ग़ज़ल शीन काफ निज़ाम

आज का दिन कितना अच्छा है

तेरी याद का फूल खिला है

 

मेरी सोच से बाहर आकर

तू कितना अच्छा लगता है

 

झगड़ा तो दुनिया से होगा

तेरा मेरा क्या झगड़ा है

 

सूख रहा है पेड़ वो,

जिस पर

तेरा मेरा नाम लिखा है

 

काश! कि तू भी सुनता होता

मेरी इक-इक सांस सदा है

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