जिन लोगों की लम्बाई औसत से कम होती है, उन्हें नाटों की संज्ञा दी जाती है। लेकिन जिनकी लंबाई औसत लंबाई से ज्यादा होती है, वह भी जब सड़क पर चलते हैं तो उनकी लंबाई सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। औसत से कम लंबाई किसी भी व्यक्ति के भीतर के आत्मविश्र्वास को खत्म कर देती है तो औसत से ज्यादा लंबाई के कारण भी लोगों को हर समय दूसरों की निगाहों का निशाना बनना पड़ता है।
बहरहाल, यह तो हुई लंबाई के समाजशास्त्र की बात। सवाल है, क्या लंबाई के कम या ज्यादा होने का हमारे स्वास्थ्य पर भी कोई असर पड़ता है? जवाब है- हां, ऐसा होता है।
एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि छोटे कद के पुरुष और औरतों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं औसत लंबाई वाले पुरुष एवं स्त्रियों की तुलना में ज्यादा झेलनी पड़ती हैं। वहीं दूसरी ओर औसत से ज्यादा लंबे लोग भी कम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान नहीं होते हैं। विभिन्न अध्ययनों से यह निष्कर्ष सामने आए हैं कि हमारे देश में महिलाओं और पुरुषों की औसत लंबाई बढ़ रही है। 1907 में महिलाओं की औसत लंबाई 5 फुट 1 इंच थी और पुरुषों की औसत लंबाई 5 फुट 3 इंच थी। आज यह लंबाई बढ़कर ज्यादा हो गई है। महिलाओं की औसत लंबाई 5 फुट 4 इंच और पुरुषों की औसत लंबाई 5 फुट 9 इंच है। इस लंबाई के बढ़ने की वजह लोगों का बेहतर होता स्वास्थ्य है। हमारे स्वास्थ्य पर हमारी लंबाई के पड़ने वाले प्रभाव के विषय में वैज्ञानिकों द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कम लंबाई के स्त्री-पुरुषों में डिप्रेशन, स्ट्रोक लगने आदि की समस्याएं ज्यादा देखी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर ज्यादा लंबाई के लोग कई तरह के कैंसर और हड्डियों से संबंधित बीमारियों से पीड़ित होते हैं।
जिन महिलाओं की लंबाई 5 फुट 8 इंच और पुरुषों की 6 फुट या इससे ज्यादा होती है तो ऐसे लोग गर्दन और कमर दर्द से अक्सर पीड़ित रहते हैं। क्योंकि उनके बैठने का ढंग ज्यादा लंबाई के कारण उचित नहीं होता। उन्हें कम या औसत लंबाई के लोगों से बात करने के लिए इतना ज्यादा झुकना पड़ता है कि उनकी गर्दन में स्थायी दर्द रहने लगता है। इसके अलावा अपनी लंबाई के प्रति यह लोग हर समय सचेत रहते हैं। उन्हें आराम से सोने के लिए और बिस्तर को अपने अनुकूल बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। उनकी लंबाई के अनुरूप हर कुर्सी या डेस्क नहीं होती। जिसकी वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है। यही वजह है कि लंबे लोग डिस्क के खिसकने की समस्या से भी खूब पीड़ित रहते हैं।
ऐसे लोगों को इन तमाम परेशानियों से बचने के लिए अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाने की जरूरत होती है। यदि उनके बैठने व उठने का ढंग सही हो और पेट को वह सही प्रकार से मेंटेन करें तो वह मांसपेशी संबंधित परेशानियों से बच सकते हैं। ऐसे लोगों को उठते-बैठते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें योगासन और मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए। लंबे लोगों में प्रोस्टेट, ब्लैडर और फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका काफी ज्यादा होती है। अधिक लंबाई वाली महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। हॉलैंड में मास्ट्रिक्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार हर 5 सेंटीमीटर लंबाई बढ़ने के साथ महिलाओं में मैनोपाज के बाद कैंसर से पीड़ित होने की आशंका 7 प्रतिशत बढ़ जाती है। इन तमाम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लंबे लोगों को नियमित व्यायाम करना चाहिए और मोटापे से बचना चाहिए। शाकाहार उनमें 40 प्रतिशत कैंसर की आशंका को कम करता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और अनाज तथा दालें कैंसर से बचाने में काफी हद तक सहायक हो सकती हैं। ज्यादा लंबाई के स्त्री-पुरुषों में मोटापे की आशंका भी काफी ज्यादा होती है। ज्यादा लंबाई के बच्चे बढ़ने की उम्र में काफी ज्यादा कैलोरीज लेते हैं जिसकी वजह से लंबाई ज्यादा होने के बावजूद वह मोटापे का शिकार हो जाते हैं।
इस कारण उनमें दिल की बीमारियां और डायबिटीज होने के खतरे ज्यादा बढ़ जाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया मेडिकल स्कूल द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, लंबे लोगों में हार्ट- अटैक होने के खतरे काफी ज्यादा होते हैं। ऐसे लोगों को अपने भोजन में ज्यादा वसा युक्त और मीठे खाद्य-पदार्थ नहीं लेने चाहिए। प्रतिदिन फल और सब्जियां खानी चाहिए। नियमित वर्कआउट करना चाहिए। 5 फुट 2 इंच से छोटी महिलाएं और 5 फुट 7 इंच से छोटे पुरुष भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कम लंबाई के स्त्री-पुरूषों में डिप्रेशन की बीमारी काफी ज्यादा देखी जाती है। चिकित्सकों का मानना है कि कम लंबाई के लोग, ज्यादा लंबाई के लोगों को देखकर परेशान हो जाते हैं। इस तरह के लोग अपनी लंबाई को बढ़ाने के लिए अपने आपको लंबा दिखाकर अपने आत्मविश्र्वास को पुख्ता कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार किसी व्यक्ति की लंबाई और उसमें हृदयाघात होने की आशंका के बीच गहन रिश्ता है। उनके अनुसार कम लंबाई के लोगों में हृदयाघात होने की आशंका काफी ज्यादा होती है। हृदयाघात का मूल कारण उच्च रक्तचाप है। कम लंबाई के लोग उच्च रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए धूम्रपान न करें। प्रतिदिन 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें। अल्कोहल ज्यादा न लें और अपने भोजन में नमक की मात्रा कम रखें। ऐसे लोगों को तनाव से बचना चाहिए और नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करानी चाहिए।
विभिन्न अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि कम लंबाई के लोग ज्यादा लंबाई के लोगों की तुलना में कम पैसा कमाते हैं। अमेरिका में पिं्रस्टन यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में यह नतीजे सामने आए हैं कि लंबे लोग कम लंबाई की तुलना में ज्यादा इसलिए कमाते हैं, क्योंकि लंबाई ज्यादा होने की वजह से उनमें आत्मविश्र्वास ज्यादा होता है और वे ज्यादा तेजतर्रार होते हैं। इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि लंबे लोगों के आईक्यू का स्तर छोटे लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा गर्भावस्था या बचपन में अच्छी डायट लेने से होता है। अच्छी डायट के कारण उनकी न केवल लंबाई ज्यादा होती है, बल्कि उनका दिमाग भी ज्यादा तेज होता है। दिमाग को तेज करने के लिए स्वयं को प्रेरित करना चाहिए। अल्स्टर यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार आईक्यू के स्तर को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि प्रतिदिन सुबह के समय भरपूर नाश्ता किया जाए। इसके लिए ऐसा भोजन खाया जाए, जो दिमाग को तेज करे, जिसमें हाइबर प्रोटीन भरपूर मात्रा में हो।
वैज्ञानिकों द्वारा किसी व्यक्ति के ज्यादा लंबे होने या ठिगने होने की मददगार जीन्स खोज निकाली गयी है। उनके अनुसार एचएमजीएटी जीन्स के कारण कोई भी व्यक्ति लंबा या छोटा होता है। वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक ज्यादा लंबाई वाले पिता के बच्चे लंबे होते हैं जबकि मां की लंबाई का प्रभाव बच्चे पर ज्यादा नहीं पड़ता। बच्चे की लंबाई का ताल्लुक यदि पिता से है तो उसके मोटापे की वजह उसकी मां हो सकती है। पिता का मोटापा जरूरी नहीं कि बच्चे के मोटापे की वजह बने। लेकिन यदि मां का वजन ज्यादा है तो इसका बच्चे के वजन पर काफी असर होता है।
-डॉ. भारत भूषण
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