वर्ष में दो-चार बार हमें सर्दी-जुकाम और खांसी आदि जकड़ लेती है, हम तुरंत ही दवा लेने के लिए डॉक्टर के पास दौड़े चले जाते हैं, थोड़ा सब्र-संतोष, विचार नहीं करते कि प्रकृति हमारे शरीर के अन्दर उत्पन्न विजातीय पदार्थों (दूषित पदार्थ, जो स्वेद, कफ के रूप में इकट्ठा हो गया है) को निकालने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा कर रही है, अर्थात् ठीक करने का उपाम कर रही है। ये विजातीय पदार्थ चाहे किसी कारण उत्पन्न हुए हों, अर्थात हमारे खान-पान की अनियमितता या जल और वायु-प्रदूषण के कारण, लेकिन हम दवा पर दवा खाकर उन्हें अंदर ही अन्दर रोकना चाह रहे हैं, बुखार को बुलाना चाह रहे हैं, फिर ज्यादा दिन बुखार रहने पर टाईफाइड को बुलाते हैं और इस तरह बिस्तर पर पड़े रहकर स्वयं कष्ट भोगने का उपाम करते जा रहे हैं और साथ ही परिवार वालों को कष्ट दे रहे हैं। जब इस प्रकार आपको कभी सर्दी-जुकाम हो जाए, तब आप बिल्कुल परेशान मत होइए, जो अन्दर की गंदगी जा रही है, उसे खुशी-खुशी बाहर जाने दीजिए, क्योंकि अन्दर रहकर वह बेचैन है, कैद है, इसीलिए वह बाहर जाना चाहती है और हम दवा खाकर इसे आजाद होने से वंचित कर रहे हैं। खाई हुई दवाएं और दूषित पदार्थ मिलकर ऐसा विष उत्पन्न करते हैं, जो हमारे रक्त में मिलकर बुखार, टायफाइड जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।
सर्दी-जुकाम में पांच-सात दिन दवा खाने से बचिए। इस प्रकार का रोग होने पर आपने पांच-सात दिन अपने आहार-विहार पर ध्यान दिया तो वह स्वतः ही समाप्त हो जाएगा और घरेलू उपचार से ही काम चल जाएगा।
सर्दी-जुकाम में घरेलू उपचार
- पांच-सात दिन तक जल को उबालकर, थोड़ा गुनगुना करके दिन में कई बार प्रयोग करें।
- इस बीच तले, गरिष्ठ, ठण्डे और अधिक मीठे आदि खाद्य-पदार्थों का सेवन न करें, अर्थात् जो खाद्य-पदार्थ कफ की मात्रा बढ़ाते हैं, उनका सेवन नहीं करें।
- भुने हुए चनों के साथ थोड़ा गुड़ या मुनक्का का प्रयोग करें।
- गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर गरारे करें, गले को आराम मिलेगा।
- सर्दी-जुकाम में एक्युप्रेशर पद्घति का इलाज बहुत उपयोगी है। इसमें आप अपने पैरों व हाथों की अंगुलियों की पोरों (अंगुलियों के अग्रभाग) पर दबाव दें, यह दबाव आप स्वयं अपने हाथ की अंगुलियों या जिमी (दबाव देने की लकड़ी) से दे सकते हैं और यदि ये भी न कर सकें तो आप अपने मकान की छत या खुली जगह में छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर बिछाकर, उन पर नंगे पैर पांच पन्द्रह-बीस मिनट चल सकते हैं, ऐसा करने से आपके कई बिन्दुओं पर दबाव पड़ेगा, जिससे स्वस्थ रहने में आपको मदद मिलेगी। स्वस्थ रहने के लिए इसे प्रतिदिन भी किया जा सकता है।
- नींबू की चाय बिना शक्कर वाली या थोड़ा गुड़ डालकर दिन में एक-दो कप पिएं।
- कुंजल िाया एक ऐसी वैज्ञानिक पद्घति है, जिसके आविष्कारक हमारे ऋषि-मुनि हैं। शरीर के विजातीय पदार्थों को बाहर निकालने का इससे बढ़िया कोई उपचार नहीं है। तीन दिन प्रातःकाल में इसे कर लिया जाए तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि सर्दी-जुकाम-खांसी कहां गई। यह क्रिया निरापद है, अर्थात् इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
कुंजल कैसे करें
वैसे तो इस क्रिया को किसी योग गुरु के सान्निध्य में करें, लेकिन यदि आपका मन संकल्पित है तो िाया बहुत आसान है। इसे करने में कठिनाई नहीं है। आप एक लीटर शुद्घ पेयजल लें। उसे आंच पर हल्का गुनगुना कर लें, फिर इसमें एक-दो छोटा चम्मच सेंधा या सादा नमक मिला लें। साथ ही सादे जल से भरा एक पात्र अर्थात् बाल्टी आदि लेकर स्नानगृह या जहां जल की निकासी का मार्ग हो, वहां आ जाएं, साथ में एक मग रखें और उकडू बैठ जाएं। अब गुनगुने नमक मिले जल को जल्दी-जल्दी पी जाएं, तुरन्त कमर के बल झुककर, बायें हाथ से अपना पेट दबाएं और दाहिने हाथ की तर्जनी (पहली अंगुली) व मध्यमा (बीच की अंगुली) अंगुलियों को गले में धीरे-धीरे डालकर उल्टी करने का उपाम करें, जो जल आपने पिया है, वह धीरे-धीरे बाहर आएगा और उसी के साथ आएंगे, वो विजातीय पदार्थ, जिनके कारण आपको सर्दी-जुकाम हुआ है।
– राजेश चा
You must be logged in to post a comment Login