तीस वर्षीय रब्बी शेरगिल हैरान तो हैं कि उनके पहले ही अलबम रब्बी में सूफी अध्यात्म और दर्शन के अलावा ऐसा क्या था कि उसकी एक लाख से अधिक प्रतियां ही नहीं बिकीं बल्कि वह तमाम चैनलों पर नम्बर वन रहने के बाद आज भी लोगों की जबान से उतरा नहीं है। आज अधिकतर सफेद पगड़ी बांधने वाला और खुली दाढ़ी एवं चश्मा चढ़ाए वह युवक अब संगीत की दुनिया का नया सूफियाना शैली को लोकप्रिय बनाने वाला धूमकेतु सरीखा बन गया है। अब एक बार फिर उनकी चर्चा हो रही है। इसकी वजह है उनका नया अलबम “आवेंगी जा नहीं’ लम्बे अरसे बाद बाजार में आया है। यही नहीं दिलेर मेहंदी के बाद उन्हें अब अलबम रिलीज करने वाली कम्पनी यशराज म्यूजिक कैम्प में भी महत्वपूर्ण गायक माना जा रहा है।
अपने तीन साल लगा दिए नया अलबम लाने में?
मैं संगीत बाजार का हिस्सा नहीं हूं। सो जब तक कुछ अलग कर पाने का आत्मविश्र्वास नहीं आया तब तक मैंने काम शुरू नहीं किया। मेरे पास इसे इटली में शूट करने लायक सुविधाएं और नए संगीत का समन्वय जब तक एकत्र नहीं हो गया मैं इंतजार करता रहा। इसमें मैंने हिन्दी अंग्रेजी और ग्रीक में बजाए जाने वाले वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया है।
इस नए अलबम का मुख्य आधार क्या है? “आवेंगी जा नहीं’ का अर्थ क्या है?
दरअसल मैं अपनी बहनों से बहुत प्रेम करता हूं। लड़कियां पृथ्वी पर एक सौगात हैं। मैंने यह अलबम अजन्मी लड़कियों को टिब्यूट किया है। मैं इस गम्भीर मुद्दे को संगीत के जरिए बताना चाहता हूं। मैं बल्लो नाम से एक अलबम निकालना चाहता था, इस अलबम में मैंने बल्लो नाम का वीडियो शामिल किया है, जो मेरे ही आइने को मुझे दिखाने वाला है।
आपको लगता है कि बॉलीवुड के इस तेज संगीत वाले जमाने में आप जमे रहेंगे?
नहीं जानता। मेरी मंजिल फिल्में नहीं हैं, पर जब कोई बढ़िया मौका मिलता है तो कर लेता हूं। मैंने अपना एक गीत “हिज्जर दा’ पूजा भट्ट को देने से मना कर दिया था। दरअसल फिल्में हमारे प्राचीन गायन की परम्परा को खा गई हैं। वहां आत्मा नहीं है।
आप बाबा बुल्लेशाह से खासे प्रभावित हैं?
हां, लेकिन मेरे गीत- संगीत में जो सुफियाना शैली और अंदाज दिखाई देता है वह मेरे पारिवारिक माहौल की देन है। मेरी मॉं पंजाबी की कवयित्री हैं और मेरे पिता गुरबानी गाने वाले। इसलिए मैंने जो गीत लिखे उनमें बुल्ले शाह की तरह प्रेम और भक्ति तत्व बना हुआ है। मैं आज जो कुछ भी हूं वह अपने अनुभवों और स्मृतियों के कारण हूंं।
सुना है ए आर रहमान जैसे लोग भी आपके प्रशंसकों में हैं?
पता नहीं। पर मैं खुश होता हूं जब ऐसी खबरें मिलती हैं। वरना अपनी मॉं के सात सौ रुपये वाला गिटार बजाकर कॅरियर शुरू करने वाले को कौन जानता था? लेकिन लोग आज मुझे इंडीपॉप का सबसे मशहूर चेहरा मानते हैं। यह मेरी उम्मीदों से अलग है।
क्यों आप तो गाने के लिए अमेरिका जाना चाहते थे न?
मेरे पिता चक मिश्री खान में कीर्तन गायक थे उन्हीं को सुनकर मैंने सोचा था कि मैं गायक बनूंगा। उनके स्वर में जो प्रेम और भक्ति थी वह मैंने दुबारा नहीं सुनी। इसीलिए मैंने तीन बार अमेरिका बोस्टन संगीत कॉलेज का वीजा ठुकरा दिया। मेरी मॉं चाहती थीं कि मैं ऐसा कुछ करूं जिस पर वे गर्व करें। मुझे लगता है कि आज एक मुस्लिम संत की सबसे अधिक रचनाएं गाने वाले अपने बेटे पर वे गर्व कर सकती हैं।
आप खुद को सूफी गायक मानते हैं?
नहीं। बुल्लेशाह नहीं जानते थे कि वे किस सम्प्रदाय के हैं। वे केवल मानवीय रिश्तों के प्रेम के प्रतीक थे। मैं शहरी समाज में रह रहे दोहरी समझ और समाज वाले लोगों के बीच सिर्फ खुद की अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे विचार और भक्ति के तत्व बस मिल-जुल गए हैं।
आप आज भी खासे शर्मीले हैं?
हंसते हैं, शायद इसीलिए मैं कभी लड़कियों के साथ घुलमिल नहीं पाया। स्त्री के नाम पर मैं आज भी अपनी मॉं और बहनों के करीब हूं। इसलिए अपने एलबम में मेरी बहन बल्लो के नाम से गीत है। वह मेरी फैवरिट है।
लोग आपकी गायकी की इतनी कद्र करते हैं पर आप फिल्मों से दूर रहने की कोशिश करते हैं, जबकि बिग बी तक आपके “बुल्ला की जाना’ की तारीफ कर चुके हैं?
यह उनका बड़प्पन है। मैं उनसे दो बार मिला हूं। उन्होंने अपनी पहली मुलाकात में कह दिया था कि तुम्हारी आवाज में कुछ है। उनके जैसा आदमी दुनिया में केवल एक बार आता है। वे कई स्तरों वाले अभिनेता हैं। वे पहले अभिनेता हैं जिन्हें एक साथ कई पीढ़ियां पहचानती और जानती हैं।
लेकिन हमारे यहां सूफियाना गायकी को वह दर्जा नहीं मिला जो पाकिस्तानी गायकों को मिला है?
ऐसी बात नहीं है। पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है, जहां पीर मजारों पर दर्शन अध्यात्म के अनगिनत तत्व मिलते हैं। वहां मजारों पर गाने वालों की कमी नहीं पर मैं कभी मजारों पर नहीं गाता। मुझे यह शैली प्रभावित करती है। नुसरत और आबिदा जी बड़े सूफी गायकों में आते हैं। मैं उतना बड़ा गायक नहीं हूं। बुल्ले शाह ने कहा था कि वे नहीं जानते कि वे कौन हैं, जिस दिन मुझे पता लग जाएगा मैं गाना बंद कर दूंगा। मेरी हालत वैसी ही है।
– रब्बी शेरगिल
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