हमने 29 जुलाई को ‘मिलाप’ के संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि यह सोचना-कहना गलत होगा कि एक अरब से ऊपर की जनसंख्या वाला भारत आतंकवादी हौसले के सामने बेबस, निरीह और कमजोर हो गया है। हमने यह भी कहा था कि कमजोरी देश में नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हो रही राजनीति में है, जिसके बेईमान इरादों ने देश को लाचार बना दिया है। हमें यह ब़खूबी पता है कि इस तरह की सच्चाईयाँ कतिपय राजनीतिकर्मियों को नीम की पत्ती चबाने जैसी कड़वी लगती हैं। लेकिन अब वह समय आ गया है कि अगर सच बयान नहीं किया जाएगा तो हम भी जाने-अनजाने देश का बहुत बड़ा नुकसान कर बैठेंगे।
‘मिलाप’ ने अपने उस संपादकीय में जो कुछ कहा है, उसको सत्य सिद्ध करने के प्रमाण राजनीतिक दलों ने स्वयं उपलब्ध करा दिये हैं। बेंगलुरू और अहमदाबाद के ामवार बम-विस्फोटों के बाबत बाकायदा प्रेस-कान्फ्रेंस के जरिये भाजपा प्रवक्ता सुषमा स्वराज ने एक बयान प्रसारित किया है। उनका कहना है कि भाजपा शासित इन दोनों राज्यों की राजधानियों में हुए इन धारावाहिक बम-विस्फोटों में एक साज़िश की बू आ रही है। इस साज़िश का खुलासा करते हुए उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को तो नहीं लपेटा, लेकिन इतना कहने से वे बाज़ नहीं आईं कि दोनों घटनाओं के पीछे ‘नोट के बदले वोट’ कांड से देश का ध्यान हटाने का एक षड्यंत्र ज़रूर समझ में आता है। इसे और चटक रंग की सियासी चाशनी में डुबोते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इसके पीछे अमेरिका परस्ती के चलते छिटके मुस्लिम वोटों को भाजपा का डर दिखाकर पुनः अपने खेमें में ले आने की कोशिश भी है।
भाजपा के इस परोक्ष ही सही, लेकिन तिलमिला देने वाले आरोप पर कांग्रेसी खेमा अगर चुप्पी साध जाता तो हैरत की बात होती, अतएव परिदृश्य में उसके भी प्रवक्ता को तुर्की-ब-तुर्की जवाब देने के लिए हाज़िर होना ही था। उसके प्रवक्ता ने भी वही तल्ख़ी घोली जो भाजपा प्रवक्ता के बयान में थी। कांग्रेसी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा बौखलाई हुई है और उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। साथ में यह भी कि संसद में नोटों की गड्डियाँ लहरा कर पहले उसने संसद की गरिमा को कलंकित किया और अब इस तरह के अनर्गल आरोप उछाल कर वह हमें यह सोचने पर मज़बूर कर रही है कि कहीं मामला चोर की दाढ़ी में तिनका वाला तो नहीं है। कांग्रेस के महासचिव वीरप्पा मोइली ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता के आरोपों का जवाब हम राजनीतिक तौर पर देंगे। लेकिन अपने इस बयान के साथ मोइली ने यह जोड़कर कि हमें इस अवसर पर यह ज़रूर सोच लेना चाहिए कि हम इस तरह की बयानबाजी करके सचमुच आतंकवादियों की हौसला अफजाई तो नहीं कर रहे, एक गंभीर वास्तविकता को भी संदर्भित कर दिया। हालांकि इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप पर अभी दोनों पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व मौन है, लेकिन यह बयानबाजी पार्टियों के आधिकारिक प्रवक्ताओं की ओर से हुई है, इसलिए इससे कोई अपना बचाव भी नहीं कर सकता।
इस तरह के बयान उस समय आये हैं जब देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अहमदाबाद की घटना के मृतकों और घायलों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना का इजहार कर रहे थे और आतंकवाद के खिलाफ दलीय राजनीति से बाहर आकर लड़ने का संकल्प व्यक्त कर रहे थे। इस सदाशयता के मुखौटे के पीछे जो राजनीतिक प्रतिशोध और वर्चस्व स्थापना का कुटिल राजनीतिक चेहरा छिपा है, उसको सामने लाने में देश की दोनों जिम्मेदार राजनीतिक पार्टियों ने तनिक भी विलम्ब नहीं किया। हमने इसी तरह के प्रयास को राजनीतिक बेईमानी का नाम दिया है। हमने यह भी कहा है कि जब तक इस तरह की राजनीतिक बेईमानी का दौर चलता रहेगा, तब तक आतंकवाद की निन्दा चाहे जितनी की जाय, उसके पाँव में जंजीर नहीं पहनाई जा सकेगी। कांग्रेस के महासचिव का यह कहना महत्वपूर्ण है कि इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप आतंकवादियों तक कौन-सा संदेश पहुँचाते होेंगे। सत्तावाद का खेल खेलती राजनीति ने हमारी राष्ट्रीय और सामाजिक एकता को हर स्तर पर विभाजित कर दिया है। इतिहास गवाह है कि इसी विभाजन ने कभी देश को विदेशी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था और इसी विभाजन ने देश को भी विभाजित किया था। भाजपा और कांग्रेस, दोनों देश की बड़ी पार्टिया हैं। एक सत्तापक्ष है तो दूसरी विपक्ष की आधिकारिक भूमिका में। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दोनों को राष्ट्रीय प्रश्न्नों पर भी विभाजित होना चाहिए। राष्ट्रीय प्रश्न्न सत्ता की गणित से ऊपर हैं। अगर इन राष्ट्रीय प्रश्न्नों को राजनीति के गलियारे में घसीटा गया तो वही होगा जो 1989 से आतंकवाद के अभ्युदय के बाद अब तक होता रहा है। ज़बानी जमा खर्च के साथ पक्ष-विपक्ष की राजनीति को एकजुटता की प्रतिबद्धताओं की जगह राष्ट्रीय हित में मिल-बैठ कर ईमानदारी के साथ सोचना होगा कि यह देश अकेले न भाजपा का है और न कांग्रेस का, बल्कि दोनों का है और सबका है।
You must be logged in to post a comment Login