दिल्ली परिवहन निगम की एक बस में लिखा था – लेट मैं नहीं हूं, लेट आप हैं। इसलिए मैं तो अपनी चाल से ही चलूंगा। अगर आपको जल्दी पहुंचना था तो अपने घर से जल्दी निकलना था। संभवतः यह वाक्य डीटीसी ने उन सवारियों को सबक देने के लिए बस में लिखवाया हो, जो लगातार ड्राइवर को जरा तेज चलो की हिदायत देते रहते हैं।
मगर देर से निकल कर जल्दी पहुंचने की ख्वाहिश सिर्फ बसों में सफर करने वालों की ही नहीं होती। यह तो वास्तव में आज की व्यस्त जिंदगी में हर इंसान की ख्वाहिश बन गयी है। चाहे दफ्तर जाना हो, चाहे कॉलेज जाना हो, बाजार जाना हो, खेलने जाना हो, पिक्चर देखने जाना हो, गर्ज यह कि कहीं भी जाना हो। घर से निकलते ही हमें देर होने लगती है और हम आपाधापी मचाने लगते हैं।
युवाओं के तो खासतौर पर यह स्वभाव का हिस्सा है कि वह कहीं जाने के लिए निकलने में पहले खूब देर करते हैं और फिर जैसे ही सड़क पर आते हैं तो दौड़कर नहीं उड़कर वहां पहुंचना चाहते हैं। इस कारण देखा गया है कि सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट युवाओं द्वारा ही किए जाते हैं। निजी वाहन को ड्राइव करते समय जितने एक्सीडेंट होते हैं, उनमें 70 फीसदी से ज्यादा एक्सीडेंट करने वाले युवा होते हैं। वजह वही होती है, सड़क पर आपाधापी मचाना। घर, दफ्तर, मीटिंग, डेटिंग कहीं भी पहुंचना हो, उन्हें जल्दी रहती है।
इसी जल्दबाजी के चलते ज्यादा से ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं। ड्राइविंग का प्रशिक्षण देने वाले मोहन लाल कहते हैं, युवाओं को हर पल जल्दी रहती है। डेटिंग में जा रहे हों तो भी जल्दी, घर से दफ्तर जा रहे हों तो भी जल्दी और ऑफिस से घर आते समय भी जल्दी में रहते हैं। यही कारण है कि वह ज्वायराइड नहीं करते। हालांकि तेज चलाकर वह ड्राइविंग का लुत्फ उठाना चाहते हैं, लेकिन यह उनकी भूल होती है। वह अंधाधुंध गाड़ी चलाकर ड्राइविंग को इंज्वाय नहीं कर होते अपनी ज़िंदगी को सांसत में डाल रहे होते हैं। अगर आप में अनुशासन हों तो आग उगलते गर्मी के इन दिनों में भी ज्वाय राइडिंग कर सकते हैं। बस ज्वाय राइड करने के लिए इन पांच बातों का हमेशा ध्यान रखें-
-खिड़की बंद करें, ए.सी. चालू करें और म्युज़िक चलायें।
-तनाव, परेशानी और विचलन आमतौर पर बाहर की भीड़, बातों, गर्मी और उलझनों से होती है। इसलिए शांतचित्त रहें।
ज्वाय राइडिंग करने का पहला उसूल है कि इन चिलचिलाती गर्मियों के दिनों में अपनी कार का दरवाजा खोलें, ड्राइविंग सीट पर बैठें, बेल्ट बांधें, खिड़कियां बंद करें, ए.सी. चलाएं और अपना मनपसंद म्युज़िक ऑन कर दें। दो मिनट तक या 60 सेकेंड चुपचाप यूं ही बैठे रहें। इन चीजों को इंज्वाय करें। इससे आप पूरी तरह से कूल हो जाएंगे। जब बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अपने आपको काट लेंगे तो बाहरी दुनिया के तनाव और झगड़ों से भी खुद को दूर कर लेंगे। फिर होगी ज्वाय राइडिंग।
-कुछ लोग बाथरूम सिंगर होते हैं तो कुछ कार के अंदर के गायक होते हैं। लेकिन यह मजाक नहीं है। एक वित्त कंपनी में नौकरी करने वाली अनुभा दयाल कहती हैं, वाकई जब मैं खिड़की और दरवाजा बंद कर जोर-जोर से गाती हूं तो दिन भर का सारा तनाव मिनटों में छू-मंतर हो जाता है। कार के अंदर इस तरह गाना मुझे अच्छा लगता है। इसलिए जब मैं कार चलाती हूं तो गाना जरूर गाती हूं। लेकिन हां, यह सुनिश्र्चित करने के बाद ही कि खिड़कियां अच्छी तरह से बंद हैं और मेरे बेसुरेपन से किसी को परेशानी नहीं होगी। मोहनलाल जी कहते हैं, वाकई यह न सिर्फ रिलैक्स होने और ज्वाय राइडिंग का सही तरीका है, बल्कि ऐसा करते समय कॉन्सन्ट्रेशन भी सही रहता है।
-ड्राइव से पहले भर पेट खाना खायें
यह वह हिदायत है, जिसकी अक्सर डॉक्टर भी सीख देते हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि कभी भूखे पेट ड्राइव नहीं करना चाहिए। आपने खुद देखा होगा कि जब आप भूखे पेट गाड़ी चलाते हैं तो चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं। इसलिए सुनिश्र्चित करें कि आप भूखे नहीं हैं, इसके बाद ही ड्राइविंग सीट पर बैठें।
-ज्वाय राइड का एक और आधार है, कभी भी गलत लेन में ड्राइव न करें। अगर आप अपनी लेन में ही ड्राइव करते हैं तो किसी तरह के खतरे की आशंका बहुत कम रह जाती है। कई लोग आपके आगे-पीछे ज़िगज़ैग यानी सर्पाकार ड्राइव करके आपको उकसाने की कोशिश करेंगे। लेकिन बेहतर यही है कि इन पर ध्यान न दें और अपनी लेन से चिपके रहें। यह अनुशासन आपको चालान से भी बचायेगा और ड्राइविंग का आनंद भी देगा।
इसके अलावा कुछ ये बातें भी ध्यान में रखें-
- ट्रैफिक सिगनल्स का कड़ाई से पालन करें।
- ओवरटेकिंग से बचें।
- जरूरी हो तभी सही दिशा से ओवरटेक करें।
- बिल्कुल चिपक कर न चलें।
- दो गाड़ियों के बीच फासला बनाये रखें।
- धीरे-धीरे लेन परिवर्तन करें।
- संकरी लेन में गाड़ी को धीरे चलायें।
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