संस्कृत की एक सूक्ति में कहा गया है- नगर वसंते देवानाम्। शहरों की तरफ आकर्षण के मूल में शायद यही है। यही वजह है कि दुनिया में हजारों शहर हैं और इन शहरों का विस्तार लगातार जारी है। शहरों के अपने किस्से हैं और अपने स्वप्न। ये किस्से और स्वप्न रातोंरात नहीं बनते। वर्षों की जद्दोजहद का नतीजा होते हैं। इन सपनों को राजनीतिक सत्ताएं बनाती हैं। लेकिन आज के दौर में इनके सबसे बड़े निर्माता बिलेनियर यानी अरबपति हैं। जी, हां! आज शहरों की अपनी तमाम खूबियों व विशिष्ट पहचान के साथ उनकी एक बड़ी और चमकदार पहचान इससे भी बनती है कि शहर में कितने करोड़पति, अरबपति बसते हैं।
हालांकि यह किसी शहर की खूबी जांचने का कोई सबसे कारगर तरीका नहीं है, फिर भी इस बात में कोई दो राय नहीं है कि धन्नासेठ किसी शहर की पहचान को बड़ी तस्वीर में ढालते हैं। इस लिहाज से देखें तो दुनिया के पहले पायदान पर वह शहर नहीं है, जिसकी चकाचौंध शहरी चकाचौंध का पर्याय मानी जाती है। आप सही समझ रहे हैं, हम न्यूयार्क की ही बात कर रहे हैं। अमेरिका की इस वित्तीय राजधानी का धन्नासेठों के निवास के लिहाज से दुनिया में दूसरा स्थान है। यहां कुल 71 अरबपति रहते हैं। जबकि कभी लाल दुर्ग कहे जाने वाले रूस की राजधानी मास्को में अरबपतियों की संख्या 74 है।
लंबे समय तक दुनिया के दो खेमों में विभाजित रहने के दौरान एक खेमे के मुख्यालय के तौर पर पहचाने जाने वाले रूस की राजधानी मास्को ने सन् 2002 से लेकर 2007 के दौरान यानी कुल 5 सालों में रईसियत के लिहाज से अकल्पनीय छलांग लगाई है। सन् 2005 में मास्को में कुल 5 धन्नासेठ थे, जो कि अब बढ़कर 74 हो गये हैं। धन्नासेठों के लिहाज से लंदन दुनिया का तीसरा खास शहर है। शहरी संस्कृति को एक खास नफासत बख्शने वाले लंदन में 36 अरबपति रहते हैं और शुा है मजबूत पौंड का, जिसने इस शहर की हैसियत को बचाकर रखा है। लंदन में यूं तो कई तरह के अरबपति रहते हैं, लेकिन उनमें सबसे बड़ा नाम स्टील किंग भारत के लक्ष्मीनिवास मित्तल का ही है। लंदन के दूसरे अरबपतियों में एयरलाइन और मीडिया मैग्नेट के नाम से मशहूर रिचर्ड ब्रैनसन, फिलिप ग्रीन भी शामिल हैं।
यूं तो टर्की को यूरोप का बीमारू देश कहा जाता है, लेकिन इस बीमारू देश के शहर इस्तानबुल ने अरबपतियों की सूची में चौथा स्थान हासिल किया है। यह चौंकाने वाला भी है और यह बताने वाला भी कि टर्की बहुत तेजी से अपनी पुरानी और उपेक्षित छवि से बाहर निकल कर पूंजीवादी आर्थिक विकास के मॉडल में तब्दील होने की तरफ बढ़ रहा है। इस्तानबुल का समुद्री किनारा पूरी दुनिया के सैलानियों को आकर्षित करता है। तो भला अरबपतियों को क्यों नहीं आकर्षित करेगा? इस खूबसूरत शहर के धन्नासेठों के प्रमुख कारोबारों में बैंकिंग और सेलफोन का कारोबार शामिल है। इस कड़ी में पांचवें नंबर पर हांगकांग का नाम आता है। हांगकांग भले ही आज पीपुल्स रिपब्लिक चाइना का हिस्सा हो, जहां घोषित तौर पर समाजवादी अर्थव्यवस्था है, लेकिन जब खुद चीन में ही बाजारवादी अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक छलांग लगा रही है तो भला हांगकांग में वह यह छलांग क्यों न लगाये। हांगकांग में कुल 30 धन्नासेठ रहते हैं। गौरतलब है कि हांगकांग में कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना पड़ता है।
यही वजह है कि हांगकांग दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार का अड्डा है। हांगकांग के धन्नासेठों में ली का सेंग प्रमुख हैं, जिनका रेस्टोरेंटों का बिजनेस है। विश्र्वप्रसिद्ध कैसीनोज़ रेस्तरां इसी धन्नासेठ का है। …और हां, यह तो आपको पता ही होगा कि हांगकांग दुनिया के सर्वाधिक महंगे शहरों में से एक है। हांगकांग में एशियन टेलीकॉम की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हचिसन वाम्पोआ के मालिकान भी हैं। दुनिया के छठे धन्नासेठ शहर का नाम लॉस एंजिल्स है, जो धन्नासेठों के बीच एलए के नाम से ज्यादा जाना जाता है। लॉस एंजिल्स में 24 अरबपति रहते हैं। यह कैलिफोर्निया राज्य का सबसे बड़ा शहर है और संयुक्त राज्य अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा शहर। एलए दुनिया का सांस्कृतिक केन्द्र है। मीडिया, बिजनेस, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे व्यापार ही इस शहर के धन्नासेठों की रईसियत का आधार हैं। यहां विश्र्वप्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों की भी एक लंबी श्रृंखला है। इसीलिए लॉस एंजिल्स को अमेरिकी अर्थव्यवस्था का तेजरफ्तार चलने वाला ताकतवर इंजन भी कहा जाता है।
धन्नासेठों के टॉप टेन शहरों में अपनी मुंबई का भी नाम है। मुंबई दुनिया के दस सबसे ज्यादा अरबपतियों के निवास स्थल वाले शहरों में से सातवें नंबर पर आता है। मुंबई को भारत की वित्तीय राजधानी भी कहा जाता है। मुंबई भारत का सिर्फ कारोबार और वित्त का ही केन्द्र नहीं है बल्कि यह देश के मनोरंजन का भी सबसे बड़ा गढ़ है। यह शहर अकेले हिंदुस्तान के कुल जीडीपी के 5 फीसदी का उत्पादन करता है और समूचे समुद्री व्यापार में से 40 फीसदी व्यापार यहीं से होता है। देश का 70 फीसदी पूंजीगत लेन-देन मुंबई से ही होता है और जो टैक्स रेवेन्यू पूरे देश से एकत्र होता है, उसमें अकेले 30 फीसदी हिस्सा मुंबई का होता है। मुंबई में एक से बढ़कर एक धनकुबेर रहते हैं। लेकिन शीर्ष में अंबानी बंधुओं का ही नाम आता है। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी इस शहर के सबसे रईस व्यक्तियों में से हैं, जो किसी एक उद्योग में नहीं बल्कि दर्जनों उद्योगों में अपनी वर्चस्वपूर्ण उपस्थिति रखते हैं।
धन्नासेठों के शहरों में सैन फ्रांसिस्को का नंबर आठवां है और डलास नवें नंबर पर आता है जबकि टॉप टेन की सूची में अंतिम स्थान जापान की राजधानी टोकियो का है। सैन फ्रांसिस्को में 19, डलास में 15 और 15 ही धन्नासेठ जापान की राजधानी टोकियो में रहते हैं। सैन फ्रांसिस्को जहां अंतर्राष्ट्रीय सैलानियों का पसंदीदा शहर है, वहीं डलास दुनिया में अपनी एक ऐसी स्वतंत्र छवि बना रहा है, जो कारोबारी सम्मेलनों की है। डलास में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बड़े-बड़े सेमिनार होते रहते हैं और अगर बात टोकियो की करें, तो टोकियो दुनिया के प्रमुख शहरों में से एक है। दुनिया के तीन बड़े वित्तीय केन्द्रों में से भी टोकियो एक है। टोकियो की मेट्रोपॉलिटन अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। टोकियो के शहरी इलाकों में 3 करोड़ 52 लाख लोग रहते हैं और ये 1191 अरब डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद करते हैं। यह दुनिया में सबसे बड़ा किसी एक शहर का उत्पादन है। इसके साथ ही टोकियो दुनिया का सबसे महंगा शहर भी है। लेकिन टोकियो विदेशी सैलानियों को उस कदर आकर्षित नहीं कर पाता, जैसे गोल्डेन गेट का शहर सैन फ्रांसिस्को और बड़े-बड़े नुमाइशी मैदानों और सेमिनारों का शहर डलास करता है।
धन्नासेठों के लिहाज से दुनिया के ये दस सबसे बड़े शहर सिर्फ धन या धनवानों की दृष्टि से ही खास नहीं हैं, हकीकत तो यह है कि इन सभी शहरों का अपना एक स्वतंत्र व्यक्तित्व और उसकी खूबी है जिसके लिए भी इन शहरों में दुनिया के हर व्यक्ति को अपनी तरफ खींचने का आकर्षण है। हर शहर का अपना एक चलन होता है। उसकी अपनी एक संस्कृति होती है। रहन-सहन, संस्कृति और शैली, ये सब चीजें मिलकर किसी शहर को खास बनाती है और खासियत के इन कंगूरों पर खरबपतियों का भी योगदान होता है।
– नयनतारा
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