चाहे बरसात का हो या कोई और पानी, सभी में एक खास प्रकार का नमक मौजूद होता है। पानी सादा है या नमकीन, यह हमारे स्वाद करने की क्षमता पर निर्भर करता है, जिसके लिए हमारे टेस्ट बड्स जिम्मेदार होते हैं। तुम अपने घर में रखे फिल्टर से तीन गिलास पानी लो। एक का स्वाद लो, यह तुम्हें क्रोश लगेगा, जबकि उसमें प्राकृतिक रूप से नमक की थोड़ी मात्रा मौजूद है। अब एक चुटकी नमक लो और दूसरे गिलास में डालो। इस गिलास का पानी तुम्हारे पर्सनल टेस्ट के हिसाब से थोड़ा सॉल्टी लगेगा। अब तीसरे गिलास में तीन टेबल स्पून नमक डालो। इस गिलास का पानी जैसे ही तुम पीने की कोशिश करोगे, तुम्हारा टेस्ट बड्स तुम्हें ऐसा नहीं करने की सलाह देगा, क्योंकि इसमें ़जरूरत से ज्यादा सॉल्ट मौजूद है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समंदर के पानी में पॉंच करोड़ अरब टन घुलनशील ठोस (डिजॉल्व सॉलिड) नमक मौजूद है। ऐसे में यदि समुद्र के सारे नमक को निकाल कर समान मात्रा के हिसाब से पूरी पृथ्वी पर फैला दिया जाए, तो पृथ्वी नमक के 500 फीट मोटी परत के नीचे छिप जाएगी। यदि समुद्र के पानी की तुलना सामान्य पानी वाले लेक से करें, तो पाएँगे कि जहॉं समुद्र के एक क्यूबिक फुट पानी से करीब एक किलो नमक प्राप्त होगा, वहीं लेक मिशिगन के इतने पानी में महज आधा ग्राम नमक प्राप्त होगा। जाहिर है, स्वाद के स्तर पर समुद्र का पानी सामान्य जल के मुकाबले करीब 200 गुना ज्यादा सॉल्टी होता है। यह जानना कम दिलचस्प नहीं होगा कि आखिर समुद्र और उसके नमक का ओरिजिन कहॉं से है? जबकि समुद्र को अपने पानी से भरने वाली नदियों का पानी नमकीन नहीं होता।
समुद्री जल को एक सॉल्यूशन के तौर पर देखा जाता है, जो विभिन्न प्रकार के रसायनों के घोल से बना है, जिसमें कई प्रकार के मिनरल्स, समय के साथ सड़े-गले जैविक पदार्थ आदि मुख्य तौर पर मिले हुए होते हैं।
लेकिन सवाल उठता है कि यदि समुद्र में सैकड़ों नदियों का ोश वाटर लगातार मिल रहा है, तो फिर भी वह सॉल्टी क्यों बना हुआ है?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र अपने शुरुआती समय में ोश वाटर से भरा होगा और बहुत हल्का नमकीन रहा होगा, पर यह करोड़ों वर्ष पहले की बात होगी। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका की नदियां ही अकेले 22,50,00000 टन घुलनशील सॉलिड नमक समुद्र में मिलाती हैं। पूरे विश्र्व में इस प्रकार से समुद्र की ओर बढ़ती हुई नदियॉं प्रतिवर्ष चार खरब टन डिजॉल्व सॉल्ट समुद्र में मिलाती हैं। पर चूंकि प्रतिवर्ष यह सॉल्ट समुद्र की
गहराई में बैठता रहता है, इसलिए प्रतिवर्ष जो सॉल्ट उसे मिलता
है, उतना ही समुद्र की सतह पर भी बैठ जाता है।
पर्शियन गल्फ में स्थित रेड सी के जल को पृथ्वी पर मौजूद सबसे अधिक नमकीन पानी माना जाता है। दरअसल, यहॉं पानी के वाष्पीकरण (इवापोरेशन) का रेट ज्यादा है और पानी में मौजूद घुलनशील नमक की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। उत्तरी अटलांटिक महासागर के सारगास्सो समुद्र को दूसरा सबसे अधिक नमकीन समुद्र माना जाता है। ऑस्टेलिया के तट पर समुद्री जल सबसे कम सॉल्टी होता है, क्योंकि यहॉं पास ही की कोलंबिया नदी से उसे बड़ी मात्रा में ोश वाटर उपलब्ध हो जाता है।
चाहे बरसात का हो या कोई और पानी, सभी में एक खास प्रकार का नमक मौजूद होता है। पानी सादा है या नमकीन, यह हमारे स्वाद करने की क्षमता पर निर्भर करता है, जिसके लिए हमारे टेस्ट बड्स जिम्मेदार होते हैं। तुम अपने घर में रखे फिल्टर से तीन गिलास पानी लो। एक का स्वाद लो, यह तुम्हें ोश लगेगा, जबकि उसमें प्राकृतिक रूप से नमक की थोड़ी मात्रा मौजूद है। अब एक चुटकी नमक लो और दूसरे गिलास में डालो। इस गिलास का पानी तुम्हारे पर्सनल टेस्ट के हिसाब से थोड़ा सॉल्टी लगेगा। अब तीसरे गिलास में तीन टेबल स्पून नमक डालो। इस गिलास का पानी जैसे ही तुम पीने की कोशिश करोगे, तुम्हारा टेस्ट बड्स तुम्हें ऐसा नहीं करने की सलाह देगा, क्योंकि इसमें ़जरूरत से ज्यादा सॉल्ट मौजूद है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समंदर के पानी में पॉंच करोड़ अरब टन घुलनशील ठोस (डिजॉल्व सॉलिड) नमक मौजूद है। ऐसे में यदि समुद्र के सारे नमक को निकाल कर समान मात्रा के हिसाब से पूरी पृथ्वी पर फैला दिया जाए, तो पृथ्वी नमक के 500 फीट मोटी परत के नीचे छिप जाएगी। यदि समुद्र के पानी की तुलना सामान्य पानी वाले लेक से करें, तो पाएँगे कि जहॉं समुद्र के एक क्यूबिक फुट पानी से करीब एक किलो नमक प्राप्त होगा, वहीं लेक मिशिगन के इतने पानी में महज आधा ग्राम नमक प्राप्त होगा। जाहिर है, स्वाद के स्तर पर समुद्र का पानी सामान्य जल के मुकाबले करीब 200 गुना ज्यादा सॉल्टी होता है। यह जानना कम दिलचस्प नहीं होगा कि आखिर समुद्र और उसके नमक का ओरिजिन कहॉं से है? जबकि समुद्र को अपने पानी से भरने वाली नदियों का पानी नमकीन नहीं होता।
समुद्री जल को एक सॉल्यूशन के तौर पर देखा जाता है, जो विभिन्न प्रकार के रसायनों के घोल से बना है, जिसमें कई प्रकार के मिनरल्स, समय के साथ सड़े-गले जैविक पदार्थ आदि मुख्य तौर पर मिले हुए होते हैं।
लेकिन सवाल उठता है कि यदि समुद्र में सैकड़ों नदियों का ोश वाटर लगातार मिल रहा है, तो फिर भी वह सॉल्टी क्यों बना हुआ है?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र अपने शुरुआती समय में ोश वाटर से भरा होगा और बहुत हल्का नमकीन रहा होगा, पर यह करोड़ों वर्ष पहले की बात होगी। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका की नदियां ही अकेले 22,50,00000 टन घुलनशील सॉलिड नमक समुद्र में मिलाती हैं। पूरे विश्र्व में इस प्रकार से समुद्र की ओर बढ़ती हुई नदियॉं प्रतिवर्ष चार खरब टन डिजॉल्व सॉल्ट समुद्र में मिलाती हैं। पर चूंकि प्रतिवर्ष यह सॉल्ट समुद्र की
गहराई में बैठता रहता है, इसलिए प्रतिवर्ष जो सॉल्ट उसे मिलता
है, उतना ही समुद्र की सतह पर भी बैठ जाता है।
पर्शियन गल्फ में स्थित रेड सी के जल को पृथ्वी पर मौजूद सबसे अधिक नमकीन पानी माना जाता है। दरअसल, यहॉं पानी के वाष्पीकरण (इवापोरेशन) का रेट ज्यादा है और पानी में मौजूद घुलनशील नमक की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। उत्तरी अटलांटिक महासागर के सारगास्सो समुद्र को दूसरा सबसे अधिक नमकीन समुद्र माना जाता है। ऑस्टेलिया के तट पर समुद्री जल सबसे कम सॉल्टी होता है, क्योंकि यहॉं पास ही की कोलंबिया नदी से उसे बड़ी मात्रा में ोश वाटर उपलब्ध हो जाता है।
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