किसी भी लक्ष्य को निर्धारित करने से पूर्व अपनी योग्यता, कार्य-क्षमता व समय-अवधि को सुनिश्र्चित कर लें।
- कठिन कार्य को पहले करने का प्रयास करें।
- अपनी योग्यता को निरन्तर विकसित करें।
- सोच-समझकर बोलें, क्योंकि वार्तालाप आपकी छवि बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- स्वयं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास करें।
- समय की पाबंदी और उसका सदुपयोग जीवन में सफलता-प्राप्ति का सशक्त माध्यम है।
- अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है।
- योजनाबद्ध रूप से अपने कार्य को अंजाम दें, समय बिल्कुल व्यर्थ न गॅंवाएं।
- अनावश्यक और निरर्थक बातों को नजर-अंदाज कर के अपने उद्देश्य पर नजर रखें।
- चिंताओं में समय व्यर्थ नष्ट न करें।
- अपनी दुर्बलताओं की पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें।
- स्वयं में सीखने और अनुभव-प्राप्ति के स्वभाव को विकसित करें।
- सामाजिक सिायता बनाएं रखें, इससे आपको सफलता मिलने में आसानी होगी।
- लक्ष्य सदैव एक रखें। दो लक्ष्य रखने पर आपकी स्थिति दो नावों पर एक साथ पैर रखकर सफर तय करने की हो जाएगी, जिसमें आपका डूबना निश्र्चित है।
- दूसरों से शिकायत और भाग्य का रोना जैसी आदतों का त्याग करें।
- दूसरों की प्रशंसा खुले मन से करें, प्रशंसा एक ऐसा गुण है, जो सबको आपका हितैषी बना देती है।
- विपरीत परिस्थितियों में संयम से काम लें और धैर्यपूर्वक उनका सामना करना करें। यह सफलता प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण गुण है।
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