सर्दी आई, लगा काटने
बर्फीला पानी।
नाम नहाने के आ जाती
हमें याद नानी।
आठ बजे ही विद्यालय
अपना खुल जाता है।
सात बजे ही रिक्शेवाला
लेने आ जाता है।
किसे बताएँ नित्य सुबह की
यही समस्या है।
जैसे हर बच्चे को करनी
यही तपस्या है।
अच्छे बच्चे कहलाने को
सब सह जाते हैं।
भारी बस्ता बांध पीठ पर
शाला जाते हैं।
पढ़-लिखकर विद्वान बनेंगे
गुणी कहायेंगे।
जीवन की दौड़ में हमेशा
आगे जाएंगे।
– सीताराम गुप्त
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