दम और चिक्लीत ऋषि लक्ष्मी के पुत्र हैं।

– डॉ. एन.पी. कुट्टन पिल्लै

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