आखिर एक सफल पार्टी के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ती है? आप कहेंगे- अच्छे लोगों का साथ यानी गुड कंपनी, स्वादिष्ट भोजन, अच्छी शराब और दिलों के तार झनझना देने वाला संगीत। आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। लेकिन किसी सफल यूथ पार्टी की जरूरत की सूची यहीं खत्म नहीं होती। युवा पार्टियों के मामले में बड़े कल्पनाशील होते हैं, वेरी इनोवेटिव। युवाओं की शानदार पार्टी में ऊपर की सूची में कुछ और चीजें जुड़ी होती हैं। टैटू या बॉडी आर्ट बनवाना, टैरो कार्ड यानी अपना भविष्य जानना, पत्ते खेलना वगैरह-वगैरह।
वाकई किसी शानदार पार्टी में अगर इन अतिरिक्त चीजों को जोड़ दिया जाए तो वह यादगार पार्टी बन जाती है। टी.वी. आर्टिस्ट गुरमुख सिंह कहते हैं, मैं अपने दोस्तों की पार्टियां जरूर अटेंड करता हूं। इसलिए नहीं कि मुझे वहां बहुत सारे दोस्त मिल जाते हैं, बल्कि इसलिए कि हम युवाओं की पार्टी में मस्ती भी बड़ी कल्पनाशील होती है, जो आमतौर पर बिजनेस पार्टियों और ट्रेडीशनल पार्टियों में नहीं मिलती। अभी मेरी दोस्त रत्ना वडोला ने एक पार्टी की, जहां पर उसने तीन टैटू आर्टिस्टों को बुला रखा था और हम में से कई दोस्तों ने उस पार्टी में खाने और पीने का तो जमकर लुत्फ उठाया ही, अपने मनपसंद टैटू भी बनवाये। एक आईटी कंपनी में प्रोग्राम राइटर तान्या बनर्जी कहती हैं, मुझे अपने हमउम्र दोस्तों की पार्टियां बहुत पसंद हैं, क्योंकि वहां न तो रिश्तों की औपचारिकता होती है और न ही खाने-पीने के समय कई तरह के मैनर्स से बंधे रहने की मजबूरी। मगर जो सबसे अच्छी चीज लगती है मुझे अपने दोस्तों की पार्टियों में, वह है खाने-पीने और डांस के अलावा किसी एक्स्ट्रा एक्टिविटीज का होना। मसलन, अभी पिछले दिनों मेरे एक क्लासमेट राहुल बोस ने हम सब कॉलेज के दिनों के पुराने दोस्तों को पार्टी दी। उसकी पार्टी में खाने-पीने का तो बेहतरीन इंतजाम था ही, साथ ही वहां मसाज की भी व्यवस्था थी। लोगों ने खाने-पीने के साथ मसाज का भी लुत्फ उठाया। और हां, एक बॉडी पेंटर भी था जो हमारी हसीन कल्पनाओं के अनुकूल हमारी बॉडी को पेंट कर रहा था। कहने का मतलब यह है कि युवाओं की पार्टी में सब कुछ के साथ कुछ एक्स्ट्रा जरूर होता है चाहे टैटू आर्टिस्ट हों, चाहे मसाजिए हों, चाहे खाने-पीने के साथ टेबल टेनिस के दौर हों, गानों की महफिल हो, अंताक्षरी हो या मसखरे और जादुगर। युवाओं की पार्टी में यह एक्स्ट्रा इनिंग जरूर होती है। इसीलिए उनकी पार्टियों में औपचारिकता कम ही मिलती है। अक्की अनेजा कहते हैं, बिजनेस पार्टियां रात में 1 बजे खत्म हो जाती हैं और फेमिली गैदरिंग 12 बजे। लेकिन ये युवाओं की पार्टियां ही होती हैं जो रात 10 बजे से शुरू होती हैं और सुबह 7 बजे तक चलती हैं बिंदास, फुल्ली धूम-धड़का, फुल्ली इंज्वायमेंट।
किंसुक हरित एक युवा फैशन डिजाइनर हैं और उन्हें अपने हमउम्र दोस्त की पार्टियों का नशा रहता है। वह अपनी काम और बिजनेस की भले कई पार्टियां छोड़ दें, लेकिन ऐसी पार्टियां कभी नहीं छोड़ते, जो किसी हमउम्र दोस्त ने आयोजित की हो। किंसुक कहते हैं, युवाओं की पार्टी का नशा ही कुछ और होता है। न ज्यादा औपचारिकता, न ज्यादा पूछताछ। जिसको जो मन आता है खाता है, जो मन आता है करता है और खुलकर, बिंदास होकर मस्ती करता है। हां, युवाओं की पार्टी में संगीत थोड़ा तेज बजता है और कुछ लोग तो उसे कानफोड़ू संगीत कहते हैं। लेकिन क्या करें, उनका यही स्टाइल है। उनके बोलने और मस्ती करने का अंदाज यही है। जैसे-जैसे युवाओं की पार्टी जवान होती है, म्युजिक तेज होता जाता है। और हां, युवाओं की पार्टी में आप किसी पूरे शब्द की उम्मीद न करें। यहां हर शब्द आधा-अधूरा बोला जाता है, कुछ सुनें, कुछ अनुमान लगायें यानी सुनने में भी कल्पनाशीलता और समझने में उससे भी ज्यादा कल्पनाशीलता की जरूरत होती है। शायद यही वजह है कि युवाओं की पार्टी में कोई किसी की परवाह नहीं करता। बातचीत होती रहती है और कई बार पता ही नहीं चलता कि क्या कहा जा रहा है और क्या सुना जा रहा है। फिर भी मस्ती छायी रहती है। कुछ लोग कह सकते हैं कि यह तो नशे की-सी हालत है। अर्धनिद्रा की-सी। भला इसमें क्या मजा? नहीं जनाब। विशेषज्ञों की मानें तो सारा मजा इस अर्धनिद्रा की स्थिति में ही है।
एक और मजेदार बात। आमतौर पर लोगों को लगता है कि युवाओं की पार्टियां बड़ी खर्चीली होती होंगी। लेकिन ऐसा नहीं है। यह बात तो है कि युवा खर्च में कोताही नहीं करते हैं, लेकिन वह खर्च को लेकर इस कदर कांशस भी नहीं होते। हर मामले में सहज होते हैं। पैसे हुए तो खर्च कर लिये, न हुए तो कोई चिंता नहीं। युवा कुछ भी खा लेते हैं सिम्पल से सिम्पल। कभी नाक-भौंह नहीं सिकोड़ते और न कभी बहुत स्टेटस की फिा करते हैं। लेकिन यह बात भी सही है कि युवा अगर पैसे हुए तो जमकर खर्च भी करते हैं यानी पैसों की भी परवाह नहीं करते। एक और बात गौर करने की है। युवा सिर्फ नयी और अजनबी चीजों के ही दीवाने नहीं होते हैं। वे परंपरा के भी दीवाने होते हैं। यही कारण है कि उनकी पार्टियों में जहां एक तरफ हुक्का सुपरहिट एक्स्ट्रा एक्टिविटीज में शामिल है, वहीं मसाजरों की भी धूम अब युवाओं की पार्टियों में देखी जाती है। गौरतलब है कि पहले मसाज करने वाले शादी-ब्याह जैसे बड़े पारिवारिक समारोह का हिस्सा होते थे। वह भी उन दिनों जब लोगों के पास खूब समय होता था और लोग शादी-ब्याह के दौरान ऐसे सुखों का जमकर लुत्फ उठाते थे। तब शादी-ब्याह एक तरह से छुट्टियों का-सा अहसास देते थे। लेकिन अब शादियां रूटीन कार्याम का एक हिस्सा हैं। लोग दिन में दफ्तर का काम निपटा कर शाम को शादी अटेंड करते हैं और अगले दिन फिर दफ्तर जाते हैं। इसलिए अब शादियों में मारामारी मचने लगी है। लोग जहां पहले कुछ दिनों के लिए आते थे, वहीं अब महज कुछ घंटों के लिए और कई लोग तो महज कुछ मिनटों के लिए आते हैं, इसलिए ऐसे समारोहों में अनौपचारिक आनंद वाला माहौल नहीं रहा। बल्कि एक फर्ज अदायगी का-सा माहौल बन गया है। हाई हील क्लास के युवा तो अब अपनी ऐसी पार्टियां देश से बाहर विदेश में आयोजित करने लगे हैं और वह भी देश में आयोजित होने वाली पार्टी के ही खर्चों में। ऐसी पार्टियों में स्पा और मेहंदी का चलन भी खूब बढ़ा है। दरअसल, ये सब कहीं न कहीं एक तरह से थीम पार्टियों के दायरे में ही आती हैं, जैसी थीम पार्टियां पहले काफी जोरशोर से आयोजित हुआ करती थीं मगर आजकल उनका चलन कम हो चुका है। हां, इन पार्टियों में एक खूबी यह है कि यहां थीम पार्टियों जैसा अनुशासन और औपचारिकता के दर्शन नहीं होते। युवा हालांकि काफी बिदांस होते हैं, लेकिन यह स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्ति है कि हर कोई अपने भविष्य को जरूर जानना चाहता है। इसलिए युवाओं की पार्टी में टैरो कार्ड रीडिंग का चलन आम हो चला है। जरूरी नहीं है कि इसे युवा गंभीरता से ही लेते हों, लेकिन इसे इंज्वाय तो करते ही हैं। कुल मिलाकर युवाओं की पार्टी में चारों तरफ रौनक ही रौनक होती है।
– दिव्यज्योति नंदन
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