आदर्श तुम जग के बनो
खुद आसमॉं झुक जायेगा
देश में गद्दार कितने ही सही
उनका काफिला रुक जायेगा
आतंक जो फैला रहे हैं
सब देखते रह जायेंगे
तुमने ग़र हिम्मत दिखाई
तो वो राह पर आ जायेंगे
कब से हम समझा रहे हैं
एक भी मानी नहीं
अब तुमने ली करवट अगर
तो फैसला हो जायेगा
बम्ब और विस्फोट कर
जो हमें धमका रहे
है नहीं उनको पता वे
शेर को उकसा रहे
शान्ति के इस देश में
हमारी शान्ति ही फ़ौलाद है
इन्सान को समझें भला क्या
जो शैतान की औलाद है
जो हो रहा है देश में
वो देश का दुर्भाग्य है
राजनैतिक भेड़ियों की
वोट की सब चाल है
जो ना समझे आज तक
अब उनकी समझ में आयेगा
पाक तुम पहले बनो
नापाक क्या कर पायेगा
आदर्श के आगे तुम्हारे
वो सिर झुका कर आयेगा
शर्म है उसमें अगर तो
खुद-ब-खुद मर जायेगा
– एस.के. जैन, लौंगपुरिया
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