बस, अब और न बहे लहू मासूमों का
और न लुटे घर बेगुनाहों का
सब्र का भी सब्र टूट चुका है
देख खूनी खेल आतंकियों का
शांति, संयम, सौहार्द की भाषा न
समझने वाले
दहशतगर्दों का अंत करने
गौतम, गांधी नहीं
अब “परशु’ राम को ही आना होगा।
– आत्माराम
बस, अब और न बहे लहू मासूमों का
और न लुटे घर बेगुनाहों का
सब्र का भी सब्र टूट चुका है
देख खूनी खेल आतंकियों का
शांति, संयम, सौहार्द की भाषा न
समझने वाले
दहशतगर्दों का अंत करने
गौतम, गांधी नहीं
अब “परशु’ राम को ही आना होगा।
– आत्माराम
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