सेक्स बिकाऊ है। इससे जुड़ी हर दुकान हमेशा चलती है, चाहे वह सेक्स क्लिनिक हो या सेक्स ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के कारोबारी लुकमानी दवाखाने। शहरों में अखबार, स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं व रेल्वे लाइन के किनारे दीवारों आदि पर नामर्दी व गुप्त रोगों के इलाज का प्रचार होता है। गली-मुहल्लों में दीवारों और बिजली के खंभों पर हैंडबिल चिपका कर सेक्स से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने का प्रचार किया जाता है। रेल कंपार्टमेंट में भी ऐसी क्लिनिकों का प्रचार करते हैंडबिल देखे जा सकते हैं। इन सारे इश्तिहारों में नामर्दगी, शीघ्र पतन, स्वप्नदोष और हर तरह के गुप्त रोगों के “शर्तिया’ इलाज का दावा किया जाता है।
आज के भागमभाग वाले दौर में बड़ी तादाद में लोग सेक्स से जुड़ी तथाकथित बीमारियों से परेशान हैं। ये बीमारियॉं जितनी जिस्मानी नहीं, उससे ज्यादा दिमागी होती हैं। इसी का फायदा नीम-हकीम, दवा-दुकानदार और स्वनामधन्य सेक्स विशेषज्ञ उठा रहे हैं।
सेक्स क्षमता बढ़ाने के नाम पर कई तरह की दवाइयॉं धड़ल्ले से बिक रही हैं। इन दवाइयों के खरीदार नौजवानों से लेकर उम्रदराज पुरुष तो हैं ही, अब महिलाएँ भी ऐसी दवाओं के सेवन में पीछे नहीं हैं। ये दवाएँ कैप्सूल, स्प्रे, जेली, तेल और कैंडी के रूप में बाज़ार में उपलब्ध हैं। इन दवाओं की बिक्री से करोड़ों रुपये का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है।
अपने आप को यौन रोगों का माहिर डॉक्टर बताने वाले दरअसल मरीज़ को किसी तरह की दवा नहीं देते। इसके लिए किसी तरह की दवा बनी भी नहीं है। विटामिन-ई को कुछ डॉक्टर अवश्य सेक्स-टॉनिक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। 1960 से 1970 के बीच चूहों पर किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद यह बात गलत ढंग से कही गई कि विटामिन-ई के सेवन से इंसान की सेक्स क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन 1978 में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने इस बात को साबित कर दिया कि इससे सेक्स की ताकत पर कोई असर नहीं पड़ता है। कुछ सेक्स क्लिनिक आयुर्वेदिक दवा के नाम पर पिस्ता, बादाम वगैरह जैसे मेवों का इस्तेमाल करते हैं।
आकर्षक ब्रांड नामों से सजीं, सेक्स की ताकत बढ़ाने का दावा करतीं कंपनियॉं लोगों को सरेआम लूट रही हैं। ये कंपनियॉं सेक्स पावर बढ़ाने, शीघ्र पतन रोकने और अंगों की कमज़ोरी को दूर करने का दावा करती हैं। लोग भी इनके झांसे में आसानी से आ जाते हैं, जबकि सच बात तो यह है कि ये दवाएँ कितनी असरदार हैं, कोई नहीं जानता।
चूँकि ज्यादातर दवाइयॉं आयुर्वेदिक होती हैं और इनके बनाने को लेकर कोई खोज भी नहीं की गई होती है, इसलिए इनकी विश्र्वसनीयता पर हमेशा संदेह रहता है। ज्यादातर दवाओं के पैकेट पर लाइसेंस नंबर तक नहीं लिखा होता है। इन दवाओं का कब, कितना असर होगा, यह खरीदने वाला तो क्या, इन्हें बेचने या बनाने वाला भी नहीं जानता है।
ज्यादातर दवाएँ फर्जी कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। इतना तो तय है कि इक्का-दुक्का दवाओं में ही शिलाजीत, सफेद मूसली और कौंच के बीज जैसी चीजों का इस्तेमाल होता है। ज्यादातर दवाओं पर उनको बनाने में इस्तेमाल की गई चीजों का ब्यौरा भी नहीं लिखा जाता है। दवा कंपनियों द्वारा केमिस्टों को भी कई तरह की स्कीमों और भारी कमीशन के अलावा उधार देकर इन दवाइयों को बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
यौन विशेषज्ञों के मुताबिक सेक्स हार्मोन का नाम टेस्टोस्टेरॉन है। यौन उत्तेजना के लिए यही ज़िम्मेदार है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इसका असर कम होता जाता है। दवाओं के रूप में इसका इस्तेमाल आज तक कुछ मामलों में ही कामयाब हो सका है। जैसे- जब शरीर में सचमुच सेक्स हार्मोन की कमी हो या सेक्स लक्षणों के विकास में नाकामी दिखाई देती हो या फिर बढ़ती उम्र में टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा घट जाने का सबूत मौजूद हो।
अगर इसका इस्तेमाल बिना सोचे-समझे किया जाए, तो यह शुक्राणुओं की तादाद को कम भी कर सकता है। यह लीवर के काम में भी गड़बड़ी पैदा कर सकता है और कैंसर होने का खतरा भी बढ़ा देता है। महिलाओं में भी इसके इस्तेमाल के कई असर दिखाई पड़ सकते हैं। जैसे- बालों का गिरना या गंजापन होना, क्लिटोरिस का बढ़ना, आवाज़ भारी होना वगैरह। इसलिए जब तक ज़रूरी लक्षणों और परीक्षणों से टेस्टोस्टेरॉन की कमी का पक्का सबूत नहीं मिल जाता, तब तक उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
ज्यादातर दवाएँ पुरुषों के लिए हैं। महिलाओं के लिए भी कुछ दवाएँ हैं। महिलाओं के लिए जो दवाएँ बाज़ार में उपलब्ध हैं, उनके इश्तिहारों में सबसे पहली बात यह होती है कि नारीत्व की संपूर्णता व आत्मविश्र्वास के लिए इसे अपनाएँ। इसके बाद अच्छी व सुडौल काया बनाने के दावे होते हैं। इनमें कुछ दवाएँ कैप्सूल के रूप में उपलब्ध हैं और कुछ मसाज ऑइल के रूप में। महिलाओं के लिए उपलब्ध कई दवाओं के इश्तिहार में खास तौर पर बड़े अक्षरों में यह ज़रूर लिखा जाता है “रुकी माहवारी में कारगर’। साथ में फिर बड़ी चालाकी से चेतावनी के रूप में इश्तिहार का फोकस इस बात पर किया जाता है कि “सावधान, गर्भावस्था में प्रयोग वर्जित है, गर्भ गिर सकता है।’
आमतौर पर हर महिला अपने इस खास तत्व को और अधिक बेहतर रूप में पाना चाहती है। यही बात पुरुषों के लिए भी सही है। वह भी अधिक से अधिक जवां रहना चाहेंगे। कुछ सेक्स दवाएँ महिलाओं या पुरुषों को उनकी कुदरती क्षमता से आगे बढ़कर “वाइल्ड’ होने के लिए उकसाती नज़र आती हैं। ये इश्तिहार सेक्स को लेकर कई तरह की गलतफहमी तो पैदा करते ही हैं, साथ ही समाज में अपसंस्कृति फैलाने का भी काम करते हैं।
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