राजकोट के अलेड हाईस्कूल की घटना है। हाईस्कूल का मुआयना करने आए हुए थे, शिक्षा विभाग के तत्कालीन इंस्पेक्टर जाल्स। नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उन्होंने श्रुतिलेख (इमला) के रूप में अंग्रे़जी के पॉंच शब्द बोले, जिनमें एक शब्द था, “”केटल।” कक्षा का एक विद्यार्थी मोहनदास इस शब्द के हिज्जे ठीक से नहीं लिख सका। मास्टर साहब ने उसकी कापी देखी और उसे अपने बूट की ठोकर से इशारा किया कि वह अगले विद्यार्थी की कापी से नकल करके स्पेलिंग (हिज्जे) ठीक लिख ले, पर मोहनदास ने ऐसा नहीं किया। अन्य सभी विद्यार्थियों के सभी शब्द सही थे। अकेले मोहनदास इस परीक्षा में शत-प्रतिशत रिजल्ट न दिखा सके। इंस्पेक्टर के चले जाने के बाद मास्टर ने कहा, “”तू बड़ा बुद्घू है मोहनदास। मैंने तुझे इशारा किया था, परन्तु तूने अपने आगे वाले लड़के की कापी से नकल तक नहीं की। शायद तुझे अकल ही नहीं।” मोहनदास ने दृढ़ता से कहा, “”ऐसा करना धोखा देने और चोरी करने जैसा है, जो मैं हर्गिज नहीं कर सकता।” यही बालक मोहनदास आगे चलकर राष्टपिता महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्घ हुआ। भला बापू को कौन नहीं जानता? महात्मा गांधी सत्य के अनुयायी थे। उनकी ऩजर में सत्य ही ईश्र्वर था। वह उसी की साधना में जीवन भर लगे रहे। वे अपने जीवनकाल में ही पौराणिक पुरुष बन गए थे।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post
सत्य ही शिव है added by सम्पादक on
View all posts by सम्पादक →
You must be logged in to post a comment Login