बु़ढापा आने पर क्या होता है? हम सुस्त व कमजोर हो जाते हैं और अपने संतुलन का बोध खो बैठते हैं। क्या इस स्थिति को रोका जा सकता है? शोधकर्ताओं का कहना है कि अब बुजुर्ग भी अपनी मांसपेशियों को बरकरार रख सकते हैं और लम्बे समय तक कसरत कर सकते हैं। बूढ़ों के लिए कसरत का राज़ यह है कि वह शुरूआत अपनी क्षमताओं के दायरे में रहकर ही करें और जैसे-जैसे फिटनेस स्तर बढ़ता जाये, नयी सीमाएं पार करें। वे प्रयास करें, लेकिन अपने ऊपर जुल्म न करें।
अफसोस की बात है कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में शारीरिक गतिविधियों में कमी आयी है। गतिविधियां अधिक रहेंगी तो क्रॉनिक रोगों, जैसे- हृदय रोग, मधुमेह, गठिया-वात, हड्डियों की कमजोरी आदि के बढ़ने में भी कमी आयेगी।
फिटनेस बढ़ाने में उम्र बाधा नहीं है। सही डायट और सही किस्म की कसरत करना जरूरी है। कसरत की योजना व्यक्तिगत आधार पर बनायी जाये और इसमें मैडिकल प्रोफाइल व फिटनेस का स्तर भी ध्यान में रखा जाये। आमतौर पर वरिष्ठ नागरिकों को स्टै्रचिंग एक्सरसाइज, वॉकिंग और लाइटवेट ट्रेनिंग का मिश्रण करना चाहिए। इससे लचीलापन बरकरार रहता है, दिल की क्षमता बढ़ जाती है और मांसपेशियों व हड्डियों को ताकत मिलती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 20 मिनट की कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज- वॉकिंग, जॉगिंग, साइकलिंग या स्विमिंग- तीन से पांच दिन प्रति सप्ताह आवश्यक है ताकि दिल, फेफड़े और सर्कूलेटरी सिस्टम दुरूस्त रहे। स्टैं्रथ ट्रेनिंग से हड्डियों का घनत्व बेहतर हो जाता है, ताकत आती है, पाचन-क्रिया और पोस्चर ठीक हो जाता है। फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज से जिस्म लचीला रहता है और जोड़ों तक खून का दौरा व पौष्टिकता की सप्लाई बढ़ जाती है। सप्ताह में तीन से पांच बार आप स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज, योग या पाइलेट्स कर सकते हैं ताकि लचीलापन बढ़ जाये।
हड्डियों की ताकत बढ़ाने के लिए आउटडोर वॉकिंग, अच्छी डायट और सर्किट वेट ट्रेनिंग करें। अगर जोड़ ऑस्टियो ऑर्थराइटिस से प्रभावित हैं तो साइकलिंग व स्विमिंग करनी चाहिए। इन कसरतों से घुटनों पर आवश्यक दबाव नहीं पड़ता। वरिष्ठ नागरिकों को लो-इम्पैक्ट स्पोट्र्स खेलने चाहिए, जैसे गोल्फ, जिसमें दिन का ज्यादातर हिस्सा हरे-भरे मैदान में गुजारना पड़ता है। रिलैक्स करने वाली तकनीक, जैसे गहरी सांस लेना और ध्यान भी मददगार है।
बहरहाल, एक्सरसाइज करते समय निम्न बातों को विशेष रूप से ध्यान में रखें-
- अगर हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास है तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर लें। यानी अपना कसरत कार्यक्रम शुरू करने से पहले ग्रेडिड एक्सरसाइज टेस्ट लेना ठीक रहेगा।
- ऐसी रिदमिक, दोहरायी जाने वाली गतिविधियों का चयन करें जो आपके सर्कुलेटरी सिस्टम को चुनौती दें और जो तीव्रता आपके लिए उचित हो, उस पर एक्सरसाइज करें।
- अब गतिविधियों का चयन करें, जो आनन्दमय हो और आपकी जरूरतों को पूरा करती हों।
- कसरत के लिए जोश बना रहे, इसके लिए किसी साथी को तलाश लें।
- आरामदायक जूते और कपड़े पहनें जो तापमान, नमी और आपकी गतिविधियों के अनुरूप हों।
- उम्र के साथ मस्कुलर एडेप्टेशन और लचीलापन धीमा हो जाता है, इसलिए वार्म-अप और कूलडाउन एक्सरसाइज के लिए अधिक समय लें।
- एक्सरसाइज की शुरूआत कम तीव्रता पर करें, खासकर अगर आप ज्यादातर आरामतलब ही रहे हैं और फिर आहिस्ता-आहिस्ता प्रगति करें।
- अगर आप 30 मिनट से अधिक सक्रिय रहना चाहते हैं तो हर 15 मिनट पर थोड़ा-सा पानी पीएं। खासकर जब गर्म, नमी भरे वातावरण में कसरत कर रहे हों।
- अपने खाने में कॉम्पलैक्स कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और अच्छे फैट्स शामिल कर लें।
- कॉम्पलैक्स कार्बोहाइडेट्स- मोटे गेहूं का आटा, बाजरा, ज्वार रागी, ओट और व्हीट फ्लेक्स खाने में शामिल करने चाहिए बजाय साधारण कार्बोहाइडेट जैसे रिफाइन्ड आटा, व्हाईट ब्रेड, पास्ता, कोर्न फ्लेक्स आदि के।
- प्रोटीन फूड्स शामिल करें जैसे-स्किम्ड मिल्क, स्किम्ड दही और घर का बना पनीर। इनसे बचें- होल फैट मिल्क और भैंस का दूध।
- अगर आप नॉनवैज हैं तो अंडा, चिकन या फिश खायें और रेड मीट या ऑर्गन मीट से बचें।
- खाने में अच्छे फैट्स (ओमेगा-3 फैटी एसिड) जैसे जैतून का तेल, फ्लैक्स सीड ऑयल या पाउडर और फिश ऑयल शामिल करें।
- मौसम चाहे जो हो, आदत डाल लें, हर घंटे पर एक गिलास पानी पीने की।
- विटामिन सप्लीमेंट जैसे विटामिन सी और ई जो कि शानदार ऑक्सीडेंट हैं, के साथ फल और सब्जियां खायें। साथ ही मल्टीविटामिन और कैल्शियम भी लें।
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