हमारे शरीर में समय-समय पर उत्पन्न होने वाले अधिकांश विकारों का कारण कब्ज को माना जाता है। सामान्य शरीर में होने वाले समस्त रोगों की जड़ होती है कब्ज। हमारे शरीर में मौजूद बड़ी आंत का प्रमुख और महत्वपूर्ण कार्य पचे हुए आहार से जल का शोषण करना तथा इसके पश्र्चात उत्पन्न मल के सामान्य रूप से निस्सरण होने तक उसका भंडार करना है।
प्रायः प्रत्येक परिवार में कोई न कोई व्यक्ति गुदा से सम्बन्धित विकारों से पीड़ित होता है। कई लोग कब्ज से पीड़ित हेते हैं तो कुछ अतिसार या स्थूल आंत की व्याधि से ग्रसित होते हैं। बड़ी आंत में नीचे से ऊपर पीड़ा होती है, गैस के कारण उदर फूल जाता है और बेचैनी होने लगती है।
गुदा रोग से सम्बन्धित अन्य लक्षण, गुदा में आसपास के मार्गों में खुजली होना, गुदा से स्त्राव, सामान्य मल त्याग में अनियमितता और मल त्याग में अत्यधिक पीड़ा, बैठने में तकलीफ मलद्वार पर जल, अंतर्वस्त्र पर दाग-धब्बे और दुर्गंध आना। सामान्यतः मल भूरे रंग का होना चाहिए और परजीवों, रक्त श्लेष्मा या दूसरी असामान्यताओं से स्वतंत्र होना चाहिए।
आहार से पर्याप्त मात्रा में पाचक रसों का उत्पादन नहीं हो पाता, इस स्थिति में शरीर को आवश्यक चिकनाई (वसा) नहीं मिलती, जिससे मल शुष्क हो जाता है और आसानी से बाहर नहीं निकल पाता। यह मल पेट में जमा होकर सड़न पैदा करता है।
पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। अगर कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाए तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं । मल का निकास नियमित व समान मात्रा में एवं एकरूप में न होने के कारण आंतों में जमे मल में जैविक प्रिाया होने लगती है और परिणामस्वरूप पेट में गैस बनने लगती है। यदि उसका निकास न हो तो गैस उदर तक फैलकर बदहजमी एवं बेचैनी को जन्म देती है।
कब्ज का मुख्य कारण भोजन में तरल पदार्थ एवं रेशेयुक्त आहार की मात्रा का अभाव है। कब्ज का दूसरा कारण आलस्य भी होता है। कई बार मल त्याग निकासी के वक्त में गुदा- द्वार में रूकावट होने पर उसकी अवहेलना कर दी जाती है, जिससे मल आंतों में जमा होने लगता है और कब्ज हो जाता है।
कब्ज के अन्य कारण जैसे भोजन की अनियमितता, अत्यधिक तले व भुने हुए पदार्थों का सेवन, भोजन में मिर्च-मसालों की अधिकता, बासी भोजन का सेवन, रात्रि जागरण और सुबह देर से उठने की आदतें, धूम्रपान एवं शराब आदि का सेवन, विलासी रहन-सहन, नियमित मल निकासी में बाधा उत्पन्न करते हैं और कब्ज का कारण बनते हैं।
कब्ज होने के कारणों की वजह 90 प्रतिशत गुदा रोग होते हैं या उन रोगों के कारण कब्ज पैदा होता है। इस प्रकार से दोनों ही एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
कब्ज को 3 प्रकार से दूर किया जा सकता है, जिसे हम आहार, व्यायाम एवं उपचार के माध्यम से समाप्त कर सकते हैं।
आहारः मल त्याग की प्रवृत्ति प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग होती है। कोई व्यक्ति दिन में सिर्फ एक बार तो कोई दो बार मल त्याग करता है। इसमें परिवर्तन से भी कब्ज उत्पन्न हो जाता है। भोजन में सतर्कता और सावधानी रखना आवश्यक है। कब्ज से ग्रसित व्यक्ति को अपने आहार में सब्जियों की अधिक मात्रा शामिल करना चाहिए। फलों का भी नियमित सेवन करना चाहिए। सब्जियों और फलों में रेशों की मात्रा अधिक होती है, जिससे मल का आकार बढ़ता है और मल आसानी से होता है।
हरी सब्जियों, शलजम, बंदगोभी, गाजर और ककड़ी का सेवन अधिक मात्रा में किया जाना चाहिए। फलों के रसों को भी लेना चाहिए। छाछ, मट्ठा या पतला दही उपयोग कर सकते हैं। पानी, दाल, सूप जैसे तरल पदार्थों का सेवन भी प्रचुर मात्रा में किया जाना चाहिए।
रात्रि में सोने से दो घंटे पहले भोजन ग्रहण कर लें। भोजन की मात्रा भी सुबह के भोजन से कम लें। रात्रि भोजन के पश्र्चात तुरंत सोना कब्ज को निमंत्रण देता है। शाम के भोजन के पश्र्चात थोड़ा टहलना फायदेमंद होता है। चावल, मिठाइयां एवं ताजे दूध का सेवन भी कब्ज बढ़ाता है। सुबह के नाश्ते और दोपहर, रात के भोजन का समय भी निश्र्चित होना चाहिए।
व्यायामः कब्ज के रोगियों को नियमित हल्की कसरत करना लाभकारी है। क्योंकि इससे आंतों में गति उत्पन्न होती है, जिससे मल निकासी में आसानी होती है। कब्ज के रोगियों को हल्के व्यायाम जैसे साइकिल चलाना, तैरना अथवा पैदल सैर आदि करना चाहिए। इससे कब्ज की समस्या दूर की जा सकती है।
उपचारः उपचार के अन्तर्गत हम घरेलू उपचार एवं औषधियों को शामिल करते हैं, जो निम्नानुसार है ः
- जीरा और हींग को भूनकर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर भोजन के पश्र्चात सेवन करने से लाभ होता है।
- एक दर्जन मुनक्का दूध में उबालकर खाने से भी प्रातः दस्त साफ आता है।
- रात को हरड़ का मुरब्बा गुठली निकाल कर, एक से तीन फल खाकर गर्म दूध के साथ पीने से भी पाखाना साफ आता है।
- आधे गिलास पानी में एक चम्मच शहद, नीबू का रस और थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करने से गैस की तकलीफ दूर होती है।
– राजेन्द्र श्रीवास्तव
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