प्रत्येक वस्तु में एक ऐसा बिन्दु होता है, जिस पर उसका पूरा भार पृथ्वी की ओर केन्द्रित रहता है। इस बिन्दु को गुरुत्वाकर्षण केन्द्र कहते हैं। प्रत्येक वस्तु संतुलित अवस्था में तब तक रहती है, जब तक गुरुत्वाकर्षण केन्द्र से होकर जाने वाली रेखा आधार तल से होकर गुजरती है।
अगर वस्तु को इतना झुका दें कि यह रेखा आधार तल से बाहर हो जाए, तो वस्तु उलट जाएगी। मतलब साफ है कि आधार तल जितना कम होगा, वस्तु की स्थिरता भी उतनी ही कम होगी। यही वह परेशानी है, जो रस्सी पर चलने वाले व्यक्ति को होती है, क्योंकि रस्सी पर चलने वाला व्यक्ति हाथ में डंडा रखता है। दरअसल, डंडे को वह बायें या दायें अथवा ऊपर-नीचे इसलिए करता है, ताकि उसका गुरुत्वाकर्षण केन्द्र रस्सी के ऊपर बना रहे। फिर भी रस्सी पर चलना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए काफी अभ्यास की आवश्यकता होती है।
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