गर्म हवा की छड़ी उठा,
गुस्से में गर्मी आई,
धूल-मिट्टी आँखों में आई।
छक्के-चौके सूरज मारे,
चाय और काफी छूटी जाए,
कुल्फी-लस्सी ही इतराए।
गला सूख हुआ कांटा,
गर्म हवा का पड़ा जो चॉंटा
मौसम ने बदले रंग-ढंग।
गर्मी ने तो प्यास बढ़ाई।
गुस्से में गर्मी आई…..।
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