लगातार बारिश हो रही है लगातार तार-तार
कहीं घन नहीं न गगन बस बारिश एक धार
भीग रहे तरुवर तट धान के खेत मिट्टी दीवार
बॉंस के पुल लकश मीनार स्तूप
बारिश लगातार भुवन में भरी ज्यों हवा ज्यों धूप
कोई बरामदे में बैठी चाय पी रही है पांव पर पांव धर
सोखती है हवा अदरक की गंध
मेरी भीगी बरौनियां उठती हैं और सोचता हूं
देखूं और कितना जल सोखता है मेरा शरीर
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