कटलेट, टिक्की, पकौड़े, समोसा, पूरी, वड़ा पाव, फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स…यह एक न खत्म होने वाली सूची है। हममें से ज्यादातर दिन में किसी न किसी किस्म का तला हुआ फूड अवश्य लेते हैं। फ्राइड प्रोडक्ट्स की हर आयु वर्ग में जबरदस्त कंज्यूमर अपील होती है। बहरहाल, आपने हजारों बार पढ़ा होगा कि तली हुई चीजें आपकी सेहत के लिए अच्छी नहीं हैं, लेकिन इस सिलसिले में चर्चा करते हुए हम झिझकते हैं।
साधारण शब्दों में तलने का अर्थ है- खूब सारे गर्म तेल में फूड को कुक करना, ताकि वह आराम से तेल में डूब जाए या उस पर तैरने लगे। वातावरण के सामान्य दबाव में फैट्स पानी से अधिक तापमान हासिल कर लेते हैं, इसलिए फ्राइंग से फूड की कार्बनाइज़ेशन हो जाती है और शुगर कारमलाइज़ हो जाती है। इससे फूड जल्दी कुक हो जाता है और उसमें विशेष करारापन आ जाता है।
शैलो फ्राइंग या कम तलने का अर्थ है कि फूड को एक-तिहाई या आधा ही तेल में डुबोकर तलना, जबकि डीप फ्राइंग या पूरी तरह से तलने का अर्थ है कि फूड को पूरी तरह से गर्म तेल में डुबो देना। इसे आमतौर से कई बार तेल में डुबोया और निकाला जाता है।
लेकिन यह बात कम ही लोग जानते हैं कि डीप फ्राइंग से फूड में तेल भर जाता है जिससे उसका पौष्टिक घनत्व कम हो जाता है। इसलिए फ्राइड फूड्स हमारे शरीर में बहुत से हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकते हैं, जिनमें से कुछेक हैं-
- नियमित फ्राइड फूड खाने से आवश्यकता से अधिक फैट शरीर में पहुँच जाता है।
- देर तक गर्म करने से तेल में हानिकारक रसायन पैदा हो जाते हैं। इनमें से एक है- एक्रोलीन, जो आंतों को नुकसान पहुँचाने के अलावा कैंसर का कारण भी बनता है।
- अधिक तापमान पर फैट्स का प्राकृतिक रूप बदल जाता है और वह ट्रांस-फैटी एसिड में बदल जाते हैं, जिनसे ब्लड कोलेस्ट्राल बढ़ जाता है। यह अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रोल की मात्रा भी कम करते हैं और ब्लड क्लोटिंग प्रवृत्ति को बढ़ा देते हैं, जिससे कोरोनरी हार्ट रोग का खतरा बढ़ जाता है।
- अधिक तापमान पर तेल विटामिन्स को नष्ट कर देता है और डायटरी प्रोटीन पर भी कुप्रभाव पड़ता है। 150 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तेल के विटामिन ए और ई में कमी आ जाती है।
- तली हुई चीज़ भारी होती है इसलिए आसानी से हजम नहीं होती। अत: पेट देर से खाली होता है, लिहाजा कब्ज, इरिटेबिल बाउल सिंड्रोम का कारण बनती हैं और यह अगर जारी रहे तो पेट या कोलन का कैंसर भी हो सकता है।
- तलने से तेल की रासायनिक संरचना बदल जाती है जो पकाते समय सांस के रास्ते अंदर चली जाती है। इससे भोजन नली की अंदरूनी परत नष्ट हो जाती है, पेट में गड़बड़ी होती है, पेट में दर्द होता है, उल्टी आती है और बदहजमी होती है।
आमतौर से जो तली हुई चीजें खायी जाती हैं उनमें उपस्थित कैलरी की मात्रा-
- 25 ग्राम आलू के चिप्स में 160 कैलरी होती हैं, जबकि इतने ही बेक्ड चिप्स में 40 कैलरी होती है।
- 219 ग्राम के बड़े बर्गर में 600 कैलरी होती है।
- 50 ग्राम फ्रेंच फ्राइज़ में 400 कैलरी होती हैं जबकि इतने ही ग्राम बेक्ड आलू में 50 कैलरी होती है। एक चम्मच अतिरिक्त मक्खन में 50 कैलरी और बढ़ जाती है।
- एक समोसे का अर्थ है 500 कैलरी।
- एक छोटी पूरी का अर्थ है 250 कैलरी, जबकि एक रोटी में 50 कैलरी होती है।
तलते समय नुकसान कम करने के लिए-
- हाई स्मोकिंग प्वाइंट का तेल चुनें।
- अतिरिक्त तेल को निकाल दें। तले हुए फूड को तेल सोखने वाले कागज पर रखें।
- बटर या कोकोनट तेल की जगह वनस्पति तेल का इस्तेमाल करें क्योंकि उसमें हाई स्मोकिंग प्वाइंट होता है।
- नॉन स्टिक पैन या कड़ाही का प्रयोग करें।
- तलने वाले तेल को दोबारा गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि उसकी गुणवत्ता नष्ट हो जाती है। अतिरिक्त तेल को रेफ्रिजरेट कर लें।
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