हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी जिस्मानी स्थिति है जिसे आमतौर से नजरंदाज कर दिया जाता है। बदकिस्मती यह है कि दुनिया भर में जितने लोग इससे मर रहे हैं, उतने किसी और बीमारी से नहीं। इससे भी ज्यादा खराब खबर यह है कि भारत व अन्य विकासशील देशों में हाई ब्लड प्रेशर के कारण मृत्युदर में लगातार वृद्धि हो रही है। हाई ब्लड प्रेशर के वास्तविक प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए किये गये अध्ययनों में कुछ डरावने तथ्य सामने आये हैं-
दुनिया भर में 54 प्रतिशत स्ट्रोक, 47 प्रतिशत इस्थियामिक हार्ट रोग, 75 प्रतिशत हाइपरटेंसिव रोग और 25 प्रतिशत अन्य कार्डियोवैस्कुलर रोग हाई ब्लडप्रेशर के कारण होते हैं। यह अध्ययन ऑकलैंड विश्र्वविद्यालय, न्यूजीलैंड की टीम ने किया है और यह हाल ही में मेडिकल पत्रिका “द लांसेट’ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया कि 2001 में 76 लाख लोग समय पूर्व हाई ब्लड प्रेशर के कारण मरे।
आम धारणा यह बनी हुई है कि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अधिक आय वाले देशो में है। इस रोग को लोग अमीरी से जोड़ते हैं। लेकिन इस मिथ को इस अध्ययन ने तोड़ दिया है। अध्ययन के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित 80 प्रतिशत से अधिक रोग भारत जैसे विकासशील देशों में होते हैं और ज्यादातर इस रोग से युवा पीड़ित हैं।
हैरत की बात तो यह है कि बीमारी में एडजस्ट किये गये 920 लाख से अधिक जीवन वर्ष हाई ब्लड प्रेशर के कारण थे। दूसरे शब्दों में इसका अर्थ यह है कि हाई ब्लड प्रेशर की वजह से जितना समय लोग बीमारी में गुजार चुके हैं, वह लगभग 920 लाख जीवन वर्ष है।
भारत में हाई ब्लड प्रेशर के कारण जो मौतें होती हैं, उनमें से 52 प्रतिशत तो 70 वर्ष की आयु भी प्राप्त नहीं कर पाते। तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाये तो विकसित देशों में यह प्रतिशत मात्र 23 है।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत में स्ट्रोक के कारण होने वाली कुल मौतों में 57 प्रतिशत का सीधा ताल्लुक हाई ब्लड प्रेशर से है और कोरोनरी हार्ट रोग से जिन लोगों का निधन होता है, उनमें से 24 प्रतिशत हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होते हैं। अनुमान है कि ग्रामीण भारत में 315 लाख और शहरी भारत में 340 लाख लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं।
हाई ब्लड प्रेशर की मुख्य वजहें हैं-
- खानपान में अधिक नमक का सेवन
- मोटापा
- डायबिटीज या मधुमेह
- तनाव
- जेनेटिक फैक्टर्स
विशेषज्ञों का मत है कि हाई ब्लड प्रेशर में बहुत मामूली सी गिरावट भी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ पहुंचा सकती है। अगर प्री-हाइपरटेंशन कम हो जाये तो 40 प्रतिशत हार्ट अटैक को रोका जा सकता है। अगर मात्र 5 एमएम बीपी कम कर लिया जाये तो 21 प्रतिशत मृत्युदर में कमी लायी जा सकती है। प्रति एक किलो वजन कम करने से 1 एमएम ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
अपने देश में दोनों गरीब और अमीर हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हैं। इतने अधिक पीड़ितों के होने की वजह यह है कि हम बहुत ज्यादा आलसी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हाई ब्लड प्रेशर भी एक तरह से जीवनशैली से संबंधित बीमारी है। अगर नमकीन व चटपटे के स्वाद पर काबू करें और नियमित वॉकिंग व अन्य कसरत करें तो काफी हद तक हाई ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण किया जा सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर का रोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में अधिक है और यह आमतौर से 45-69 वर्ष आयु वर्ग में हो रहा है, लेकिन जिस तरह प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जवान आगे निकलने की होड़ में तनावग्रस्त हो रहे हैं तो आजकल 25-30 साल के युवा भी हाइपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं। इसलिए तनाव से बचना भी आवश्यक हो जाता है।
हाई इनकम वाले देशों में हाई ब्लड प्रेशर से 139 लाख मौतें अध्ययन अवधि के दौरान हुईं जबकि कम व मध्यम आय वाले देशों में यह संख्या 622 लाख थी। हाई ब्लड प्रेशर के जो यह भयावह आंकड़े सामने आये हैं, उनसे आप यह सबक लें-
- कम नमक खायें
- वजन को नियंत्रित रखें
- तनाव व मधुमेह से बचें
- नियमित एक्सरसाइज करें
अगर ये सावधानियां नहीं बरतीं तो आप भी इन आंकड़ों का हिस्सा बन जायेंगे ।
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