वारी मोरा मायका लाल ऐसा नहीं करना रे
वारी मोरा जीत का लाल ऐसा नहीं करना रे
जल उन्डो संसार थोडा तिरना
सुब्द कुब्द दोय नार दोय पर रानीयाँ रे
ज्हांरा न्यारा न्यारा सबाव संत पहचानीयाँ रे
आई कुब्दा नार कुब्दा कर गई रे
दालीयों चौरासी माय जनम डूबोयो रे
आई सुब्दा नार सामो जोयो रे
काडीया चौरासी माय जनम सुधारीयो रे
किन्हें सुनाऊ ज्ञान उठ उठ भागो रे
ज्हारा हिरदो बडा कठोर रंग नहीं लागे रे
नाभी कमल के माय गंगा उपजी रे
कह गया दास कबीर राम रस पीना रे
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