मेरे प्रिय नटखट दोस्तों! चलिए आज हम सब नटखट वन के प्यारे दोस्तों से मिलते हैं। जैसे कि हमें पता है कि हर जंगल का राजा शेर होता है। लेकिन यहॉं नटखट वन में नटखट प्राणियों ने गिल्लू हाथी को राजा चुना, क्योंकि वह बहुत गरीब और दयालु था। वह सबकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहता था। अतः सब प्राणियों ने उसे अपना राजा स्वीकार कर लिया था। गिल्लू हाथी बहुत खुश था। वह रोज सुबह और शाम नटखट वन में अपनी प्रजा के साथ खेलता-कूदता और उनकी समस्याओं को सुनकर उनका हल तलाशता था। पर अचानक पता नहीं उसे क्या हो गया। वह बहुत घमंडी हो गया। उसने धीरे-धीरे अपने सारे मित्रों के साथ खेलना छोड़ दिया। जब गिल्लू के मित्रों ने उससे पूछा, गिल्लू, आजकल तू हमारे साथ क्यों नहीं खेलता? तो गिल्लू ने बहाना बनाकर उनकी बातों को टाल दिया।
एक दिन जब मोटो भालू ने उससे कुछ पूछना चाहा तो गिल्लू ने उस पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे उसने सभी प्राणियों पर अपना रौब जमाना शुरू कर दिया। वह सभी से अपना काम कराने लगा। किसी से कहता कि मेरा खाना लाओ और किसी से पानी पिलाने को कहता। वह अपने आपको बहुत बड़ा, शक्तिमान और बुद्घिमान समझने लगा। गिल्लू को क्या हो गया, वह ऐसा क्यों हो गया, यह पहेली किसी की समझ में नहीं आ रही थी। तब सबने आपस में सलाह-मशविरा किया और चतुर मकड़ी रानी के पास जाने की योजना बनाई। सभी मित्रों ने मकड़ी रानी को गिल्लू के बारे में बताया। मकड़ी रानी ने कहा, ठीक है, तुम लोग अपने घर जाओ। कल गिल्लू का घमंड ़जरूर टूटेगा। अगली सुबह जब मकड़ी रानी नटखट वन में आई तो देखा कि हाथी सभी प्राणियों पर हुकुम चला रहा था। वह सबसे काम करवा रहा था और खुद आराम से बैठा था। यह तो वाकई बड़ा घमंडी हो गया है…। सोचते हुए मकड़ी रानी आगे बढ़ी और गिल्लू से कहने लगी, अबे ओ! इधर तो देख। गिल्लू ने पलट कर मकड़ी को देखा तो मकड़ी बोली, तू जंगल का राजा है तो क्या हुआ, मुझसे अधिक बलवान नहीं हो सकता। मैं जो कर सकती हूं, वो तू कभी नहीं कर सकता। देख, अब मैं तेरे एक कान में घुसकर दूसरे कान से बाहर आती हूं। गिल्लू डरकर एक पत्थर पर जा खड़ा हुआ। नहीं, नहीं, अगर मैं मर गया तो? गिल्लू ने कहा।
अरे, अगर तू मरेगा तो हमारे सारे नटखट वन के लोग खुश होंगे। मकड़ी ने कहा और फिर थोड़ी नर्मी से उसे समझाते हुए बोली, अरे गिल्लू, तू इतना सयाना होकर भी सबको सताता क्यों है? देख भाई, हमें अपने आप पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। क्योंकि हम सभी में कुछ न कुछ खामियां और खूबियां होती हैं। उसकी बात सुनकर हाथी की आँखें खुल गयीं। उसने मकड़ी से माफी मांगी और अपने अन्य दोस्तों से भी क्षमा मांगी। सबने उसे क्षमा कर दिया और गले से लगा लिया। नटखट वन के सभी प्राणियों ने मकड़ी रानी को धन्यवाद दिया। गिल्लू फिर से पहले की तरह अपने मित्रों के साथ अच्छी तरह रहने लगा।
– अक्षता शर्मा
You must be logged in to post a comment Login