मलेशिया मुस्लिम-बहुल देश है और उसके संविधान का झुकाव बड़ी हद तक शरिअत (इस्लामिक कानून) की ओर है। इसलिए सार्वजनिक स्थलों पर सरकार की ओर से नैतिक मूल्यों को थोपने का अथक प्रयास किया जाता है। फिल्मों में सेक्स दृश्यों को अश्लीलता कहकर सेंसर कर दिया जाता है और मंचों पर कलाकार “भड़काऊ’ डेस नहीं पहन सकते। हद तो यह है कि कोई लड़की जिस्म के उभार दर्शाने वाली टाइट डेस या ऐसी डेस जिसमें उसकी नाभि नजर आती हो, नहीं पहन सकती। इतनी सख्ती के बावजूद आजकल मलेशिया के अखबार अपने नेताओं के सेक्स जीवन से इतने ज्यादा भरे हुए हैं कि ऐसा महसूस होता है जैसे आप कोकशात्र पढ़ रहे हों। दरअसल, मलेशिया की सियासत सेक्स में इतनी ज्यादा उलझ गयी है कि विशेषज्ञों का मानना है कि अगले आम चुनाव का मुख्य मुद्दा सेक्स ही होगा।
सेक्स स्कैंडल में मुख्य रूप से मलेशिया के दो प्रमुख राजनीतिज्ञ फंसे हुए हैं। दोनों ही एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं और अगला प्रधानमंत्री बनने के दावेदार भी हैं। एक पर समलैंगिकता का आरोप है और दूसरे पर आरोप है कि उसके एक मंगोलियाई महिला से अवैध सम्बंध थे जिसकी 2006 में हत्या करा दी गयी।
मलेशिया के अखबारों में इन दोनों नेताओं की तथाकथित सेक्सुअल गतिविधियों के बारे में जो ग्राफिक विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है उसे पढ़ने के बाद तो बिल क्ंिलटन और मोनिका लेविंस्की के अफेयर की खबरें बचकानी और चौथी कक्षा की कहानी ही प्रतीत होंगी। गौरतलब है कि समलैंगिकता का आरोप पूर्व उपप्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम पर है और मंगोलियाई महिला से इश्कबाजी का आरोप मौजूदा उपप्रधानमंत्री नजीब रज्जाक पर है। अनवर इब्राहिम के संदर्भ में अन्य बातों के अलावा गुदा परीक्षण की बारीकियां प्रकाशित हो रही हैं और नजीब रज्जाक के बारे में यह छप रहा है कि जिस महिला उनके सम्बंध थे उसकी सेक्सुअल प्राथमिकता सैड़िज्म (परपीड़ा सुख) थी।
यह पहला अवसर नहीं है जब मलेशिया की सियासत सेक्स में उलझी है। 1998 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को समलैंगिकता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनसे उनकी कुर्सी छीन ली गयी थी। इन आरोपों के साथ-साथ ही यह अंदाजे भी सामने आये थे कि अनवर इब्राहिम की ख्याति बढ़ने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर को खतरा उत्पन्न हो गया था और इसलिए उन्होंने अनवर इब्राहिम को अपने रास्ते से हटाने के लिए समलैंगिकता के आरोप लगाये और जेल भेज दिया। गौरतलब है कि मलेशिया में समलैंगिकता दंडनीय अपराध है और आरोप के साबित होने पर व्यक्ति को 20 वर्ष तक की कैद हो सकती है। हालांकि उस समय अनवर इब्राहिम पर आरोप साबित करने के लिए अदालत में खून से सना गद्दा भी बतौर सबूत पेश किया गया था लेकिन अदालत ने सबूतों को अपर्याप्त और आरोपों को बेबुनियाद पाया और अनवर इब्राहिम को 2004 में बाइज्जत बरी कर दिया।
बरी होने के बाद अनवर इब्राहिम ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनायी जिसे अभूतपूर्व सफलता मिल रही है। फिलहाल वह विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है और ऐसा अनुमान है कि सत्तारूढ़ साझा सरकार का तख्ता पलटने में अनवर इब्राहिम की पार्टी में दमखम है। ध्यान रहे कि मलेशिया को 51 वर्ष पहले ब्रिटेन से आजादी मिली थी और उस समय से अब तक मौजूदा साझा सरकार ही सत्ता में है।
इसलिए यह अनुमान लगाना गलत न होगा कि अनवर इब्राहिम के बढ़ते सियासी प्रभाव पर लगाम लगाने के लिए ही उन्हें एक बार फिर से समलैंगिकता के आरोपों से घेरा जा रहा है। यह अनुमान इसलिए भी सही प्रतीत होते हैं क्योंकि मलेशिया का मीडिया पूर्णतः सरकार के नियंत्रण में है। बिना सरकार की मर्जी के कोई भी रिपोर्ट सामने नहीं आ सकती। लेकिन अनवर इब्राहिम के बारे में ऐसी खबरें और वह भी विस्तार के साथ छप रही हैं कि जैसे उन्हें सेक्स के अलावा कोई और काम है ही नहीं।
यहां यह बताना भी आवश्यक है कि मलेशिया के विपक्ष के नेता अनवर इब्राहिम ने “लीक हुई हास्पिटल रिपोर्ट’ को पूर्णतः बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है। इस रिपोर्ट में उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने एक पुरुष सहायक से जबरन सेक्सुअल सम्बंध बनाने का प्रयास किया। अनवर इब्राहिम का कहना है कि वे अब इस किस्म की बकवास से विचलित नहीं होंगे और उस रिफॉर्म एजेंडा को आगे बढ़ाते रहेंगे जिसका अनुमोदन पिछले चुनावों में मलेशिया की जनता ने किया था। अनवर इब्राहिम मेडिकल परीक्षण और गिरफ्तारी के बाद फिलहाल जमानत पर हैं और उन्हें आगामी 18 अगस्त को पुलिस को रिपोर्ट करना है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अनवर इब्राहिम के जिस पूर्व सहायक ने आरोप लगाये थे, उसकी पहली मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट मीडिया में कैसे आ गयी? बहरहाल, गृह मंत्री हामिद अलबार “पूर्ण जांच’ पर जोर दे रहे हैं और अनवर इब्राहिम का कहना है कि उनका चरित्र हनन किया जा रहा है ताकि जनता की इच्छा के अनुसार सत्ता परिवर्तन न हो सके।
सरकार की कोशिश है कि अनवर इब्राहिम डीएनए सैम्पल दें। शायद ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि अनवर इब्राहिम के खिलाफ केस बनाया जा सके। ध्यान रहे कि अपनी गिरफ्तारी के बाद अनवर इब्राहिम ने मेडिकल टेस्ट के दौरान ब्लड सैम्पल देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उनका कहना है कि 1998 में जब उन्हें ऐसे ही आरोप पर पहली बार गिरफ्तार किया गया था तो उस समय उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग की गयी थी।
तस्वीर का दूसरा रुख यह है कि अनवर इब्राहिम के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा प्रधानमंत्री के उत्तराधिकारी उपप्रधानमंत्री नजीब रज्जाक पर आरोप है कि उनका एक मंगोलियाई महिला से अवैध सम्बंध था। नजीब के पूर्व राजनीतिक सलाहकार और दो बॉडीगार्डों पर मुकदमा चल रहा है कि उन्होंने उस मंगोलियाई महिला की गोली मारकर हत्या की और फिर कुआलालम्पुर के बाहर जंगल में उसके शरीर को विस्फोटकों से उड़ा दिया। आरोप है कि यह काम नजीब के कहने पर किया गया जबकि नजीब का इस बात पर जोर है कि उन्होंने उस महिला को कभी देखा ही नहीं। उनका यह भी कहना है कि अनवर इब्राहिम के समर्थक अपने नेता को बचाने के लिए उन पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं।
इन दोनों नेताओं पर लगे आरोपों में कितना दम है, यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन इतना तय है कि इन सेक्स स्कैंडलों के चलते मलेशिया की राजनीति काफी उलझ गयी है। अगर इन नेताओं में से किसी एक पर भी आरोप सिद्घ हो जाते हैं तो उसके सियासी कॅरिअर पर विराम लग जायेगा। फिलहाल ये दोनों ही नेता अगला प्रधानमंत्री बनने का प्रयास कर रहे हैं और मलेशिया में सियासी व्यवस्था कुछ ऐसी है कि प्रधानमंत्री ही देश की अर्थव्यवस्था पर हावी रहता है।
– डॉ. एम.सी. छाबड़ा
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