“हर फिा को धुएं में उड़ाता चला गया…’ देवानंद का बेफिाी से सिगार पीते हुए ये गाना ऐसा लगता है, मानो जैसे कि सारी समस्याओं का अंत बस इसी में है। आज युवाओं ने यही फंडा अपनाया हुआ है, कोई भी चिंता हो, उसका सिर्फ एक ही हल है शराब या सिगरेट। फ्रस्टेशन या समस्याओं से मुक्ति के अलावा भी सिगरेट पीना आजकल फैशन में है। यंगस्टर्स में तो सिगरेट पीना होड़ की बात बन गई है। लड़के और लड़की का भेद पढ़ाई, नौकरी और शादी में से भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इसने नये संकट भी पैदा किये हैं। इसने ऐसी जगहों में भी यह भेद खत्म कर दिया है, जहां वास्तव में होना चाहिए। मसलन, अब लड़का हो या लड़की, दोनों साथ मिलकर कश लगाते हैं। इसे ये लोग मॉडर्निटी समझते हैं। खुद को मॉडर्न और हाई-फाई दिखाने के लिए व दोस्तों के सामने रूआब झाड़ने के लिए भी इन्हें महंगे से महंगे ब्रांड का सिगरेट चाहिए।
लेकिन यह टशन और फैशन दोनों ही युवाओं को नशे के उस अंधेरे जंगल में खींच लेता है, जिससे बाहर निकल कर आ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस दुष्चा से निकला नहीं जा सकता। अगर आप में थोड़ी- सी हिम्मत और आत्मविश्र्वास है तो आप नशे के इस जाल से निकल सकते हैं। कोरोनरी हार्ट (हृदय धमनी) की बीमारियों का खतरा सीधे उस अनुपात से जुड़ा रहता है जिस अनुपात में आपने दिन में सिगरेटों का सेवन किया है। यह महसूस न करें कि आप इसके आदी नहीं हैं। यदि आपने केवल चार या पांच सिगरेट ही एक दिन में पी है तो यह आपके लिए हार्ट अटैक का खतरा पचास प्रतिशत के करीब बढ़ा देता है, एक भी सिगरेट न पीने वाले व्यक्ति की तुलना में। सिगरेट व तंबाकू वह धीमा जहर है जिसके कारण तमाम बीमारियां आपको आ घेरती हैं। ऐसा मानना है कि एक बार सिगरेट की लत लग जाने के बाद स्मोकिंग छोड़ी नहीं जा सकती। लेकिन नयी खोजों ने इस मिथक को तोड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लत लगने के बाद भी स्मोकिंग छोड़ी जा सकती है। नशा छोड़ने के लिए मजबूत इरादे होने चाहिए। डॉक्टर तो यहां तक कहते हैं कि यदि आप नशा नहीं छोड़ पा रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप मानसिक रूप से कमजोर हैं। नशा करने वाले खुद को तो परेशानी में डालते ही हैं, साथ ही साथ औरों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाते हैं। नशे के चाव्यूह में फंसे लोगों में से कुछ ही लोगों में वह शक्ति होती है, जो जीवन तथा भविष्य में होने वाले खतरों का सामना कर पाते हैं। जबकि अधिकतर लोग इस नशे के कारण विनाश की ओर अपना रुख कर लेते हैं।
तंबाकू का किसी रूप में सेवन करना, फिर चाहे वह चबाकर हो या सूंघकर, आपके दिल के लिए हानिकारक होता है। इतना ही नहीं, खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ तंबाकू का सेवन करने वाले लोग वातावरण को भी औरों के लिए दूषित करते हैं। वे तंबाकू चबाते हैं, अंदर लेते हैं और अंत में पीक के रूप में बाहर निकालते हैं। इस तरह गंदगी फैलाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नशे से मुक्ति का प्रयत्न करने वालों के लिए व्यायाम सबसे सफल युक्ति है। यदि तंबाकू छोड़ चुके व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन व्यायाम नहीं किया जाता तो उसे हृदय संबंधी रोगों से होने वाली मौत का 40 प्रतिशत तक खतरा रहता है। सिगरेट पीने से मस्तिष्क तंत्र में उत्तेजना पैदा होती है। यह एक ऐसा रासायनिक परिणाम है कि जब आप नशा करते हैं तो मस्तिष्क के टंासमीटरों को उत्तेजित करते हैं। फलस्वरूप डोपेमाइन मुक्त होते हैं, जो सुख एवं मस्ती की भावना का एहसास कराता है। जब आप नशा करते हैं, तो शरीर में रसायन पहुंचता है। नशा छोड़ने के बाद पुनः सामान्य स्थिति में आने में समय लगता है। व्यायाम द्वारा इंडोरफिंस मुक्त होता है, जो न्यूरोटंासमीटर की तरह कार्य संपादित करने लगता है तथा आपकी लत और मानसिक अवसाद को दूर करने में काफी सहायक होता है।
धूम्रपान और व्यायाम दोनों ही रासायनिक आधार पर व्यसनी आदतें हैं। निकोटिन धूम्रपान में और इंडोरफिंस व्यायाम में व्यसनी कारक है। नशा छोड़े व्यक्ति के लिए नशा न करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा अलग तरह के व्यायाम होते हैं। धूम्रपान छोड़ने वाले व्यक्ति को अपने शरीर के परीक्षण व डॉक्टर की सलाह के अनुकूल ही खास व्यायाम करने चाहिए। अवसाद ग्रसित लोगों को हिदायतों के भीतर ही व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। परिणाम आने के बाद ही चिकित्सीय व्यायामों में फेरबदल करना चाहिए। कई लोगों में नशा छोड़ने के बाद वजन बढ़ना उन्हें चिंताग्रस्त बनाता है। इसलिए व्यायाम का महत्व आरंभ से ही होता है। व्यायाम आप में आत्मविश्र्वास को बढ़ाता है और आपके द्वारा नशा मुक्ति में भी सहायक होता है।
जब शरीर में शर्करा की मात्रा कम होने लगती है तो फिर से सिगरेट की इच्छा पैदा होने लगती है। इसलिए शरीर में शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए नशा छोड़ने वाले लोगों को मुंह में स्वास्थ्यकर स्नैक (सौंफ, इलायची आदि) रखने की सलाह दी जाती है। दिनभर थोड़ा-थोड़ा खाना भी आपके खून में शर्करा की मात्रा को अव्यवस्थित होने से बचा सकता है। जब आप नशा छोड़ते हैं तो आपका शरीर मिनटों में ही मरम्मत की प्रिाया शुरू कर देता है। कम वसायुक्त आहार धूम्रपान से हुए नुकसान से उबरने का पहला सुधारक कदम है। डॉक्टरों का कहना है कि नशे से मुक्ति के लिए दिन में 8-10 गिलास पानी पीना बहुत ही फायदेमंद होता है क्योंकि पानी फेफड़ों में जमी गंदगी को निकालता है।
कई अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि नशा करने वाले व्यक्ति के रक्त में विटामिन का स्तर कम हो जाता है। इसलिए नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को डॉक्टर अधिक से अधिक विटामिन का सेवन करने की सलाह देते हैं। डॉक्टरी इलाज के अलावा नशे की लत को छुड़वाने के लिए प्राकृतिक उपचार भी हैं, जो नशा छोड़ने पर होने वाली घबराहट, तनाव और चिड़चिड़ापन कम करने में सहायक होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सबसे पहले इस बात को नोटिस करें कि आपको सबसे ज्यादा सिगरेट की तलब किस समय लगती है। सिगरेट पीने की सबसे ज्यादा जरूरत तब महसूस होती है, जब आप तनावग्रस्त होते हैं या जब देर रात तक दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं या कॉफी पीते वक्त भी कई लोगों को सिगरेट की तलब उठती है। कभी बोर होने पर तो कभी डाइविंग करते वक्त, अलग-अलग तरह के काम करते समय लोगों को सिगरेट की तलब लग सकती है। ऐसे में आप ऐसी योजनाएं बनाएं, जिससे सिगरेट की तलब उठने की स्थिति में कुछ और ले सकें, जैसे- टहलने के लिए निकल जाएं, उस समय चाय पी लें, टॉफी का भी उपयोग किया जा सकता है। कहने का मतलब यह है कि अगर इरादे नेक हों तो कुछ भी असंभव नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आपने सिगरेट छोड़ने का पक्का इरादा बना लिया है तो कुछ नुस्खों पर अमल करके आसानी से मुक्ति पा सकते हैं। जरूरत है तो सिर्फ जज्बे और विश्र्वास की।
– दिव्यज्योति नंदन
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