एक जमाना था, जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन-साथी का चयन किया करते थे और बच्चे बिना किसी आपत्ति के उसे स्वीकार करके अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते थे। यही नहीं, माता-पिता एक निश्र्चित आदर्श की तलाश में भी रहते थे। अगर तलाश दुल्हन की होती तो वह गोरी, लंबे बालों वाली और इकहरे बदन की होनी चाहिए थी। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह कितनी शिक्षित है और कहां काम करती है। दूल्हे की तलाश और भी साधारण थी- आदर्श दूल्हा वह था, जिसके पास डिग्री हो और इसमें भी प्राथमिकता डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस को मिलती थी। अगर वह गोरा या अच्छे परिवार से भी हो, तो इसे सोने पर सुहागा समझा जाता था।
लेकिन अब वक्त बदल गया है। आज की पीढ़ी बिल्कुल अलग किस्म के गुणों की तलाश में है। साथ ही वह तलाश भी अपने आप ही करना चाहती है। जब तक उसे वह आदर्श साथी न मिल जाये, तो वह सिंगल ही रहना पसंद करती है। लेकिन सवाल यह है कि वह किस चीज की तलाश में है? वह गुण क्या है, जो आज की पीढ़ी के आदर्श साथी में होने चाहिए? साइबर युग की युवा पीढ़ी से बात करने के बाद जो संदर्भ में मोटी-मोटी चीजें मालूम हुई वह हैं-
गुणवत्ता नियंत्रण
लुक्स की चिंता करना छोड़ दें। आजकल बाहरी आवरण इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि व्यक्ति का चरित्र। ड्रेस डिजाइनर नगमा सहर कहती हैं, मेरे लिए आदर्श व्यक्ति वही होगा, जो वफादारी और निष्ठा से भरा हो। उसमें जीने की उमंग होनी चाहिए और नये किस्म के एडवेंचर के लिए उसे हर समय तैयार रहना चाहिए जैसे विंड-सर्फिंग और वाइल्ड-लाइफ टैकिंग। मुझे वह व्यक्ति चाहिए, जो वर्तमान में जी रहा हो न कि भविष्य के इंतजार में हो।
आज की महिलाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है। डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर अनीता कुमारी राठौर बताती हैं, मैं अपने कॅरिअर में स्थापित हूं। मुझे ऐसा साथी चाहिए, जो मेरी तरह ही सुरक्षित हो, उसका मोटा बैंक बैलेंस हो और मुझे उपहारों से खुश करता रहे। कुल मिलाकर मैं रईस व्यक्ति की तलाश में हूं, लेकिन वह सुसंस्कृत भी होना चाहिए।
जब संस्कृति की बात चली है तो महिलाएं वास्तव में उस व्यक्ति को पसंद करती हैं, जो कला के बारे में जानता हो। मेरठ विश्र्वविद्यालय की अनामिका परमार कहती हैं, मेरा आदर्श वह होगा, जो संगीत व थियेटर को पसंद करता हो। हम डेट पर भी गैलरी व नाटकों में जाएं और हमें बांधने वाला सूत्र कला हो जिसे हम दोनों पसंद करते हों।
आत्मा का मिलन
अगर लड़कियां आदर्श साथी की तलाश में हैं तो लड़के भी कुछ पीछे नहीं हैं। उन्होंने भी आदर्श साथी की एक सूची बना रखी है। कंप्यूटर प्रोग्रामर तारिक मुमताज कहते हैं, मुझे वह साथी चाहिए, जो आत्मविश्र्वास से भरी हो और जो अपनी बात मनवाना जानती हो। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह हावी होने का प्रयास करे और घर के सभी फैसले अपने आप ही करना चाहे।
दिल्ली विश्र्वविद्यालय के छात्र महेश राजपूत को, सांवली, स्लिम लड़कियां बहुत आकर्षित करती हैं। आज फेयर एंड लवली वूमैन का जमाना नहीं है। जिस्मानी सुंदरता के साथ-साथ उसमें घर के प्रबंधन की सलाहियत भी होनी चाहिए और वह स्मार्ट भी हो।
बहरहाल, आजकल किसी को घरेलू किस्म की लड़की नहीं चाहिए। सेल्स प्रबंधक अमिताभ झा कहते हैं, मुझे ऐसी महिला चाहिए, जिसे पार्टियां आयोजित करने और लोगों से मिलने में परेशानी न हो। ऐसा करने में वह सहज महसूस करे। वह करंट अफेयर्स पर बातें कर सके और हर किस्म के लोगों से सहज स्वभाव से मिल सके। वह कामकाजी भी हो सकती है, लेकिन उसे परिवार को प्राथमिकता देनी होगी।
महिलाएं अगर पुरूषों से अधिक सफल हैं तो आज यह भी कोई समस्या नहीं है। डॉक्टर सुभाष यादव कहते हैं, मुझे इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि मेरी पत्नी मुझसे अधिक सफल हो। लेकिन अधिक कामयाबी मुझ पर हुक्म चलाने का बहाना नहीं बनना चाहिए। मेरे लिए आदर्श महिला वह है, जो संयम बरतते हुए डिप्लोमेटिक हो। साथ ही वह अपने जिस्म के प्रति भी सहज हो और अपनी देखभाल स्वयं कर सकती हो।
– राजकुमार दिनकर
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