- गाइड की नायिका के लिए सबसे पहले वैजयंती माला का चयन हुआ था।
- अमेरिकन डायरेक्टर डबलिवास्की ने उन्हें “मोटी’ कह कर रिजेक्ट कर दिया।
- दूसरी नायिका के रूप में लीला नायडू का नाम उभरा। लेकिन उन्हें डांस करना बिल्कुल नहीं आता था, जबकि नायिका मूलतः डांसर थी।
- अंत में वहीदा रहमान का चयन हुआ मगर उन्हें निर्देशक राज खोसला पसंद नहीं थे। फिल्म सोलहवां सावन की शूटिंग के समय खोसला ने वहीदा को अपशब्द कहे थे। वहीदा की मॉं ने मरते समय बेटी से वचन लिया था कि वह खोसला के निर्देशन में कभी काम नहीं करेगी।
- गाइड के पहले गीतकार हसरत जयपुरी थे। उनका एक गीत रिकॉर्ड हो गया था। कुछ शब्द बदलने के लिये कहने पर हसरत, सचिन दा पर उखड़ गए और गाली-गलौच करने लगे। देव आनंद ने उनके घर प्रति गीत पॉंच सौ रुपये की दर से चेक भिजवा कर उनकी छुट्टी कर दी।
- गोल्डी के खास दोस्त एवं गीतकार शैलेंद्र को गीत लेखन की जवाबदारी सौंपी गई। गोल्डी ने उन्हें दो गीतों की सिच्युएशन समझाई-आज फिर जीने की तमन्ना है और दिन ढल जाए, हाय रात न जाए…।
- संगीतकार सचिन दा को फिल्म शुरू होने से पहले हार्ट अटैक आ गया। वे अस्पताल में भर्ती हुए। आनंद बंधुओं ने तय किया कि कितना ही समय लगे, गाइड का संगीत तो दादा ही देंगे।
- गाता रहे मेरा दिल गीत रोमांटिक है। सचिन दा सिर्फ किशोर कुमार से इसे गवाना चाहते थे। किशोर दुनिया के टूर पर थे। जब लौटे तो उनसे यह गीत गवाया गया।
- गाइड के प्रदर्शन के पहले वितरकों को दिखाया गया। पश्र्चिम बंगाल के वितरक ने कहा- गाइड राजू को मारो मत, उसे जिंदा रखो। बरसात हुई। उपवास टूटा। राजू को अस्पताल में भर्ती दिखा दो। रोजी वहीदा वहॉं आती है और अपने पेट में राजू के बच्चे का ऐलान करती है। फिल्म में जान आ जाएगी।
- हिन्दी गाइड देख कर कथाकार आरके नारायण आनंद ब्रदर्स पर भड़के। अमेरिकन पत्रिका ‘लाइफ’ में अपने इंटरव्यू में दोनों की खूब खिंचाई की। लेकिन फिल्मफेयर ने जब श्रेष्ठ कथाकार का अवार्ड दिया, तो नारायण ने खुशी-खुशी ले लिया।
- अवार्ड घोषित होने से पहले कुछ लोग सचिन दा के पास गए। एक निश्र्चित रकम मांगी। बदले में अवार्ड देने का वचन दिया। सचिन दा नाराज हो गए। गाइड को फिल्म फेयर के सात अवार्ड मिले मगर संगीत का अवार्ड नहीं दिया गया।
- गाइड के प्रदर्शन के समय देव आनंद ने स्क्रीन साप्ताहिक में पूरे पेज का विज्ञापन दिया- प्रे फार रेन। और सचमुच देशभर में बारिश शुरू हो गई।
- गाइड के प्रदर्शन के चार साल बाद निर्देशक विजय आनंद सचमुच में संन्यासी जीवन जीने लगे थे।
- अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार डेविड लीन ने हिन्दी गाइड देख कर देव आनंद से कहा था- फिल्म को आस्कर के लिए भेजो, ज़रूर इनाम मिलेगा।
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