विघ्न विनाशयक गणेशजी

भारत त्योहार प्रधान, धार्मिक आस्था और भाईचारे की भावना प्रधान, आध्यात्मिक देश है। हर दिन, हर सप्ताह, हर महीने कोई न कोई व्रत, त्योहार यहॉं मनाया जाता है, जिसकी वजह से मनुष्य कुछ हद तक अपने पर नियंत्रण कर अंकुश लगा पाता है, संयम रख लेता है, जिससे उसकी स्वयं की उन्नति होती है, विश्वास बढ़ता है, मनोबल विकसित होता है और समाज में व्याप्त बुराइयों, कमजोरियों से बचा रहता है और सारे माहौल में भी उमंग, उत्साह रहता है एवं जीवन से नीरसता खत्म हो जाती है।

प्रत्येक धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार का धार्मिक एवं वैज्ञानिक रीति से अपना महत्व है एवं उनके अनेकानेक फायदे हैं और हमें अनेक प्रेरणाएँ, सबक, सीख देते हैं हमारे जीवन की धारा, सोच को बदल देते हैं

आज गणेशोत्सव सारे विश्व में बड़े ही हर्ष एवं आस्था के साथ मनाया जाने लगा है। घर-घर में गणेशजी की पूजा होने लगी है। लोग मोहल्लों, चौराहों पर गणेशजी की स्थापना, आरती, पूजा करते हैं। बड़े जोरों से गीत बजाते, प्रसाद बॉंटते एवं अनंत चतुर्दशी के दिन मिट्टी से बनाए गणेशजी की मूर्ति को विधिवत किसी समुद्र, नदी या तालाब में विसर्जित करते एवं भारी मन से, विचलित मन से, मायूस होकर अपने घरों को लौट आते है।

गणेशजी का महत्व भारतीय धर्मों में सर्वोपरि है। उन्हें हर नए कार्य, हर बाधा या विघ्न के समय बड़ी उम्मीद से याद किया जाता है और दुःखों, मुसीबतों से छुटकारा पाया जाता है। चूँकि गणेशजी विश्वकल्याणी भोलेनाथ, निराकार, ज्योतिबिन्दुस्वरूप परमपिता शिव के पुत्र हैं तो वे सदैव ही भक्तों की पुकार सुनकर उन्हें हिम्मत, आशा दिलाते एवं उनकी उम्मीदों को पूरा करते हैं। गणेशजी हमें कई सारी शिक्षाएँ देते हैं। तो आइए, हम भी अपने जीवन में उन शिक्षाओं को अपनाएँ।

सर्वप्रथम उनकी विशालकाय आकृति हमें सबक सिखाती है कि हमें सदैव सतर्क रहना चाहिए व हर परिस्थिति, कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और नई-नई बातों को जिज्ञासावश सीखना-समझना चाहिए।

गणेशजी की छोटी-छोटी आँखें हमें एकाग्रता एवं अपने लक्ष्य की ओर ही ध्यान देने की सीख देती हैं। गणेशजी के बड़े-बड़े कान हमें यह शिक्षा देते हैं कि आप दूसरों की बातों को ज्यादा सुनो जो आजकल मैनेजमेंट विषय का मूल सिद्घांत है।

उनका बड़ा पेट सबक देता है कि आप दूसरों की बातों की गोपनीयता, बुराइयों, कमजोरियों को अपने में समा लो, उसे फैलाओ नहीं, इधर-उधर न करो। गणेशजी का छोटा मुख सिखाता है कि कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो। उनका विशाल मस्तक हमें जीवन में श्रेष्ठ और सकारात्मक विचार करने की प्रेरणा देता है।

गणेशजी का वाहन मूषक (चूहा), जिसे उन्होंने नियंत्रित करके रखा, हमें सबक देता है कि जीवन में से चंचलता, दूसरों की बुराई, छिद्रान्वेषण की प्रवृत्ति को खत्म करें।

उपरोक्त महत्व अर्थ को ध्यान में रखकर हम इस वर्ष गणेश उत्सव मनाएँ।

You must be logged in to post a comment Login