ठुम्मक-ठुम्मक छड़ी घुमाती,
जादूगरनी की वह नाती।
टोना खूब चलाए निंदिया,
पलकों पर जब आए निंदिया।
फुटपाथों पर या बिस्तर पर,
बाहों का तकिया दे सिर पर।
सुख की सैर कराए निंदिया,
कौन देश से आए निंदिया।
सांझ समय लोरी सुनवाती,
थपकी देती और सुलाती।
रच-रच स्वप्न दिखाए निंदिया,
पलकों पर जब आए निंदिया।
दबे पॉंव वह चुपके आती,
पलक खुले तो ठहर न पाती,
खटपट से घबराए निंदिया,
कौन देश से आए निंदिया।
– राजकुमार जैन “राजन’
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