आसोज बदी एकम से आसोज की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष रहता है जिनके यहाँ पुनम का श्राद्ध होता है वो भादवा सुदी पुर्णिमा को ही होता है। अपने मायतो की तिथि जिस दिन की होती है उसी तिथि को उनका श्राद्ध होता है श्राद्ध पक्ष में जिस दिन अपने मायतो का श्राद्ध होता है उस दिन पण्डित जी को बुलाकर पूजा करवाते है ब्राह्मण भोजन करवाते है, आदमी के श्राद्ध में आदमीयों(ब्राह्मणों) को खाना खिलाते है औरत के श्राद्ध में ओरतों (ब्राह्मणीयों) को खाना खिलाते हैं यथाशक्ति दक्षिणा देते है वैसे एक श्राद्ध में तीन ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। बाई बेटी भानजों को श्राद्ध में विशेष तौर से बुलाना चाहिए। किसी समय श्राद्ध छूट गया हो, अन्यथा तिथि मालुम नहीं हो तो अमावश्या को श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध के दिन खीर व मालपुआ तुरई की सब्जी विशेषतौर से बनानी चाहिए। सब चीजों में तिल डालना चाहिए, सात या पाँच या ग्यारहपुडी से गउगिरास निकालना चाहिए। गउगिरास गायों को देकर ब्राह्मणों को खाना खिलाना चाहिए। वेसे श्राद्ध पक्ष में कागोल डालने का विशेष महत्व है लेकिन हम लोग कागोल (कौआ ग्रास) नहीं डालते है। आसोज सुदी एकम के दिन नानश्राद्ध करते है।
श्राद्ध पक्ष की कहानी
एक भाई थो, एक बेन थी, भाई रो नाम जोठो थो, बेन रो नाम धो धां, हो भाई आपरी लुगाई ने कियो कि मे तो गयां जाऊं श्राद्ध करणने सिराधां में म्हारी बेन न पन्दर दिन चोखी तरह जिमाइजे, लुगाी बोली ठीक है, भाई तो चल्यो गयो, भोजाई रोजीने ननद न बुलाती दो फलका देकरभेज देवंती एक दिन बिके बाप को श्राद्ध आयो भोजाी ननद न बोली बाइजी थे तो बेगा आ जाइज्यो काम करणो है, टाबरा न केय दिज्यो पेड हिले तो आइज्यो पान हिले तो मती आइज्यो ननद टांबरा के ककेय कर आयगी कि थे, नाले कने मुन्डो मांड र बैठ जाइज्यो, में चावलां को माड नाले में गेरुंगी थे पी लिज्यो चावल को माड भोजाई नाले में गेरण कोनी दियो कि बाइजी आज बापूजी को श्राद्ध है, नाले में मती गेरीजी शाम को बाझी खरा जावण लागी तो भोजाी चार फलका देकरभेज दी बेटी आपर घरागई तो बहुत रोई बिरा आसूं बिरे बाप खने गिरिया, बाप बेटी के सपने में आयो, बेटी रोई क्यूं तोबोली भोजाई थाने तो खीर मालपुआ जिमाया मे तो भुखा मरती सो रही हूँ, तो बाप बोल्यो बेटी रो मती थारे घर रेबारे जीको कचरो पडियो है बिने घर में गेरले थारे सब कुछ होजासी बेटी बियान ही करियो सुबह उठ कर देखे तो नौ खण्डा महल, चौराजी दिया,पटिया पोए, जडिया जडे, मोटर,कारां, नव निधि तेरा सिधि हुगया, बठीने गयाजी में भाईबाप को पीन्ड दान कररयो थो तो खून का टोपा पीन्डा पर पडिया भाई बडा-बडा पण्डिता न पुछ्यो कि आ कांई बात है,पीण्डा पर खूनका टोपा किया पडिया, पण्डित बोल्या थारे घर में कोई बेन बेटी कलपी है, भाई श्राद्ध बाद में घरा आयो, लुगाइ न पुछ्यो कि म्हारी बेन ने जिमाती कांई, तो लुगाई बोली हां जी घणी ही सोरी जिमाती,लेये देयकर आज ही बिदा करी हूँ। भाई कियो गया श्राद्ध करे आयो हुँ सोसारे परिवार ने जिमासु लुगाई कियो ठीक है, भाई गांव मे नुतो देकर बैन क घरां गयो, ओर बोल्यो बाई काल सगला जीमण न आइज्यो,बाई क घरां तो ठाठबाठ देखकर दंग रेयगयो,बाई बोली हांभाई आस्यां,बाई आपरे टाबरा न कियो कि मामाजी सातबारबुलावण न आवे जद आज्यो कोई- कोई बहानो काड लिज्यो, पुरो गेणो पेंर कर आइज्यो,बहुआ न कियो कि थारा गेणा खोल करथाली कने रख लिज्यो और किज्यो जिमोरे म्हार छल्ला बिन्टी, जीमो रे म्हारी बन पछेली बेटा न कियो थे भी थारां गेणा खोल करथाली खने रख लिज्यो और किज्यो जीयो रे म्हारा डोरा कण्ठी,जीमोरे र म्हारीबटन घडिया टाबर मामार घर जाकर बियान ही करियो भाई आपरी बेन न पुछयो बेन ओ कांई, बेन बोली भाई इ गेणे न ही जीमावे, म्हाने कुण जीमावे ए देख पन्दर दिना रा दो-दो फलका ए बापूजी र श्राद्ध रा चार फलका भाई तो देखतो ही रेयगयो, दस-पन्दरा दिन बाद भाई घरां आकर उदास मुन्डो कर बैठ गयो, लुगाई बोली कांई बात है, इता उदास क्यूं हो तो बोल्यो थारे पीर में आग लागगी, सारो बल गयो तुं कि देवे तो म्हे पहुंचा कर आ जाऊं आ सुणता ही बिरी लुगाई सारो सामान, घी, तेल, आटा, चीणी दाल-चावल, गाडा भर भर तैयार कर दिया भाई बोल्यो कि बीच रस्ते में म्हारी बेन को भी घर पडे है तुं किं देवे तो बीरे वासते भी ले जाऊं तो बोली हां-हां क्यूं नही, ननद बाई ने तो पेली भेजुं, बाई सवासणी रे परताप सूं ही तो धन हुवे भोजाईं तांबे रो बडो सारो घडो लियो बीमे सांप, बिछु, झहरीला जानवर डाल करलाल कपडें सुं मुन्डो बान्ध दियो, और बोली रास्ते में खोली ज्यों मती, म्हारा बाइजी रे हाथ में दिज्यो और आपेरे बेटे न साथे मेज्यो कि तुं ध्यान राखजे थारा बापूजी भुवा न कांई-कांई देवे। दोनु बाप बेटा चलिया,बेटो बोल्योबापूजी इने तो भुवाजी रो घर है बाप बोल्यो तुं कि बोल मती देखतो जा जाकर सारो सामान आपरी बेन क घरां उतार दियो और घडो लेकर सासरे गयो। औस सासु न कियो कि भीतर कोठे में जाकर अन्धेरो कर र खोलज्यो बारा नढोल बजाइयो, थांरी बेटी थांके तांई धन भेज्यो है, सासु बियां ही करियो, सासुं न सांप बिछु खावण लाग्या, तो सासुं बोली बारे बाजे ढोल नगारा मने बिछु खांय रखाय, बठिने बाप बेटो घरां आया, माँ पुछी बेटा किने दियो, बेटो बोल्यो किगाडा तोभुवा र घरदिया, घडो नानी र घरे दियो, लुगाई सोची अब तो मने भी बदलो लेणो है लुगाई ओड र सोयगी, बिरो धणी पुछयो कांई हुयो तो पण्डित के वे म्हारी तो तबियत घणी खराब है, तो पुछयो कियां ठीकहुसी तो केवे पण्डिता न पुछयो तो पण्डित केवे कि थारा ननद, ननदोई काला कपडा पेर कर,हाथ मुसल, खेम कुसलजग्गी रो घर किसो करता मुन्ड मुन्डा र आवेतो म्हारी तबियत ठीक हुवे, बीरो आदमी कियो कि थारे बिना तो में अधुरो ही हुं, थासुं बढकर म्हारेकांई है, अबार म्हारी बेन ने केवुं तो अबार आ जासी बो आपरी बेन र घरां तोगयो कोनी,सासरे, जाकरुदास हुयकर बैठगो सासु पुछी कंवरजी कांई हुयो, तो बोल्यो थांकी बेटी घणी बीमार है,घणी दवाई करवादी ठीक ही कोनी हुवे, पण्डिता न पुछायो तो केवे कि इका माँ-बाप, मुन्ड मुन्डा र काला कपडा पेर करहाथ मुसल, खेम-कुसलजग्गी रो घर किसो करता आवे तो बचे नहीं तो कोनी बचे सासु बोली म्हारे तो एक ही बेटी है, बिरे वासेत तो में थे केवो जीयां ही करलेवां, बिरा माँ-बाप बियान हीकरता आया, बहु सोची ननद-नणदोई आयाहै,सो वा उपर चढकर बोली इी बनी र कारणे, ननदल नांचे बारने, आ सुणता ही बीरो घणी बोल्यो देख बने री फैरी, अम्मा तेरी है की बेन मेरी,लुगाई र तो आग-आग लाग गी, थोडा दिन हुया तो घणी न बोली म्हारे तोसांझ-साझुली रो बरत है, तो घणी बोल्यो ओ कांई हुवे, को केवे हुवे तो बोल्यो कर ले, बां बरत करियो, मैत ने पुजुं सांझ- सांझुली मरजो म्हारी ननद-ननदुली घणीसुण्यो कि टीक है, थोडा दिनहुया, घणी बोल्यो म्हारो आज ऊभ घोटालेरो बरत है, बोली ओ ऊब घोटालो कांई हुवे, तो केवे साझ-सांझुली हुवे जियान ही ऊब घोटालो हुवे, तो केवे ठीक है, बो बरत करियो मै तने पुंजु अब घोटाला, मरजो सुसरा दोनु साला। श्राद्ध मैं बेन बेटीया न खूब खुश राखणी चहिजे, तो ही पितरेसर तरपण लेवे।
खीर बनाने की विधि :- एकलीटर दूधको अच्छे से सिजा कर उसमे 50 ग्राम चावल डालते हैं, चावल अच्छी तरह सीज जाते हैं तब 100 ग्राम शक्कर की हलकी सी चासनी बनाकर खीर में डाल देते हैं उपर से इलायची, केशर, बादाम, पिश्ता, डाल कर 10 मिनीट सीजाकर उतार लेते हैं।
मालपुआ :- मालपुआ इस तरह से बनाते हैं।
सादे मालपुए – 500 ग्राम आटा, 500 ग्राम, शक्कर मिलाकर घोल बनाते हैं उसमें केशर, इलायची डालते है तवी चढाते हैं, घी डालते है घी गरम होने पर चम्मच से छोटे-छोटे मालपुए बनाते हैं।
रबडी के मालपुए – 1 1/2 लटिर दूध को गाढा सीजाते हैं, उसमें 500 ग्राम आटा डालकर घोल बनाते हैं, उसमें केशर इलायची डालते हैं, 500 ग्राम शक्करकी पतली चासनी बनाते हैं, तवी चढाकर घी मे मालपुए तलते हैं, जब अच्छे सिक जाते है तो चासनी में डुबो-डुबो कर निकाल कर चलनी में रख देते हैं ताकि अतिरिक्त चासनी निकल जावे।
छने के मालपुए – रबडी के मालपुए की तरह ही बनाते है, लेकिन इसमे 1 लिटर दूद को फाडकर उस छने को आटे में मिक्स करके घोल बनाते है।
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