सुन्दर बत्तख

कितनी सुन्दर है यह बतख,

रंग-बिरंगी है यह बतख।

उजली-उजली धूप में देखो,

चांदी-सी चमचम चमके बतख।

पानी में ये बर्फ की जैसे,

बाहर बिल्कुल रूई बतख।

हीरक-सी आँखें मतवाली,

झीलों, नदियों की शोभा बतख।

नदी किनारे लगी रेत में,

हॅंस-हॅंस नाच दिखाती बतख।

भिन्न रंग हैं, भिन्न बोलियॉं,

गीत सुरीला गाती बतख।

हैं अनेक पर रहें एक हम,

यह संदेश सिखाती बतख।

कितनी सुन्दर है यह बतख,

रंग-बिरंगी है यह बतख।

– राजकुमार जैन राजन

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