अरसा पहले अमेरिका के पूर्व गवर्नर इलियट स्पिटजर सुर्खियों में थे। उनकी बदनामी की वजह यह आरोप था कि कानूनों का उल्लंघन करते हुए उन्होंने एक बहुत ही महंगी वेश्या की सेवाएं हासिल कीं। इसलिए उनको पाखंडी, घमंडी, बदचलन, स्वार्थी, असक्षम और मंदबुद्धि कहा जाने लगा।
लेकिन बेवफाई सिर्फ शक्तिशाली खतरा उठाने वाले एल्फा पुरूष ही नहीं करते, बल्कि वह भी करते हैं जिनके पास टेस्टोस्ट्रोन (पुरूष हार्मोन) की अधिकता हो भी सकती है और नहीं भी। सच बात तो यह है कि यह काम बहुत से अन्य प्राणी, उनकी लाखों प्रजातियां, नर और मादा भी सदियों से करते आ रहे हैं। कुल मिलाकर जीवन के इस महान वृक्ष पर शायद ही कोई प्रजाति हो, जिसने बेवफाई न की हो। यह सिलसिला आदिम काल से ही चला आ रहा है।
इस लिहाज से देखा जाये तो यह शेर झूठा पड़ जाता है कि-
कदीम लोग भी क्या सादा दिल रहे होंगे
निबाह करना किसी से तो उम्र भर करना
कदीम यानी प्राचीन काल से ही सेक्सुअल बेवफाई की प्रकृति में भरमार रही है और सच्ची वफादारी एक चाहत भरी कल्पना या एक दिल की आरजू से अधिक कुछ नहीं रही है। हां, यह सही है कि ऐसे जानवरों की संख्या काफी है जिनके नर और मादा हमारी तरह टीम बनाकर बच्चे पालते हैं। जिससे बर्दाश्त करने वाले प्रभावी जोड़ों और जाहिरा आपसी प्रेम, घंटों साथ गुजारना ताकि पार्टनरशिप की पुष्टि हो सके, मसलन, परेरी वोल्स या सिंगिंग हूटी का एक-दूसरे के साथ सट कर सोना, गिब्बन (लंबे हाथ वाले बंदरों) के प्रेमगीत या नीले पैरों वाले बूबीज का साथ नाचना। लेकिन बेवफाई तो इनमें भी होती है।
जीव वैज्ञानिकों ने साथ रहने वाले जोड़ों के बच्चों पर डीएनए पैटरनिटी टेस्ट किए और पाया कि सामाजिक मोनोगेमी (एक जीवन साथी) में बहुत ही कमी के साथ सेक्सुअल या जेनेटिक मोनोगेमी मौजूद होती है। दूसरे और स्पष्ट शब्दों में जानवरों में भी जो नर, मादा जोड़े बनाकर रहते हैं, उनमें न सेक्सुअल वफादारी होती है और न जेनेटिक यानी बच्चे किसी और नर के भी हो सकते हैं।
किसी भी प्रजाति के बच्चों का डीएनए टेस्ट कीजिए, चाहे वह पक्षी हों, वोल्स हों, एप्स हों, लोमड़ी हों या कोई भी अन्य प्रजाति, जो जोड़ा बनाकर रहती हो और आप पाएंगे कि 10 से 70 प्रतिशत बच्चे किसी और नर की संतान होंगे यानी उस नर से अलग, जिससे मादा जोड़ा बनाकर रह रही है।
सिट्टल स्थित वाशिंगटन विश्र्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डेविड पी ब्राश कहते हैं कि बच्चों का अपना बचपना है, एडल्ट्स की एडल्टरी है। वफादारी सिर्फ डिप्लोजून पैराडोक्सम में पाई जाती है, जो एक फ्लैट वार्म है और ताजा पानी में रहने वाली मछली के गिल्स में रहता है। इस कीड़े के नर और मादा बचपन में ही एक-दूसरे से मिलते हैं, उनके शरीर एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं जिससे मौत आने तक वह एक-दूसरे के वफादार रहते हैं। ब्राश के अनुसार यह एकमात्र प्रजाति है, जो 100 प्रतिशत वफादार रहती है और इसमें अगर किसी का दिल टूटता है तो वह है बदकिस्मत मछली, जिसके गिल्स में यह परजीवी की तरह रहते हैं।
गैर-इंसानी प्रजातियां इंसानों की तरह सेक्स खरीदती भी हैं। एनिमल बिहेवियर पत्रिका में आदम मिकिविच विश्र्वविद्यालय और साऊथ बोहिमिया विश्र्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लिखा है कि महान ग्रे शराइक्स में सेक्स के लिए लेन-देन होता है। ग्रे शराइक्स शानदार शिकारी चिड़िया होती है, इसका सिर सिल्वर, पेट सफेद और दुम काली होती है। पक्षियों की 90 प्रतिशत प्रजातियों की तरह यह भी ब्रीडिंग करने के लिए जोड़े बनाती है। नर शराइक अपनी-अपनी मादा को तथाकथित शादी का तोहफा देता है, जैसे- चूहे, छिपकली, छोटी चिड़िया या बड़े कीड़े, जिन्हें वह लकड़ी पर सजाकर देता है। लेकिन जब नर शराइक एक्स्ट्रा करिकुलर सेक्स की तलाश में होता है तो वह अपनी संभावित रखैल को अपनी पत्नी से भी बड़ा कबाब तोहफे में देता है। शोधकर्ताओं के अनुसार जितना ज्यादा बड़ा तोहफा होगा, उतनी ही अधिक संभावना वन नाइट सेक्स की होगी।
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