विश्र्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इकट्ठा किए गये तथ्यों के मुताबिक दुनिया में हर साल 19 लाख लोग शारीरिक निषियता के कारण असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। कहने का मतलब यह कि 19 लाख लोगों की मौत का कारण सिर्फ शारीरिक रूप से उनका निषिय रहना है। अमेरिका में ही एक-तिहाई वयस्क मोटापे का शिकार हैं और उनमें से एक-चौथाई यह स्वीकार करते हैं कि वे वाकई कभी अपना फुर्सत का समय फिट रहने के लिए एक्सरसाइज़ में जाया नहीं करते। सिर्फ अमेरिका की ही बात नहीं है। दुनिया के ज्यादातर देशों में फिटनेस और एक्सरसाइज को लेकर यही रवैया है। हांगकांग जो कारोबारी नजरिए से दुनिया का बेहद सिाय शहर क्षेत्र है, वहां हर पॉंचवीं मौत का कारण मरने वाले का शारीरिक गतिविधियों से दूर रहना है। 20 से 30 की उम्र का हर हांगकांगवासी सॉंस लेने में कठिनाई महसूस करता है, जो इस बात का सुबूत है कि उनमें फिट रहने के लिए शारीरिक गतिविधियों का अभाव है।
दक्षिण कोरिया के लोग अपनी खुराक को लेकर काफी सजग रहते हैं। यही वजह है कि दक्षिण कोरिया के लोग भी अब धीरे-धीरे मोटापे की बीमारी की तरफ अपने कदम बढ़ा चुके हैं। यहां 11 प्रतिशत मिडिल स्कूल के बच्चे कहते हैं कि उन्होंने कभी एक्सरसाइज नहीं की। जबकि यूरोपीय संघ के देशों में औसतन 38 प्रतिशत नागरिकों ने एक वृहद सर्वेक्षण के दौरान यह बताया कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार या तो एक्सरसाइज करते हैं या कोई खेल खेलते हैं, जो उन्हें शारीरिक रूप से फिट रखे और सिाय बनाये। जबकि यहीं के 40 फीसदी लोगों ने यह माना कि वह फिट रहने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं करते और कभी भी नहीं करते। यूरोप में फिनलैंड एक नायाब नमूना है। तमाम फिनलैंडवासी किस तरह समाज के स्तर पर फिटनेस की उपेक्षा करते हैं, इसे इस उदाहरण से भलीभांति समझा जा सकता है। फिनलैंड में पिछली सदी के 70 के दशक से पोषक आहार कार्याम लागू है ताकि सभी बच्चों को जरूरी पौष्टिक भोजन मिल सके। लेकिन इस पूरे कार्याम में शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए किसी तरह के फिटनेस संबंधी कार्याम नहीं हैं। यही कारण है कि फिनलैंडवासियों की शारीरिक फिटनेस अभी भी 1970 के दशक बल्कि उससे भी पीछे है।
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