प्रोबायटिक आहार गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत और विकसित करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसे एलर्जी की रोकथाम के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक अध्ययन में बताया गया है कि एंटी बायटिक की खुराक के साथ प्रोबायटिक आहार आंत में संतुलन बनाये रखता है। इसकी बदौलत आंत्र शोध जैसी बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गये 1223 महिलाओं पर अध्ययन के मुताबिक जिन शिशुओं को प्रोबायटिक की खुराक दी गई, उनमें ऊतकों में सूजन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रोटीन की मात्रा अधिक पायी गयी। ऐसा माना जाता है कि सूजन प्रतिरक्षण प्रणाली को प्रोत्साहित करता है, इससे एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। प्रोबायटिक खुराक वाले बच्चों में दाद जैसी त्वचा की बीमारियों के पनपने का खतरा औरों के मुकाबले 30 फीसदी कम दर्ज किया गया।
प्रमुख शोधकर्ता एरिकी साविलाहटी के मुताबिक यह स्पष्ट तौर पर जाहिर है कि प्रतिरक्षण प्रणाली और एलर्जी में सीधा संबंध है। जितनी जल्दी और मजबूत प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित की जा सकेगी, एलर्जी की रोकथाम के लिए उतनी ही ज्यादा कारगर साबित होगी।
प्रोबायटिक जीवाणुओं की मौजूदगी के अभाव में प्रतिरक्षण प्रणाली बहुत कम सक्रिय रहेगी। नतीजा होगा तमाम गड़बड़ियॉं और इनके कारण एलर्जी का खतरा अत्यधिक बढ़ जाएगा। सैन डियाग्रो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एंथनी हार्नर का कहना है – नियमित रूप से बिना जीवाणु मुक्त भोजन के खतरों को प्रोबायटिक जीवाणु कम कर देते हैं। एक वैज्ञानिक रोजर काज का मानना है कि जिन लोगों के परिवार में एलर्जी की समस्या रही है या रहती है, वे प्रोबायटिक को रोकथाम के तौर पर आजमा सकते हैं।
क्या है प्रोबायटिक
प्रोबायटिक इस तरह के आहार तत्व होते हैं, जो लाभप्रद अतिसूक्ष्म जीवाणु या खमीर से भरपूर होते हैं। दही, लस्सी, आइसक्रीम, पनीर, सहित ढेरों प्रोबायटिक जीवाणु मुक्त खाद्य सामग्री बाजार में उपलब्ध है।
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