यही समझा जाता है कि मंदरिन भाषा जानने वालों की संख्या विश्र्व में सर्वाधिक है। परन्तु यह सच्चाई नहीं है। चीन में 70 अन्य उपभाषाएँ व बोलियॉं हैं जिनको जानने वालों की कुल संख्या 1000 मिलियन है। विश्र्व में हिन्दी व उर्दू जानने वालों की कुल संख्या 1023 मिलियन है। अन्य भाषाओं में प्रयुक्त हिन्दी शब्दों की समानता के आधार पर यह विश्र्व में 2 अरब लोगों की भाषा है। भाषा-भाषियों की संख्या की गणना करते वक्त अलग-अलग मापदण्ड होने से वैसा भ्रम फैलाया गया है। भारतीय व विदेशी समाचार-पत्रों व इन्टरनेट आदि माध्यमों से विश्र्व के 195 देशों में प्रकाशित शोध की रिपोर्ट (जून, 2007) के आंकड़ों के आधार पर हिन्दी भाषा विश्र्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा सिद्ध हुई है।
11 सितम्बर, 2001 के हमले के बाद अमेरिका में अन्य समुदायों की संस्कृति व धर्म को जानने की ललक से अमेरिका के विश्र्वविद्यालयों में दक्षिण-एशिया छात्र संघ गठित हुए। यह छात्र संघ प्रति सेमेस्टर सांस्कृतिक सप्ताह का आयोजन करता है। विश्र्वविद्यालय के परिसर में होली, ईद, दिवाली, दशहरा आदि त्योहार मनाए जाते हैं। नृत्य, संगीत, कवि सम्मेलन व मुशायरों का आयोजन होता है। इससे दक्षिण-एशियाई लोगों को अपनी जड़ें पहचानने में तथा संस्कृति अपनाने में आसानी होती है। इन कार्यामों में हिन्दी का बोलबाला रहता है। भाषायी वैज्ञानिकों ने हिन्दी के प्रति अलग से जो मापदंड अपनाया है उसे विश्र्वस्तर पर दुरुस्त कर इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को अधिकृत भाषा का दर्जा देकर हिन्दी भाषा को वैश्र्विक सम्मान मिलना चाहिए।
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