सुर्खियों में लोग

पुस्तक – सुर्खियों में लोग

लेखक – एफ. एम. सलीम

प्रकाशक – शगूफा पब्लिकेशन, हैदराबाद

मूल्य – 100 रुपये मात्र।

किसी भी पत्रकार को न जाने हर रोज कितने ही लोगों से मिलना होता है – कभी समाचार पाने के लिए, तो कभी समाचार बनाने के लिए। समाचार बनाने के लिए जिन लोगों से भेंट होती है, ़जाहिर है ऐसे लोग समाज में प्रतिष्ठित होते हैं, जिनका समाज में अपना एक स्थान होता है और जो काबिले-गुफ्तगू होते हैं। एफ.एम. सलीम भी एक ऐसे ही पत्रकार हैं, जिन्होंने उन प्रतिष्ठित लोगों से भेंट की और उनका साक्षात्कार छापते रहे। यही नहीं, वे आम आदमियों के भी साक्षात्कार दैनिक पत्र “डेली हिन्दी मिलाप’ में प्रकाशित करते रहे हैं। यह और बात है कि अब उन्होंने कुछ प्रतिष्ठित लोगों के साक्षात्कार को पुस्तकाकार किया है जो सुर्खियों में हैं। उन्होंने हैदराबाद के 27 ऐसे लोगों के साक्षात्कार और जीवनी-अंश को अपनी कृति “सुर्खियों में लोग’ में संजोया है।

“सुर्खियों में लोग’ में सलीम ने ऐसे कलाकारों, साहित्यकारों, अध्यापकों और समाज-सेवियों के साक्षात्कार प्रस्तुत किए हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। साहित्यकारों में शेषेन्द्र शर्मा, कमल प्रसाद “कमल’, विजय राघव रेड्डी, मंजूर अहमद “मंजूर’, मुजतबा हुसैन, वसंत चावर्ती, जीलानी बानू, नरेन्द्र लूथर, मुगनी तबस्सुम, लईक सलाहा, पुष्प बंसल, रुकमाजी राव “अमर’, शमीम जयराजपुरी, सैयद मुस्तफा कमाल, हबीब जिया व गद्दर हैं। कलाकारों में संगीतकार जसराज, चित्रकार जगदीश मित्तल और नाटककार मोहम्मद हिमायतुल्ला से लिये गए साक्षात्कार हैं। स्वतंत्रता सेनानी और हिन्दी-सेवियों में वेमूरि आंजनेय शर्मा, पांडुराव ढगे, को. वैद्यनाथन, विद्याधर गुरुजी तथा राजबहादुर गौड़ के नाम शामिल हैं। सुर्खियों में आए इन लोगों के साक्षात्कार पढ़ते हुए पाठक जब अतीत की गलियों से गुजरते हुए आज के युग में कदम रखता है, तो उसे महसूस होता है कि कितना बदलाव आया है समाज में, और इसी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पं. जसराज कहते हैं – “”समय के साथ शहर बदला है, शहर की परम्पराएँ बदली हैं, लोगों की सोच बदली है। इन सब परिवर्तनों से लगता है कि शहर जिंदा है। बदलाव शहर को जीवित रखता है और उसको सकारात्मक लेना चाहिए।”

हैदराबाद शहर के पुराने रवायात में भी बदलाव आये हैं। निजामिया दौर के बाद आंध्र के गठन के साथ जो बदलाव आये हैं, उन पर दृष्टिपात करते हुए डॉ. आनंदराज वर्मा बताते हैं कि “”1956 के बाद हैदराबाद में काफी परिवर्तन आए हैं। आंध्र से हैदराबाद आने वाले लोग अपने साथ वहॉं की संस्कृति लाये और यहॉं आकर हैदराबाद की तहजीब को भी अपनाया। इससे एक नई संस्कृति ने जन्म लिया। इस नयी संस्कृति का प्रभाव यह रहा कि नये शहर के लोग अपने पड़ोसी को भी नहीं जानते। पहले जैसी मुहब्बत और खुलूस की बातें अब नहीं रहीं।”

“सुर्खियों में लोग’ के माध्यम से कुछ वरिष्ठ व विशिष्ट लोगों के निजी जीवन में झॉंकने का भी मौका मिलता है। आज जो विशिष्ट हैं, उन्हें इस मुकाम पर पहुँचने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ी- इसका भी अहसास यह कृति कराती है। कहीं जीवन की विषम परिस्थितियों से तो कभी अपनी कामना पूर्ण करने के लिए जूझना पड़ता है। कला विशेषज्ञ पद्मश्री जगदीश मित्तल ऐसे एक उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने बचपन की उस घटना को याद किया है जब वे पॉंचवीं कक्षा में पढ़ते थे। छठी कक्षा की पुस्तक का एक चित्र उन्हें भा गया था। उसे पाने के लिए उन्होंने उस छोटी-सी उम्र में तीन मील पैदल चलकर उस पुस्तक को अपने मित्र से एक आने में खरीदा था। (उस समय एक आना भी बहुत कीमत रखता था)।

कुछ ऐसे भी लोगों से भी इस पुस्तक में भेंट हो जाती है जिन्होंने आर्थिक एवं पारिवारिक संकट झेलते हुए हैदराबाद में अपना विशेष स्थान बनाया है। महाकवि शेषेन्द्र शर्मा ने अपना जीवन तेलुगु पत्रिका “जनवाणी’ से प्रारंभ किया था, जहॉं उन्हें 70 रुपये प्रतिमाह मिलते थे। मंच तथा टीवी के प्रसिद्घ कलाकार मुहम्मद हिमायतुल्ला को पिता के देहांत के बाद अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर परिवार का दायित्व निभाना पड़ा था। पद्मविभूषण पंडित जसराज के सिर से पिता का साया उस समय उठ गया था जब वे 4-5 वर्ष के थे।

यूँ कहें तो “सुर्खियों में लोग’ एक ऐसा गुलदस्ता है जिसको विभिन्न रंग और खुशबू के फूलों से सजाया गया है। इस कृति में सम्पन्न लोगों के साहित्यिक, कलात्मक एवं सामाजिक सरोकार भी मिलेंगे तो ऐसे लोगों की जीजिविषा भी- जिन्होंने अपने बलबूते पर हैदराबाद में अपना स्थान बनाया है और आज सुर्खियों में बने हुए हैं। इन लोगों के साक्षात्कार को पढ़ते हुए कभी अतीत के दर्पण में झॉंकने का मौका मिलेगा तो कभी आज के समाज की झलक, कभी हैदराबाद की सजती महफिलों का गुल खिलेगा तो कभी देश के विभाजन की त्रासदी का अहसास मिलेगा। इस त्रासदी को हैदराबाद के प्रसिद्घ कवि कमल प्रसाद “कमल’ ने एक पाकिस्तानी मुशायरे में यूं बयान किया था –

जिसे तुम याद में अपनी तड़पता छोड़ आए हो

तुम्हारी नजर उस बूढ़े वतन का नाम लाया हूँ

जली जाती है जो उजड़ी कोख के शोलों में हरदम

उस अर्ज-ए-दकन का दोस्तों प्रणाम लाया हूँ।

“सुर्खियों में लोग’ से गुजरते हुए पाठक को कुछ ऐसी शख्सियतों से मिलने का मौका मिलेगा जो अब अतीत के पृष्ठों में खो गए हैं और कुछ ऐसे हैं जो आज भी हैदराबाद में सिाय योगदान दे रहे हैं। ऐसी तमाम विभूतियों से पाठक को दो-चार कराने के लिए पत्रकार एफ.एम. सलीम साधुवाद के पात्र हैं। आशा की जाती है कि भविष्य में कभी वे आम आदमी की ़खास बात भी पाठकों के बीच रखेंगे।

– चंद्र मौलेश्र्वर प्रसाद

You must be logged in to post a comment Login