निरोगिता का मूल है फल। फलों में सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम जैसे तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं।
रक्त-चाप के रोगियों को निरंतर फलों का सेवन करना चाहिए।
सेब – दिल-दिमाग, जिगर और वीर्य को शक्ति देता है। रक्त में वृद्धि करता है। अफीम-शराब छुड़ाने में मदद करता है। खाना खाने के बाद खाने से मसूढ़े ठीक रहते हैं।
पपीता – रक्त को साफ करता है। तिल्ली तथा जिगर का रोग दूर करता है। हृदय को शक्ति देता है। बवासीर के रोगियों को खाना चाहिए।
अनार – मीठा अनार पेट की गर्मी दूर करता है। बवासीर हटाता है। शीतलता प्रदान करता है।
शरीफा (सीताफल) – यह बलवर्धक तथा शीतल होता है। पित्त का नाश करता है। कब्ज व पेशाब की जलन दूर करता है।
केला – कुछ कब्ज कर सकता है, पुष्टिकारक है। प्रातः दूध के साथ खाने से पूरी खुराक का काम करता है। स्त्रियों के प्रदर रोग की तैयार दवा है।
चीकू – गर्मतर है। कब्ज करता है। हृदय व दिमाग को शक्ति देता है।
शहतूत – हजम होने में भारी तथा ठंडा होता है। मुँह के छाले हटाता है। घबराहट तथा बुखार की गर्मी हटाता है। इसका शर्बत गले के लिये बहुत अच्छा होता है।
बेर – खुश्की और थकान दूर करता है। बेरी और नीम के पत्ते पीस कर लगाने से बाल बढ़ते हैं।
अन्ननास – बुखार की प्यास में इसका रस रोगी को देना चाहिए।
संतरा – इसमें विटामिन सी होता है। यह बुखार की गर्मी तथा बच्चों के सूखे रोग में लाभदायक है, कब्ज दूर कर के पाचन शक्ति बढ़ाता है।
खरबूजा – शरीर को पानी देता है। स्त्रियों का दूध बढ़ाता है। दांतों की मैल व मुँह की दुर्गन्ध दूर करता है। इसका रस लगाने से चेहरे की झाइयॉं व धब्बे हट जाते हैं।
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