साथी की नापसंद का भी रखें ख्याल

वैसे तो जीवन में हर स्तर पर व्यक्ति अपने जीवनसाथी की पसंद-नापसंद का ख्याल रखता है। लेकिन यह बात अत्यंत आवश्यक हो जाती है- शयनकक्ष में। जब युगल ख्वाबगाह में परस्पर प्रेम का आदान-प्रदान करते हुए रति क्रिया में संलिप्त होता है, तो एक-दूसरे की पसंद-नापसंद के बारे में जानना और उसी के अनुसार क्रिया करते हुए एक-दूसरे को संतुष्टि प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। दरअसल पसंदीदा कार्य चाहे ना हो अर्थात् पसंद का ख्याल चाहे एक बार ना भी रखा जाये, किंतु नापसंद क्रिया होते ही व्यक्ति का मूड तुरंत खराब हो जाता है, जो घातक है प्रेम क्रीड़ा के दौरान। आइये जानें, सहवास के दौरान पुरुषों और महिलाओं को क्या नापसंद है?

क्या नापसंद है महिलाओं को –

सेक्स के दौरान महिलाओं को प्रभावित करने के लिए एकदम आज्ञाकारी या मासूम बनने की आवश्यकता नहीं। प्रत्येक स्तर पर आज्ञा-सी प्राप्त करते हुए “ठीक है न’, “कोई परेशानी तो नहीं’ इत्यादि कहना हास्यप्रद तो लगता ही है, साथ ही मूड भी ऑफ हो जाता है। याद रखें, अच्छा प्रेमी जानता है कि सेक्स के दौरान कैसे अपनी प्रेमिका को बिना किसी संवाद के अपनी क्रियाओं से अवगत ही नहीं करवाया जा सकता है, अपितु उसे पूर्णरुपेण अपने रंग में रंगा जा सकता है। यौन क्रिया के लिए उसकी सहमति प्राप्त करने के लिए भी मात्र एक ऩजर या प्रेम भरा स्पर्श ही पर्याप्त है, बनिस्पत हास्यप्रद संवाद बोलने के।

अधिकांश महिलाओं का मानना है कि बिना प्रेमपगी भावनाओं एवं कामोत्तेजना के, यौन क्रिया मात्र एक उबाऊ, नीरस और अर्थहीन-सी क्रिया बन कर रह जाती है। ऐसी स्थिति से अधिकतर महिलाएँ बचना चाहती हैं। क्यूंकि कुछेक अपवादों को छोड़ दिया जाए तो, महिलाएँ सहवास के दौरान बेजान गुड़िया या मात्र दूसरे की हवस की पूर्ति का साधन नहीं बनना चाहतीं बल्कि उन्हें पसंद होता है सेक्स के दौरान परस्पर प्रेम का आदान-प्रदान। वस्तुत: महिलाएँ तो सेक्स को प्रेम से ही जोड़ कर देखती हैं। अतः सेक्स के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि यह संवेदनाशून्य मशीनी क्रिया मात्र बन कर ना रह जाये।

पति-पत्नी हों या प्रेमी युगल, ़जाहिर-सी बात है कि लम्बे समय तक साथ रहते-रहते वे एक-दूसरे के सभी प्रकार के गुणों और अवगुणों से वाकिफ हो जाते हैं। ऐसे में रतिक्रिया के दौरान भी एक-दूसरे के प्रत्येक स्टेप और क्रियाओं से वे वाकिफ रहते हैं। अतः रोमांचक सेक्स की गुंजाइश थोड़ी कम हो जाती है। घबराइये नहीं, बस जरूरत है तो अपनी कल्पनाओं को विस्तार देने की, और देखियेगा- अनंत संभावनाओं के मार्ग खुद-ब-खुद खुलते चले जाएँगे। मसलन- स्थान परिवर्तन, शैली परिवर्तन तथा समय परिवर्तन इत्यादि से भी कई बार बात बन जाती है।

शयनकक्ष में अधिकांशतः महिलाओं को सेक्स के दौरान अपने साथी द्वारा ना तो अत्यधिक आवाजें करना या बातें करना पसंद आता है और ना ही साथी द्वारा एकदम चुप्पी साध लेना ही उन्हें सहन होता है। दोनों ही स्थितियॉं उन्हें अति नागवार गुजरती हैं। बेहतर होगा कि दोनों स्थितियों में संतुलन बनाकर चलें। आपकी भावनाओं और सुखद अहसास का इ़जहार आपके साथी तक ही होना चाहिए, ऐसा ना हो कि पड़ोसियों का मनोरंजन होने लगे। इसके अतिरिक्त, सहवास के दौरान संवेगों के अतिरेक में कहे जाने वाले तथा अपने साथी की प्रशंसा में कहे जाने वाले शब्दों में भी हेर-फेर अर्थात् परिवर्तन करते रहें। याद रहे, एकरसता किसी भी स्तर पर नीरस हो जाती है। अतः महिलाएँ इस स्तर पर भी बदलाव पसंद करती हैं।

बात जब बदलाव की आती है, तो दांपत्य जीवन में साथ चाहे कितना ही पुराना क्यूं ना हो, बदलाव के तौर पर तरह-तरह के प्रयोगों से जीवन में रोमांचकता लायी जा सकती है। सेक्स जीवन में अगर नीरसता छाने लगे तो तजुर्बों से गुरेज नहीं करना चाहिए। ऐसे में बहुत कुछ किया जा सकता है। बस उपयुक्त माहौल में अपने साथी से बात कीजिए और उसकी सहमति से अपनी कल्पनाओं के पंख पसार कर अपने सेक्स जीवन में विविध-रंग भरिये। जानिये कि उदासीनता या नीरसता को रोमांच और अप्रत्याशित क्रियाओं से समाप्त किया जा सकता है। कोई भी महिला किसी भी “विफल प्रेमी’ कहलाये जाने वाले व्यक्ति का साथ पसंद नहीं करती। यहॉं विफल प्रेमी का अर्थ प्रेम में धोखा खाये व्यक्ति से नहीं बल्कि शयनकक्ष में विफल या उबाऊ एवं नीरस व्यक्ति से है।

जाहिर सी बात है, महिलाएँ अपने साथी के रूप में कोई यौनाचार्य नहीं चाहतीं, बल्कि वे अपने रिश्तों में गहराई चाहती हैं और चाहती हैं कि उनका साथी इस दिशा में प्रयासरत हो।

You must be logged in to post a comment Login