हम राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी बनाने और गैरकानूनी गतिविधियों में संशोधन को देर से ही सही, सही कदम मानते हैं। शुक्र है सरकार के कान पर जूँ तो रेंगी, सरकार जागी तो सही। सुबह का भूला घर तो आया, देर से ही भले, आया तो। साथ ही हम हमारे सांसदों और मंत्रियों से अपेक्षा करते हैं कि वे शहीदों का सम्मान करेंगे। पर 13-12-2008 को महज दस ही सांसदों ने संसद पर हमले के शहीदों को श्रद्घांजलि दी- यह शर्म की बात है। ये सब लाल थे भारत माता के, जो शहीद हुए थे। उन्होंने अपनी जान लुटाई भारतमाता के लिए। हमारे पर कर्ज है इन शहीदों का और भारतमाता का फर्ज कह रहा है कि चुकाओ। जिस तरह इन्दिराजी ने ता. 13-12-1971 से 16-12-1971 को फील्ड मार्शल माणेक शाह की अगुवाई में पाकिस्तान को जवाब दिया था, आज भी वैसी ही जरूरत है। जिस जड़ से यह विषभरा फल (आतंकवाद) पैदा हुआ है, उस जड़ ही को काटना चाहिए। देखना है ़जोर कितने बाजू-ए-कातिल में है। यह समय करनी का है, कथनी का नहीं। हमारे देश के राजनेताओं से हमारा अनुरोध है कि वे कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम हमारे जांबाज शहीदों का अपमान तो न करें।
– ओम प्रकाश जैन (हैदराबाद)
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